
Israel-Iran War के बीच World War 3 का भविष्य तय करेंगे China-Russia !
World War 3 New Update
इज़रायल-ईरान के बढ़ते तनाव को देखते हुए, एक जो सवाल इस वक्त पूरी दुनिया को परेशान कर रहा है वो ये है कि क्या ये घटना तीसरा विश्व युद्ध (World War 3) छेड़ने वाली चिंगारी बनेगी? इस सवाल का जवाब भले ही भविष्य में पता चले लेकिन एक बात बेहद साफ है कि World War 3 का भविष्य रूस,चीन के रुख पर पूरी तरह से निर्भर होता हुआ दिख सकता है. दरअसल इज़रायल के ईरान पर हालिया हमलों ने मध्य पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, इज़रायल ने 13 जून 2025 को ईरान के नतांज परमाणु केंद्र सहित कई सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसके बाद ईरान ने भी इज़रायल पर करीब 100 से ज्यादा ड्रोन हमले किए हैं और बैलिस्टिक मिसाइलें दाग दीं हैं. जॉर्डन और इज़रायली वायु सेना ने मिलकर ईरान के अधिकतर हमलों को नाकाम कर दिखाया, फिर भी तेल अवीव पर कुछ हमले हुए हैं.
हमले का प्रभाव: जनहानि, संपत्ति का नुकसान
इज़रायल की बमबारी में ईरान के कई बड़े परमाणु वैज्ञानिक, सैन्य अधिकारी मारे गए हैं, जिसका प्रभाव ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर 1–2 साल तक रहेगा, इज़रायल के हमले के कारण ईरान में 100 से ज्यादा लोगों की मौत का अनुमान है, जबकि ईरान को 5–10 अरब डॉलर की संपत्ति का भी नुकसान हुआ है. दूसरी तरफ ईरान ने भी इज़रायल बड़ा जवाबी हमला किया है जिसने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया है, लेकिन इज़रायल में अभी किसी बड़े नुकसान की कोई ख़बर नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राज्य अमेरिका ने इज़रायल का समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने ईरान का साथ दिया है, सुरक्षा परिषद ने एक आपात बैठक बुलाई है, जहां मध्य पूर्व के हालात पर विचार किया जाएगा।
World War की आशंका
विशेषज्ञों का कहना है-अगले 72 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं
- ईरान अधिक हमले करता है तो स्थिति बिगड़ सकती है
- इज़रायल अब पहले से भी बड़ा हमला करता है, तो दो देशों का ये युद्ध, विश्व युद्ध में बदल सकता है.
- ईरान-इज़रायल युद्ध में अमेरिका, नाटो, रूस या चीन की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष एंट्री स्थिति को और अधिक जटिल बना देगी, जिससे World War की आशंका बढ़ जाएगी.
रूस है ईरान के साथ
रूस ने इज़रायल के हमले की निंदा की है, रूस ने इज़रायल के हमलों को “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया है, रूस ने पहले ही ईरान को एस-300 वायु रक्षा प्रणाली दे रखी है. असल बात तो ये है कि रूस मध्य पूर्व में अमेरिका का प्रभाव घटाकर अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है, इसलिए संभव है कि जरूरत पड़ने पर रूस, ईरान की आर्थिक,सैन्य या हर तरीके की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष मदद कर सकता है.
चीन का स्टैंड- शांति या ईरान का समर्थन
चीन ने इज़रायल के हमले को असंतुलन फैलने वाली घटना बताया है. दरअसल चीन ने ईरान के साथ 400 अरब डॉलर का ऊर्जा समझौता किया था, जिसके चलते चीन के हित ईरान के साथ जुड़े हुए हैं. चीन फिलहाल तो कोई सैन्य हस्तक्षेप नहीं करना चाहता लेकिन वो आर्थिक मदद देकर ईरान को युद्ध में मजबूत बना सकता है. सीधी बात तो ये है कि चीन, मध्य-पूर्व में अपने गैस,तेल के हितों को साधने के लिए अपनी रणनीति तय करेगा, अगर ईरान के खिलाफ अमेरिका-इज़रायल गठबंधन मजबूत होता दिखा, तो चीन कोई बड़ा फैसला कर सकता है.
मध्य पूर्व में कौन है किसके साथ ?
- ईरान की ड्रोन हमलों के खिलाफ इज़रायल को मिला जॉर्डन का साथ
- सऊदी अरब और UAE फिलहाल तटस्थ हैं
- तुर्की ने मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा, लेकिन उसके इज़रायल के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं
- भारत ने शांति की अपील की है, मध्य पूर्व में मौजूद भारतीय नागरिकों से वापस लौटने की अपील की है
World War से तेल में लगेगी आग
भारत, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ शांति स्थापना पर जोर दे रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने दोनों पक्षों की शांति वार्ता कराने पर ज़ोर दिया है, तो वहीं अगर ईरान-इज़रायल के बीच आधिकारिक तौर पर युद्ध शुरु हो जाता है, तो आने वाले वक्त में तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है, जिसका असर सीधे तौर पर कई देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. और अगर World War शुरु हो गई तो इसका असर व्यापक तौर पर पूरी दुनिया में देखा जाएगा. और फिर तेल के दाम में लगने वाली आग पूरी दुनिया की अर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित करेगी. फिलहाल ईरान-इज़रायल के बीच परमाणु युद्ध की संभावना नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच जारी तनाव को देखते हुए अभी कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है.