
Illegal Mining in Pilibhit
Pilibhit में माफिया और पत्रकार का गठजोड़ – अपराध या नया पेशा?
Illegal Mining in Pilibhit: अवैध खनन अब पत्रकारिता की नई शाखा बन चुकी है – दिन में प्रेस कार्ड, रात में पटा मशीन!
अब पत्रकारिता की आड़ में खनन करना अपराध नहीं, पहचान बन गया है – जहां ईमानदारी शर्मसार और बेईमानी ब्रांडेड हो चुकी है। पीलीभीत के कुछ साहसी ‘कथित पत्रकार’ अब कैमरे की बजाय ट्रैक्टर ट्राली से रिपोर्टिंग कर रहे हैं – फर्क बस इतना है कि ये ‘स्टोरी’ खुद की जेब में जाती है!
Illegal Mining in Pilibhit:🌙 रात में “Breaking News”, लेकिन खनन वाली!
अवैध खनन का नज़ारा अब पीलीभीत में इतना आम हो गया है कि लगता है जैसे खनन ही ‘प्राइम टाइम शो’ है।थाना गजरौला क्षेत्र के पिपरिया भजा गांव में रात 2 बजे से ही “शिफ्ट” शुरू हो जाती है – पटा मशीनें गरजती हैं, ट्रैक्टर ट्रालियां भरती हैं, और शासन-प्रशासन बस नींद पूरी करता है।
कथित पत्रकार दिन में प्रशासन की फाइलों में घूमते हैं, और रात में मिट्टी के पहाड़ काटते हैं।
Illegal Mining in Pilibhit:💼 पत्रकार बनो, माफिया बनो – सब इन-हाउस पैकेज!
अवैध खनन अब दोहरी पहचान का प्रमाण पत्र बन चुका है।यहां पत्रकार का मतलब वही है जो खनन माफिया हो – और खनन माफिया वही है जो पत्रकार कहलाता हो।ना डिग्री चाहिए, ना ईमानदारी – बस ‘प्रेस’ का स्टीकर और एक ट्रैक्टर चाहिए! इनके लिए मीडिया महज़ एक ढाल है – असली हथियार तो पटा मशीन और ट्राली है।
🧾 खनन विभाग बोले – “हम क्या करें, आंखों पर पट्टी है!”
जब बात आती है Illegal Mining की, तो राजस्व विभाग और प्रशासन का रटा-रटाया जवाब आता है – “हमें जानकारी नहीं थी।”
पिपरिया भजा और उगनापुर गांव के बीच जिस तरह अवैध मिट्टी गिराई जा रही है, ऐसा लगता है मानो ‘खनन कुंभ’ चल रहा हो और सरकारी अफसर उसमें व्रत रखे बैठे हों।ट्रैक्टर दिन-ब-दिन चल रहे हैं, मिट्टी बिछ रही है, मगर जांच की रफ्तार वो ही पुरानी – कछुआ + आराम!
एडीएम (जे) की एंट्री – देर आए, दुरुस्त आए या बस दिखावे के लिए?
जब Illegal Mining in की खबर आखिरकार एडीएम (जे) तक पहुंची, तब निर्देश जारी हुए – “जांच कराओ!”
अब जनता सांस रोक कर देख रही है कि जांच का नतीजा क्या निकलता है –पटा मशीनें जब्त होंगी या फिर नोटों से भरकर फाइलें बंद कर दी जाएंगी? क्या कोई कार्रवाई होगी या एक और “सूचना प्राप्त हुई है” वाला ड्रामा चलेगा?
पत्रकारिता का कफन ओढ़े खनन का ताज पहन चुके हैं!
अवैध खनन अब अपराध नहीं, यहां का ‘कैरियर ऑप्शन’ बन गया है। जिस मिट्टी को बचाना था, वही मिट्टी अब शासन की आंखों में झोंकी जा रही है। कथित पत्रकारों की ये मंडली आज मीडिया को बदनाम कर रही है, प्रशासन को ठेंगा दिखा रही है और खनन को संविधान का पांचवां स्तंभ बना रही है।अब सवाल ये नहीं कि कौन कर रहा है, सवाल ये है – कौन नहीं कर रहा!
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Nice presentation.
बिल्कुल सत्य लिखा है यही हो रहा है आजकल कुछ फर्जी पत्रकारों की वजह से अच्छे पत्रकारों की छवि भी धूमिल हो रही है