
RSS Chief Mohan Bhagwat क्या Banke Bihari Corridor विवाद पर संतों की बात भी सुनेंगे?
बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर मचा बवाल अब संघ के दरवाजे तक पहुंचा — क्या RSS Chief Mohan Bhagwat देंगे संत समाज की भावनाओं को आवाज या मथुरा प्रवास सिर्फ प्रशिक्षण तक सिमट कर रह जाएगा?
संवाददाता-अमित शर्मा
मथुरा, उत्तर प्रदेश।
RSS Chief Mohan Bhagwat का तीन दिवसीय Mathura Visit आज से शुरू हो चुका है, जिससे तीर्थनगरी मथुरा का सियासी और सांस्कृतिक तापमान नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। इस प्रवास में RSS Chief Mohan Bhagwat फरह स्थित दीनदयाल गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में चल रहे कार्यकर्ता विकास वर्ग में भाग ले रहे हैं। यह 20 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 28 मई से चल रहा है, जिसमें देशभर से आए 251 प्रशिक्षार्थी हिस्सा ले रहे हैं। तीन दिन तक भागवत यहां प्रशिक्षुओं से संवाद करेंगे, लेकिन सवाल ये है कि क्या उनका यह प्रवास केवल प्रशिक्षण तक सीमित रहेगा या Banke Bihari Corridor पर चल रहे विवाद की नब्ज भी टटोली जाएगी?

RSS Chief Mohan Bhagwat के Mathura Visit पर पूरा संघ और प्रशासन सतर्क है। भागवत 12 से 14 जून तक यहीं प्रवास करेंगे और अलग-अलग सत्रों में स्वयंसेवकों से संवाद करेंगे। हालांकि कार्यक्रम पूरी तरह “संघ के प्रशिक्षण” तक सीमित है, लेकिन देश की सबसे गरमाई हुई आस्था बनाम विकास वाली लड़ाई – Banke Bihari Corridor – का शोर इतना तेज़ है कि अब सवाल उठने लगे हैं: क्या RSS Chief Mohan Bhagwat इस पर चुप रहेंगे?
क्या RSS Chief Mohan Bhagwat टटोलेंगे बांके बिहारी की नब्ज?
बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर Vrindavan Protest जिस तरह उफान पर है, उसमें अब स्थानीय सेवायतों और संत समाज की नजरें भागवत पर टिक गई हैं। गुरुवार को ही सेवायतों ने गंगाजल से पूजन कर कॉरिडोर न बनने की ठाकुरजी से प्रार्थना की। उनका कहना है – “अगर सरकार अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ती, तो हम भी अपने ठाकुर को नहीं छोड़ेंगे।”
अब चर्चा ये है कि क्या कॉरिडोर का विरोध कर रहे गोस्वामी और संत समाज RSS Chief Mohan Bhagwat से मुलाकात की कोशिश करेंगे? क्या वे मोहन भागवत को अपनी अर्जी देकर केंद्र सरकार तक अपनी पीड़ा पहुंचाना चाहेंगे?
कॉरिडोर बनाम परंपरा: क्या संघ भी कुछ बोलेगा?
गौरतलब है कि अब तक योगी सरकार इस प्रोजेक्ट को श्रद्धालुओं की सुविधा से जोड़कर देखती रही है, लेकिन सेवायतों और साधु-संतों को यह “आस्था का अधिग्रहण” लग रहा है। ऐसे में जब RSS Chief Mohan Bhagwat, Mathura Visit पर हों, तो स्वाभाविक रूप से सवाल उठेगा कि क्या संघ प्रमुख इस ताजे विवाद पर अपनी कोई राय रखेंगे या इसे पूर्णतः सरकार का मामला मानकर दूरी बनाए रखेंगे?
संघ का हमेशा से धार्मिक-सांस्कृतिक संस्थानों को लेकर स्पष्ट स्टैंड रहा है, खासकर जब बात सनातन परंपरा की आत्मा से जुड़ी हो। यही वजह है कि वृंदावन की कुंज गलियों और ठाकुर जी के निज मंजर में जब सरकार “विकास” की बुलडोजर लेकर घुसती दिख रही है, तो साधु समाज चाहता है कि कोई तो “संघ” में से उनकी भी सुने।
मीडिया बाहर, लेकिन निगाहें अंदर
भागवत के कार्यक्रम में मीडिया का प्रवेश वर्जित है, लेकिन यह साफ है कि RSS Chief Mohan Bhagwat Mathura Visit के दौरान क्या बोलेंगे, क्या सुना जाएगा – उसे लेकर संघ के भीतर-बाहर गहरी दिलचस्पी है। क्योंकि एक तरफ कार्यकर्ता विकास वर्ग की गूंज है, तो दूसरी तरफ बांके बिहारी मंदिर से उठती पुकार: “कुंज गलियों को मत तोड़ो, ठाकुर जी यहीं बसते हैं।”
संघ अगर इस मुद्दे पर मौन भी रहता है, तो भी ये मौन कई संकेत छोड़ जाएगा – खासकर उस समय जब मंदिर और परंपरा के नाम पर राजनीति अपने चरम पर है।
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