
UP Police Training Mahoba के ये नवोदित सिपाही लखनऊ की ट्रेनिंग ग्राउंड की ओर रवाना हो चुके हैं
UP Police Training Mahoba के तहत भर्ती परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को SP प्रबल प्रताप सिंह ने लखनऊ के लिए रवाना किया। शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन का पाठ पढ़ाया। अब ये युवा सपनों को थाने में बदलने निकल पड़े हैं।

लोकेशन-महोबा। संवाददाता-सुमित तिवारी
जब बस में सवार हुआ ‘वर्दी वाला सपना’ – UP Police Training Mahoba
महिला हों या पुरुष, इन रंगरूटों की आंखों में आज वर्दी का सपना नहीं, वर्दी की ‘चमक’ थी।
UP Police Training Mahoba के तहत चयनित अभ्यर्थी जैसे ही पुलिस लाइन महोबा में पहुंचे, माहौल किसी बॉलीवुड ‘Passing Out Parade’ जैसा लगने लगा।
SP साहब यानी प्रबल प्रताप सिंह अपने पूरे रसूख में मंच पर पहुंचे। माइक उठाया और बोले – “अब तुम सिर्फ किसी के बेटे-बेटी नहीं, यूपी पुलिस के ‘ब्रांड एंबेसडर’ हो!”
तालियां बजीं, लेकिन कुछ के हाथ कांप भी रहे थे — सोच रहे होंगे, “थाने में पहली एफआईआर कैसे लिखूंगा?”
डंडा, डिसिप्लिन और ड्यूटी: SP की मोटिवेशन क्लास – UP Police Training Mahoba
SP साहब ने बिल्कुल फौजी टोन में कहा —
“कर्तव्यपरायण बनो, ईमानदार रहो, और डंडा केवल वहीं चलाओ जहां जरूरत हो!”
अब ये बात तो वर्दी पहनने से पहले सबको बहुत अच्छी लगती है, असली इम्तहान तब होगा जब चौकी इंचार्ज बनने के बाद चाय कौन लाएगा, ये तय करना होगा!
UP Police Training Mahoba में पहली बार इतने अभ्यर्थी महोबा से एक साथ लखनऊ ट्रेनिंग के लिए रवाना हुए। पुलिस लाइन में माहौल कुछ-कुछ वैसा था, जैसा शादी वाले घर में होता है — फर्क बस इतना था कि दुल्हन की जगह बस थी, और विदाई की जगह थी डिफेंस एक्सपो ग्राउंड लखनऊ!
बसों में बैठते वक्त क्या बोले अभ्यर्थी?
एक अभ्यर्थी ने चुटकी लेते हुए कहा,
“अब तक मां कहती थी कि पढ़, अब SP साहब कह रहे हैं – सिस्टम सुधार!”
दूसरे ने जोड़ा,
“सपना तो IPS का था, लेकिन फिलहाल Constable बनकर ही चलेंगे… आगे देखा जाएगा!”
पुलिस बनने का नया फॉर्मूला: ट्रेनिंग से पहले ताने, बाद में थाने
उत्तर प्रदेश में हर साल लाखों युवा पुलिस भर्ती परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन सिलेक्शन पाने वाले चंद ही होते हैं।
UP Police Training Mahoba के इस बैच में लगभग 70 अभ्यर्थी चुने गए, जिन्हें सरकारी बसों में लखनऊ भेजा गया। SP की मौजूदगी ने इस रवानगी को और यादगार बना दिया।
सपनों से सिस्टम तक’ की यात्रा
अब जब UP Police Training Mahoba के ये नवोदित सिपाही लखनऊ की ट्रेनिंग ग्राउंड की ओर रवाना हो चुके हैं, तो गांव-गली में बातें भी तेज़ हो चुकी हैं — “फलाने का लड़का अब पुलिस बन गया!” लेकिन असली लड़ाई वर्दी पहनने से नहीं, वर्दी संभालने से शुरू होती है।
जहां ‘सिस्टम’ नाम की चीज़ कभी फाइलों में उलझती है, कभी थाने के बाहर चाय पीते बाबू की मूंछों में। इन्हीं सब के बीच अब ये नए रंगरूट ईमानदारी और उम्मीद का झंडा उठाए बढ़ चले हैं — बस में, वर्दी की ओर, और शायद बदलाव की भी एक कतार में खड़े होकर।
कहते हैं न —
“थाने में तैनात होना आसान है, पर इंसाफ देना सबसे बड़ी ट्रेनिंग है।”
अब देखना है कि ये ‘बस’ सिर्फ लखनऊ पहुंचती है या सिस्टम में कोई मोड़ भी लाती है।