
Hope-अफजाल अंसारी
गाजीपुर में अफजाल अंसारी का Hope भरा फेसबुक पोस्ट वायरल, विरोधियों पर सीधा व्यंग्य—but जनता अब शायरी नहीं, काम देखना चाहती है!
🌀 “Hope” का हथियार या हार की हताशा?
गाजीपुर की राजनीति में जब भी कोई जनप्रतिनिधि चुनाव हारता है, तो या तो वो “मन की बात” करने लगता है या “Hope” की। अफजाल अंसारी भी अब उसी रास्ते पर हैं। एक साल पहले चौथी बार संसद की दहलीज़ चूमने का सपना लिए चले थे, और अब फेसबुक पर अपने सपनों की राख समेटते हुए Hope बांट रहे हैं।
सोशल मीडिया पर उनका नया पोस्ट वायरल है, जिसमें वो खुद को गिरा हुआ नहीं बता रहे हैं, लेकिन गिराने वालों की लिस्ट लहराते हुए कह रहे हैं – “कुछ लोग मुझे गिराने में बार-बार गिरे।” वाह जनाब! आप गिरते नहीं, सिर्फ गिराए जाते हैं – मतलब गिरावट भी आपके खिलाफ साजिश है! अब इसे Hope कहें या Hopelessness, ये जनता तय करे।
🔥 सियासत की स्याही से लिखी “Hope” की शायरी
“Hope” का सहारा लेकर अफजाल अंसारी ने बड़ा शायराना मूड बनाया है। राजनीति में “ठाट-बाट” को ठोकर मारने की बात करने वाले नेता खुद कब VIP सुरक्षा घेरे में फोटो खिंचवाते हैं, ये सबको मालूम है। दबे-कुचलों की लड़ाई की बात तो ठीक है, लेकिन पिछली बार जब सड़क से सदन तक का वादा किया था, तब सड़कों की हालत और सदन में उपस्थिति – दोनों सवालों के घेरे में थे।
अब जब साजिश के शिकार बनकर खुद को “Hope” का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया गया है, तो गाजीपुर की जनता पूछ रही है – “Hope तो ठीक है, लेकिन कार्रवाई कब होगी?”
जब हर हार में “Hope” दिखे, समझो नेता हार नहीं मान रहा
“Hope” शब्द से लैस अफजाल अंसारी ने अपने विरोधियों को “गिराने वाला गिरा हुआ” साबित करने की काव्यात्मक कोशिश की है। लेकिन जनाब, सच्चाई ये भी है कि जनता अब शायरी से नहीं, सर्विस से प्रभावित होती है।
जमीन पर बिजली नहीं, नाली नहीं, सड़क नहीं – लेकिन फेसबुक पर Hope ज़रूर है! यानी डिजिटल विकास हुआ है। और यही डिजिटल Hope जब वायरल होती है, तो जनता को याद आता है कि वादों की उम्र WhatsApp स्टेटस जितनी ही थी।
🔍 Hope के साथ Hidden Agenda?
हर सियासी “Hope” के पीछे एक एजेंडा होता है, और हर एजेंडा के पीछे एक नया चुनाव। पोस्ट में लिखा गया है कि “हम अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे” – यानी सांसें भी अब चुनावी प्लानिंग में शामिल हैं। मगर जनता ये पूछ रही है कि “भाईसाहब, सांसें बचेगी तब न?”
सच तो ये है कि इस “Hope” की चाशनी में डूबी पोस्ट, असल में एक इमोशनल लॉलीपॉप है – जिससे न तो गाजीपुर की गलियों की बदबू खत्म होगी, न बेरोजगारी का दर्द। लेकिन अफजाल साहब, आपका जज़्बा कमाल का है – हार मानकर भी Hope नहीं छोड़ी। अब इसे राजनीति की मजबूरी कहें या भावनात्मक रणनीति?
📢 जनता का Verdict: Hope कम, Action ज़्यादा चाहिए
गाजीपुर की जनता आज Facebook नहीं, Footpath देखती है। “Hope” से पेट नहीं भरता, और न ही potholes भरते हैं। अफजाल अंसारी की ये पोस्ट भले ही वायरल हो, लेकिन अब जनता उनसे विरले वादे नहीं, ठोस नतीजे चाहती है।
“हम नहीं गिरे” कहने से बेहतर होता कि आप बताते – आपने अब तक गिरे हुए इलाकों को उठाने के लिए क्या किया? लेकिन चूंकि राजनीति में गिरना भी एक कला है और गिराने वालों को दोष देना एक परंपरा, इसलिए Hope जारी है।
#Hope #AfzalAnsari #GhazipurPolitics #PoliticalDrama #VyangaVishesh #Election2025 #DigitalHope