
Bengaluru Stampede पर कांग्रेस क्यों मौन?
Bengaluru Stampede: कांग्रेस की दोहरी नीति बेनकाब, कुंभ और RCB पर अलग-अलग मापदंड क्यों?
Bengaluru Stampede:4 जून 2025 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में उस समय मातम पसर गया जब RCB की IPL 2025 जीत का जश्न एक भीषण भगदड़ में बदल गया।M. Chinnaswamy Stadium के बाहर इकट्ठा हज़ारों फैंस में अचानक अफरा-तफरी मच गई।नतीजा—11 लोगों की दर्दनाक मौत और 33 घायल।लेकिन इस हादसे के बाद कांग्रेस सरकार की प्रतिक्रिया जितनी ठंडी थी, उससे ज़्यादा गर्म बहस इस बात पर हुई कि जब सरकार भाजपा की होती है तो कांग्रेस नेता भगदड़ पर राजनीति करते हैं, लेकिन जब सरकार अपनी होती है, तो चुप्पी साध लेते हैं।
🛑 Bengaluru Stampede हादसा रोका जा सकता था?
यहां सवाल उठता है कि, क्या Bengaluru Stampede रोका जा सकता था। जवाब है हां, वो कैसे बताते हैं आपको-
भीड़ प्रबंधन के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं थे।
पुलिस की संख्या कम, बैरिकेडिंग अधूरी, और आयोजन का प्रचार अधिक।
जब भीड़ काबू से बाहर हुई, लोग एक-दूसरे पर चढ़ते चले गए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने घटना पर दुख ज़रूर जताया और मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए,लेकिन किसी ने इस्तीफे की बात नहीं की, न ही कांग्रेस आलाकमान से कोई सख़्त प्रतिक्रिया आई।
➡️ यहाँ कांग्रेस की चुप्पी ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया – क्या मौतों पर भी राजनीति की जाती है?
🔍 Bengaluru Stampede:तुलना: कुंभ मेला भगदड़ और कांग्रेस की प्रतिक्रियाएं
यहां सवाल उठता है कि, जो कांग्रेस कुंभ में हुए हादसे पर सवाल उठा रही थी,वो कांग्रेस अब बेंगलुरु हादसे पर मौन क्यों है? आपको याद होगा कि-
Bengaluru Stampede: 29 जनवरी 2025, प्रयागराज में कुंभ मेला के दौरान भगदड़ मच गई थी।30 श्रद्धालुओं की मौत हुई और 90 घायल हुए थे।राहुल गांधी ने तुरंत योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हमला बोला था।VIP मूवमेंट को भगदड़ का कारण बताया गया था।अखिलेश यादव ने सेना से कुंभ आयोजन कराने की मांग कर दी थी।कांग्रेस ने इसे “प्रशासनिक नाकामी” कहा था।जब 30 लोग कुंभ में मरे तो कांग्रेस गरज उठी, लेकिन जब RCB परेड में 11 लोग मरे तो सब मौन क्यों?
अल्लू अर्जुन की फिल्म प्रीमियर पर भगदड़, तब कांग्रेस ने क्या किया?
Bengaluru Stampede-आपको याद होगा-
4 दिसंबर 2024, हैदराबाद में ‘पुष्पा 2: द रूल’ के प्रीमियर के दौरान भगदड़ में एक महिला की मौत हो गई थी।यहाँ कांग्रेस की सरकार थी और CM रेवंथ रेड्डी ने तुरंत कड़ा ऐक्शन लिया:
अल्लू अर्जुन को थाने बुलाया गया आयोजकों पर केस दर्ज करवाया गया। बयान दिया गया – “सेलेब्रिटी होना जिम्मेदारी से अलग नहीं कर सकता।”तो जब एक मौत हुई तो सरकार जाग गई,लेकिन जब बेंगलुरु में 11 लोग मर गए, तो जिम्मेदार कौन?क्या कारण है कि कांग्रेस की संवेदनशीलता तब ही दिखती है जब सेलेब्रिटी गैर-कांग्रेसी हो?
🧘♂️Bengaluru Stampede पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की रहस्यमयी चुप्पी?
अब जरा धर्म गुरु और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की बात कर लेते हैं-
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कुंभ मेला में भगदड़ के बाद बयान देते हैं।VIP कल्चर पर हमला बोलते हैं, सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं।लेकिन बेंगलुरु हादसे पर कोई बयान नहीं, कोई ट्वीट नहीं।
❗ सवाल – क्या कांग्रेस सत्ता में हो तो संत भी चुप हो जाते हैं?या फिर अब साधु-संतों की भी प्राथमिकताएं पार्टी देखकर तय होती हैं?
Bengaluru Stampede:भगदड़ पर आंसू भी राजनीतिक हो चुके हैं!
RCB की जीत पर लोगों ने अपनी जान गंवाई।लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया देख लगता है कि कांग्रेस के लिए मौतें भी राजनीतिक अवसर मात्र हैं।कुंभ में मरे लोग ‘हिंदू भक्त’ थे, इसलिए VIP विवाद उठाया गया।बेंगलुरु में मरे लोग ‘क्रिकेट फैंस’ थे, इसलिए उन्हें सिर्फ दुख का सर्टिफिकेट मिला। कांग्रेस की ये कौन सी राजनीति है। अब वो अपने मुख्यमंत्री से इस्तीफा क्यों नहीं मांग रही है।
🔎 जनता जानती है, अब जवाब मांगेगी
बेंगलुरु भगदड़ के ज़िम्मेदार कौन?क्यों नहीं कोई मंत्री इस्तीफा देता?क्या मजिस्ट्रियल जांच सबका जवाब है? “Bengaluru Stampede” अब सिर्फ हादसा नहीं,एक राजनीतिक आईना है, जिसमें कांग्रेस की दोहरी नीति साफ दिखती है।
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