
Sambhal News: संभल की बदलेगी सूरत, नदियों में बहेगी ‘अमृत धारा’ !
Sambhal News:
संभल में पांच नदियों के पुनरुद्धार की मुहिम तेज़, 60% कार्य हुआ पूरा: डीएम
संभल जिले (Sambhal News) में पांच प्राचीन नदियों के पुनरुद्धार को लेकर जिला प्रशासन ने तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। जिलाधिकारी राजेन्द्र पेंसिया ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से जानकारी दी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “वन डिस्ट्रिक्ट वन रिवर” अभियान के अंतर्गत जनपद में पांच नदियों सोत, महावा, अरिल, वर्धमार और महिष्मति के पुनरुद्धार का कार्य जारी है, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है।
सोत नदी बनी मॉडल, पीएम मोदी ने की थी सराहना
डीएम ने बताया कि सोत नदी, जो संभल की सबसे लंबी नदी है (लगभग 112 किमी), का पुनरुद्धार कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यह नदी अमरोहा से होती हुई संभल के ग्राम मातीपुर धकतोड़ा में प्रवेश करती है और गंगा नदी की सहायक है। मनरेगा के तहत 71 ग्राम पंचायतों में इस नदी को पुनर्जीवित किया गया। किनारों पर बांस के पौधे लगाए गए और मच्छरों से बचाव के लिए गैम्बूसिया मछलियाँ भी छोड़ी गईं। इस परियोजना के अंतर्गत 1,72,752 मानव दिवस सृजित कर श्रमिकों को रोज़गार भी मिला।
महावा और अरिल नदियों पर भी कार्य प्रगति पर
महावा नदी, जिसकी लंबाई 42.5 किमी है, जनपद के 38 ग्राम पंचायतों में प्रवाहित होती है। अब तक 11.9 किमी का पुनरुद्धार कार्य पूर्ण हो चुका है और 48,043 मानव दिवस सृजित किए गए हैं। वहीं, अरिल नदी (लंबाई 22.6 किमी), जो पूर्णतः विलुप्त हो चुकी थी, उसका 18.5 किमी क्षेत्र पुनर्जीवित किया गया है, जिससे 2,855 मानव दिवस सृजित हुए।


वर्धमार और महिष्मति नदी
वर्धमार नदी, जो 14.1 किमी लंबी है और 11 ग्राम पंचायतों से होकर बहती थी, अब पुनरुद्धार के अंतर्गत कार्यरत है, और अब तक 906 मानव दिवस सृजित हुए हैं।
महिष्मति नदी, जिसे आज “भैंस नदी” के नाम से जाना जाता है, जनपद के प्राचीन 87 तीर्थ स्थलों में से एक है। मणिकर्णिका तीर्थ के पास खुदाई कार्य शुरू हो चुका है। इसके अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों का सर्वेक्षण प्रसिद्ध पर्यावरणविद व गंगा विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्त की टीम द्वारा किया गया है। डीपीआर बनवाई जा रही है, जिससे नदी को नहर से जोड़कर वर्षभर जल प्रवाह सुनिश्चित किया जा सकेगा और सीवेज को ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा।
डीएम ने बताया कि वर्षा जल संरक्षण के लिए जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के सुझाव पर मनरेगा योजना के अंतर्गत गौशालाओं व अन्य स्थलों पर ट्रेंच बनाए जाएंगे, ताकि वर्षा जल को संरक्षित किया जा सके।