 
                                                      
                                                शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी जायज?
शर्मिष्ठा पनोली: एक वीडियो, जेल की सजा

वजाहत खान: हिंदू अपमान, फिर भी आज़ाद

ममता बनर्जी: तुष्टिकरण की राजनीति?
महुआ मोइत्रा: काली विवाद और दोहरा रवैया

ट्रोलिंग की ट्रैजेडी — जब धर्म के नाम पर चरित्र हनन हुआ
शर्मिष्ठा पनोली का गुनाह क्या था? एक ओपिनियन देना — जिसमें ना किसी का नाम लिया, ना किसी धर्म का सीधा उल्लेख। लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया पर उसे जिस तरह निशाना बनाया गया, वह किसी डिजिटल लिंचिंग से कम नहीं था। धमकियाँ, चरित्र हनन, और वज़ाहत ख़ान का केस — सब कुछ इतना सुनियोजित लगा कि मानो एक एजेंडा चलाया गया हो। और हैरानी कि बात यह है कि, जो लोग महिला अधिकारों की बात करते हैं, वे इस महिला को बचाने के लिए कहीं नहीं दिखे!
सवाल जो इस सिस्टम से पूछे जाने चाहिए
- 
वज़ाहत ख़ान के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं? 
- 
महुआ मोइत्रा आज़ाद क्यों, शर्मिष्ठा दोषी क्यों? 
- 
क्या ममता बनर्जी का सेक्युलरिज़्म सिर्फ मुसलमानों तक सीमित है? 
- 
क्या महिला की आज़ादी का अधिकार सिर्फ कुछ ‘सेलेक्टेड’ महिलाओं को है? 
- 
क्या हिंदू होना इस देश में अब गुनाह बन चुका है? 

 
         
         
        