Sambhal Storm Disaster:

Sambhal Storm Disaster: पिलखन के पेड़ ने लील लिया परिवार का मुखिया, झोपड़ी बनी कब्रगाह

Sambhal Storm Disaster : संभल के मल्लाह मुस्तफाबाद गांव में प्रकृति ने कहर बरपाया। तेज आंधी-तूफान में एक पेड़ टूटकर मकान पर गिरा, जिसकी दीवार ने झोपड़ी में शरण लिए चार लोगों को कुचल दिया।
लोकेशन-संभल। संवाददाता-रामपाल सिंह

Sambhal Storm Disaster: प्रकृति का कहर और एक परिवार का दर्द

संभल का मल्लाह मुस्तफाबाद गांव। एक शांत शाम, जो अचानक प्रकृति के क्रोध में बदल गई। तेज आंधी और बारिश ने गर्मी से राहत तो दी, लेकिन विजयपाल और उनके परिवार के लिए यह Storm Disaster एक अनघट त्रासदी बन गया। दरअसल चार लोग, आंधी से बचने के लिए झोपड़ी में दुबके थे, लेकिन किसे पता था कि यही झोपड़ी उनकी कब्र बन जाएगी।

त्रासदी की शुरुआत: पिलखन का पेड़ बना काल

Sambhal Storm Disaster: वो रात, जब आकाश गर्ज रहा था, मल्लाह मुस्तफाबाद में विजयपाल और उनके परिवार के तीन अन्य सदस्य झोपड़ी में शरण लिए हुए थे। तभी एक विशाल पेड़ तेज हवाओं का शिकार हो गया। पेड़ का मोटा तना पास के मकान की छत पर जा गिरा। छत टूटकर झोपड़ी पर गिरी, और उस मलबे ने 55 साल के विजयपाल को हमेशा के लिए छीन लिया। तीन अन्य लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
विजयपाल के भतीजे भगत सिंह की आंखों में आंसुओं के साथ दर्द भरी कहानी है। “चाचा हमारे साथ रहते थे, उनकी शादी नहीं हुई थी। हम सब आंधी से बचने के लिए झोपड़ी में थे। अचानक पेड़ टूटा, और मकान की दीवार हम पर गिरी। चाचा को बचा नहीं सके,” भगत सिंह ने रोते हुए बताया।

Sambhal Storm Disaster: परिवार का टूटा सपना

Sambhal Storm Disaster: संभल में आई इस प्राकृकित आपदा ने न केवल विजयपाल की जान ली, बल्कि एक परिवार के सपनों को भी कुचल दिया। विजयपाल, जो परिवार का सहारा थे, अब केवल यादों में बचे हैं। परिजनों ने बिना पोस्टमॉर्टम के उनका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन दर्द और सवाल अब भी बाकी हैं। क्या यह हादसा टाला जा सकता था? क्या प्रकृति का यह कहर रोकथाम की कमी को दर्शाता है?
पुलिस और प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की, लेकिन  Storm Disaster ने एक बार फिर पुराने पेड़ों और कमजोर मकानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए। 

भावनात्मक मोड़: एक अधूरी कहानी

Sambhal Storm Disaster की यह घटना किसी सिनेमाई त्रासदी से कम नहीं। एक पल में सब कुछ खत्म—विजयपाल की हंसी, परिवार का भरोसा, और वह झोपड़ी जो कभी आश्रय थी। घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, लेकिन उनके जख्म शायद ही कभी भरें। 

Sambhal Storm Disaster का सबक

Sambhal Storm Disaster ने हमें याद दिलाया कि प्रकृति का प्रकोप और मानवीय लापरवाही कितना भारी पड़ सकता है। यह कहानी केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है जो असुरक्षित मकानों और पुराने पेड़ों के खतरे में जी रहे हैं। क्या प्रशासन अब जागेगा?
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