Bihar Election Fixed
राहुल गांधी के “Bihar Election Fixed” बयान से उठा सवाल— जब सबकुछ फिक्स है तो कांग्रेस मैदान में क्यों है, कन्हैया क्यों एक्टिव और सीटों की डिमांड क्यों आक्रामक?
राहुल गांधी का ‘प्री-डिफीट’ स्टेटमेंट — “Bihar Election Fixed!”
क्या आपने कभी क्रिकेट मैच शुरू होने से पहले हार का ठीकरा अंपायर पर फोड़ते किसी कप्तान को देखा है? नहीं? तो लीजिए, राहुल गांधी ने ये काम राजनीति में कर दिखाया है!
जी हां, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा ठोंक दिया है कि “Bihar Election Fixed” है।
लेकिन सवाल है—
अगर चुनाव फिक्स हैं, तो कांग्रेस मैदान में झंडा लेकर क्यों दौड़ रही है?
क्या ये वही पार्टी नहीं है जिसने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महज 19 सीटें जीती थीं और पूरे महागठबंधन की लुटिया डुबो दी थी?
अब बिहार की जनता पूछ रही है, “भैया, जब फिक्सिंग ही मान ली है तो EVM की जगह स्पीकर लेकर क्यों घूम रहे हो?”
70 सीटों पर चुनाव, 19 सीटें आईं… फिर भी मांग 90 की?
2020 में जब महागठबंधन बना था, कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं।
जीती कितनी? सिर्फ 19!
RJD और वामपंथियों के मुकाबले सबसे खराब स्ट्राइक रेट कांग्रेस का था – 27% भी नहीं!
अब 2025 आते-आते कांग्रेस 90 से ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है,
और ऊपर से दावा ये कि “Bihar Election Fixed” है!
तो सवाल है—
जब सीटें फिक्स नहीं हुईं, प्रदर्शन फिक्स नहीं हुआ, गठबंधन में तालमेल फिक्स नहीं हुआ…
तो फिर सिर्फ हार का बहाना क्यों फिक्स है?
तो क्या कांग्रेस ने बिहार चुनाव से पहले ही हार मान ली है?
क्या ये बयान ‘पराजय की पूर्व सूचना’ है, ताकि हार के बाद बचे-खुचे साख की रक्षा हो सके?
राहुल गांधी कर रहे हैं बिहार में मेहनत, और ऊपर से कह रहे हैं फिक्स?
राहुल गांधी बिहार में सभाएं कर रहे हैं, यात्राएं निकाल रहे हैं,
कन्हैया कुमार को बिहार में एक्टिव मोड में भेजा गया है,
जमुई से लेकर जहानाबाद तक ‘यूथ चार्ज’ लगाया जा रहा है —
तो फिर जनता पूछे—
“भैया, जब सबकुछ फिक्स है तो इतनी मेहनत किसके लिए?”
या फिर ये मेहनत ‘हार के बाद’ कहने के लिए है — कि हमने सब कुछ किया, लेकिन बीजेपी ने ‘फिक्सिंग’ कर ली?
महागठबंधन के भीतर ही ‘बयान फिक्स’ नहीं हो पा रहे!
अब जरा तेजस्वी यादव को सुनिए, जो इसी महागठबंधन के उभरते हुए ‘सीएम मटेरियल’ हैं।
उनका कहना है— “जनता इस बार नीतीश कुमार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी।”
अरे भाई, जब राहुल गांधी कह रहे हैं कि “Bihar Election Fixed”, तो तेजस्वी कौन से सेट पर शूटिंग कर रहे हैं?
एक ही मंच पर दो स्क्रिप्ट!
लगता है महागठबंधन में बयानबाज़ी का टेलीप्रॉम्प्टर फिक्स नहीं हो पाया है, और बयान आते ही फिसल जाते हैं।
हार की गद्दी पर बैठकर जीत का नाटक?Bihar Election Fixed
अब बड़ा सवाल—अगर कांग्रेस को पहले से मालूम है कि “Bihar Election Fixed” है,
तो वो चुनाव लड़ ही क्यों रही है?
क्या सिर्फ़ इसीलिए कि चुनाव के बाद बयान देने को तैयार स्क्रिप्ट पहले से सेट हो —
“हम तो पहले ही कह रहे थे, चुनाव फिक्स था!”
जनता पूछ रही है—
“तो फिर नामांकन क्यों? रैलियां क्यों? घोषणापत्र क्यों? और सबसे बड़ा सवाल – तेजस्वी से गठबंधन क्यों?”
कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस को सिर्फ़ ‘बहाना फिक्स’ करना आता है, चुनाव नहीं?
कांग्रेस का ‘पूर्व-आलोचना अधिकार’ सुरक्षित-Bihar Election Fixed
राजनीति में ‘पूर्व सूचना’ का नया ट्रेंड कांग्रेस ने ही शुरू किया है।
महाराष्ट्र में सरकार बनी नहीं थी, कांग्रेस बोल रही थी— “फिक्स है!”
बिहार में चुनाव हुआ नहीं, राहुल गांधी बोले— “फिक्स है!”
लगता है कांग्रेस अब चुनाव नहीं, भविष्यवाणी की राजनीति कर रही है!
और इधर जनता बोल रही है—
“भैया, फिक्सिंग की फिल्म देखी नहीं और आप रिव्यू देने आ गए?”
महागठबंधन के गठबंधन में ही गठजोड़ गड़बड़!Bihar Election Fixed
एक तरफ कांग्रेस कह रही है कि Bihar Election Fixed है,
दूसरी तरफ RJD दावा कर रही है कि “जनता बदलाव लाएगी”।
तो सवाल उठता है—
क्या कांग्रेस और आरजेडी के बीच कोई आंतरिक सर्वे हुआ है जिसमें बताया गया कि किसे ‘बहाना’ बनाना है और किसे ‘उम्मीद’ जगानी है?
या फिर ये गठबंधन नहीं, ‘फिक्स और फिक्शन’ का गठजोड़ है?
बिहार चुनाव तो जनता लड़ेगी, कांग्रेस बस स्क्रिप्ट लिख रही है!
राहुल गांधी का “Bihar Election Fixed” बयान सुनकर जनता अब पूछ रही है—
“क्या कांग्रेस खुद को डिफॉल्ट लूज़र घोषित कर रही है?”
क्योंकि जब लड़ाई शुरू होने से पहले ही आप हार का सर्टिफिकेट लिए घूम रहे हों,
तो फिर मैदान में क्या खाक जीत पाएंगे?

Nice article.