
Ken River Pollution
बांदा की रिपोर्ट। संवाददाता-दीपक पांडेय।
बांदा में केन नदी की पुकार: भ्रष्टाचार और प्रदूषण की गंगा में डूबा शहर
बांदा की जीवनरेखा केन नदी आज गटर बन चुकी है, और इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है नगर पालिका परिषद को। Ken River Pollution ने अब लखनऊ तक हड़कंप मचा दिया, जहां उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने नगर पालिका को 2.6 करोड़ रुपये की नोटिस ठोक दी। 27 नवंबर 2024 को जारी नोटिस में साफ कहा गया—करिया नाले का अनुपचारित सीवेज सीधे केन में डाला जा रहा, और नगर पालिका ने बायोरेमिडियेशन जैसा कोई कदम नहीं उठाया। नतीजा? केन का पानी जहरीला हो चुका। लेकिन असली तमाशा तो नगर पालिका की अध्यक्षा और उनके प्रतिनिधि पुत्र की मनमानी और भ्रष्टाचार की कहानी है, जो लखनऊ मुख्यालय तक गूंज रही। जनता पूछ रही—क्या यह नोटिस रद्दी की टोकरी में जाएगी, या केन को बचाने की कोई ठोस कोशिश होगी?
Ken River Pollution: केन नदी की बदहाली के आंकड़े
Ken River Pollution की कहानी बांदा के लिए नई नहीं। आंकड़ों की जुबानी:
पहले क्या था?: 1990 तक केन नदी का पानी पीने और स्नान के लिए उपयुक्त था। BOD (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) 3 mg/L से कम और फीकल कोलिफॉर्म 500 MPN/100 ml से नीचे था।
अब क्या है?: 2024 में CPCB की रिपोर्ट के मुताबिक, बांदा में केन का BOD 10-15 mg/L तक पहुंच गया, और फीकल कोलिफॉर्म 50,000 MPN/100 ml से ज्यादा। यह पानी नहाने लायक भी नहीं।
क्यों गंदी हुई?: करिया और निम्नी नाले का अनुपचारित सीवेज, शहर का कचरा, और औद्योगिक अपशिष्ट केन में डाला जा रहा। नगर पालिका ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की कोई व्यवस्था नहीं की।
UPPCB की नोटिस में कहा गया कि जुलाई 2020 से अक्टूबर 2024 तक (52 महीने) नियमों का उल्लंघन हुआ, जिसके लिए 5 लाख रुपये प्रतिमाह की दर से 2.6 करोड़ की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई गई। नोटिस का जवाब 15 दिन में न देने पर यह राशि वसूल होगी।
Ken River Pollution: सरकार की कोशिशें या सिर्फ जुमले?
Ken River Pollution को रोकने के लिए सरकार ने क्या किया?
केन-बेतवा लिंक परियोजना: 2024 में PM मोदी ने 49,000 करोड़ की इस परियोजना की नींव रखी, जिसका दावा है कि यह बांदा में बाढ़ और जल संकट कम करेगा। लेकिन प्रदूषण पर इसका कोई सीधा असर नहीं।
नमामि गंगे का हिस्सा?: केन गंगा की सहायक नदी नहीं, इसलिए नमामि गंगे के तहत कोई फंड नहीं। फिर भी, UPPCB ने 2018 से नालों को टैप करने के निर्देश दिए, जो नगर पालिका ने नजरअंदाज किए।
STP की कमी: बांदा में कोई कार्यशील STP नहीं। 2023 में एक 10 MLD STP की योजना बनी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों में वह भी अटकी।
X पर एक यूजर ने तंज कसा, “बांदा में केन नदी को गटर बनाया, और नगर पालिका भ्रष्टाचार में डूबी। सरकार की मंशा साफ, लेकिन जिम्मेदार कौन?”
भ्रष्टाचार की गंगा: नगर पालिका पर सवाल
नगर पालिका की अध्यक्षा और उनके प्रतिनिधि पुत्र पर भ्रष्टाचार के आरोप लखनऊ तक पहुंच चुके। UPPCB की नोटिस में साफ है कि करिया नाले का सीवेज अनटैप्ड है, और बायोरेमिडियेशन का कोई काम नहीं हुआ। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों (O.A. 593/2017) का भी उल्लंघन हुआ। जनता पूछ रही—नगर विकास का बजट कहां गया? क्या सारा पैसा भ्रष्टाचार की गंगा में बह गया?
नवागत अधिशासी अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश नाकाम रही—फोन की घंटी बजी, फिर सन्नाटा। व्यापारी और किसान तंज कसते हैं, “नगर पालिका को नोटिस मिली, लेकिन क्या बदलेगा? सत्ता का रसूख और पैसा बोलता है।”
केन की पुकार सुनो, बांदा!
Ken River Pollution ने बांदा की आत्मा को झकझोर दिया। UPPCB की 2.6 करोड़ की नोटिस एक चेतावनी है, लेकिन क्या नगर पालिका जागेगी? केन को बचाने के लिए ठोस कदम चाहिए—STP, नालों का टैपिंग, और भ्रष्टाचार पर लगाम। सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे—जब गंगा और यमुना की सफाई के लिए अरबों खर्च हो रहे, तो केन क्यों उपेक्षित?