
Breastfeeding Room
महिलाओं की सुविधा और सम्मान के लिए उठाया गया सराहनीय कदम, बड़ौत बस डिपो पर खुला प्रदेश का पहला ‘Breastfeeding Room’
पहला कदम, बड़ी राहत: Breastfeeding Room की शुरुआत
संवाददाता-राहुल चौहान
बागपत ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। बड़ौत बस डिपो पर बना प्रदेश का पहला ‘Breastfeeding Room’ अब उन माताओं को राहत देगा जो सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने में असहजता महसूस करती थीं। इस खास पहल को महिलाओं की गरिमा और नवजात के स्वास्थ्य दोनों की दृष्टि से एक बेमिसाल शुरुआत माना जा रहा है।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने इस कक्ष का उद्घाटन किसी मंत्री या अधिकारी से नहीं, बल्कि एक सामान्य महिला यात्री से करवाया। यह कदम अपने आप में यह बताता है कि असली बदलाव तब आता है जब आम महिलाओं को नेतृत्व में लाया जाता है।
प्लास्टिक से पुनर्निर्माण: पर्यावरण की भी चिंता
यह Breastfeeding Room केवल एक सामाजिक सुविधा नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता का भी प्रतीक है। 350 किलो प्लास्टिक, 170 किलो आयरन स्क्रैप और 15 किलो लकड़ी जैसी फिर से उपयोग की गई सामग्रियों से इसे तैयार किया गया है। इससे यह साफ संदेश जाता है कि समाजहित और पर्यावरण का संतुलन एक साथ संभव है।
डॉ. अभिनव तोमर और उनकी संस्था लिटिल फिट फाउंडेशन ने WHO और यूनिसेफ के सहयोग से इसे हकीकत में बदला। यह पहल नवजात शिशुओं के पोषण और माताओं की सुविधा दोनों को एक साथ ध्यान में रखती है।
मातृत्व को मिला सम्मान: Breastfeeding Room की जरूरत
भारत में हर साल लाखों महिलाएं ऐसी स्थिति में होती हैं जहां उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराना पड़ता है, लेकिन यह न तो सुविधाजनक होता है, न ही सुरक्षित। यही वजह है कि बागपत का यह ‘Breastfeeding Room’ एक क्रांतिकारी कदम के रूप में सामने आया है।
यह न सिर्फ मां-बच्चे के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनने का भी अवसर देता है। यह कक्ष महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में अधिक सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रेरित करेगा।
तकनीकी और मानवीय सहयोग का नतीजा
इस पूरे प्रोजेक्ट में तकनीकी सहयोग WHO और यूनिसेफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मिला। वहीं ज़मीन पर काम करने वाली संस्था लिटिल फिट फाउंडेशन और डॉ. अभिनव तोमर ने इसे संभव बनाया। इस साझेदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सोच बड़ी होती है, तो बदलाव मुमकिन होता है।
अब ये जरूरी हो गया है कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी मॉडल को अपनाया जाए, ताकि हर महिला को यह सुविधा मिले और कोई मां अपने बच्चे के पोषण को लेकर कभी समझौता न करे।
अब बारी दूसरे जिलों की: Breastfeeding Room
बागपत की यह पहल एक मिसाल है और प्रदेश के अन्य शहरों को इससे सीख लेने की जरूरत है। महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान को ध्यान में रखकर इस तरह की सुविधाएं और भी जगहों पर शुरू की जानी चाहिए।
Breastfeeding Room सिर्फ एक निर्माण नहीं, बल्कि यह एक सोच है—जिसमें महिलाओं को सार्वजनिक स्थलों पर भी अपने मातृत्व को सम्मान और सुविधा मिलती है। सरकार और समाज को मिलकर इसे एक आंदोलन का रूप देना चाहिए।