 
                                                      
                                                Banda news बांदा में अवैध खनन पर बैठक,होगी कार्रवाई?
Banda news: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवैध खनन और अवैध परिवहन का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है। सितंबर से शुरू होने वाला खनन सीजन साल भर अवैध गतिविधियों की खबरों से गूंजता रहता है। ओवरलोडिंग और नियमों की अनदेखी इस कारोबार का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। जनवरी 2025 में बांदा की जिलाधिकारी (डीएम) जे. रीभा ने जिम्मेदारी संभाली थी, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर उनकी चुप्पी और ठोस कार्रवाई की कमी चर्चा का विषय रही है। अब, जब खनन सीजन का मात्र एक महीना बचा है, तो डीएम ने अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए एक बैठक बुलाई, जिसके निर्देश औपचारिकता मात्र प्रतीत होते हैं।

Banda news:यहां सवाल उठता है कि, आखिर बांदा में अवैध खनन क्यों नहीं रुक रहा है? जिला प्रशासन और संबंधित विभाग इसे लेकर कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करता है? जबाव बताने की जरूरत नहीं है। दरअसल भ्रष्टाचार का दीमक भारत को ऐसा चाट गया है कि, पूरा सिस्टम ही खोखला हो गया। कहने में गुरेज नहीं कि, आज पैसे के बल पर आप कोई काम करा सकते हैं। बांदा में भी यही खेल चल रहा है। कहने को कभी-कभी कुछ अवैध खनन करने वालों पर कार्रवाई हो जाती है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही खेल शुरू हो जाता है।
क्यों नहीं रुक रहा अवैध खनन?
बांदा में अवैध खनन और परिवहन की समस्या के पीछे कई कारण हैं:

📣कमजोर निगरानी: जिला और तहसील स्तर पर गठित टास्क फोर्स की निगरानी अप्रभावी रही है। ड्रोन और सैटेलाइट जैसी तकनीकों का उपयोग न के बराबर है। बिहार में सैटेलाइट मॉनिटरिंग की पहल एक अच्छा उदाहरण है, जो बांदा में लागू नहीं हुई।
📣माफिया और प्रशासन की कथित साठगांठ: सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में दावा किया गया कि खनन माफिया को प्रशासनिक संरक्षण हासिल है। उदाहरण के लिए, हटेटीपुरवा में NGT नियमों को ताक पर रखकर खनन की शिकायतें सामने आईं।
📣कमजोर दंड: जब्त वाहनों पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है, जो माफिया के लिए कोई बड़ा झटका नहीं है। झांसी में फरवरी 2025 में 44 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया, लेकिन खनन गतिविधियां जारी रहीं।
📣पर्यावरण और किसानों का नुकसान: अवैध खनन से नदियों का स्वरूप बिगड़ रहा है, और गहरे गड्ढों से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। जालौन में किसानों की फसलों को माफिया ने उखाड़ दिया, जिससे आक्रोश फैला।
क्या यह बैठक बदलेगी तस्वीर?
Banda news:डीएम जे. रीभा की बैठक और निर्देश एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन कई कारणों से यह औपचारिकता प्रतीत होती है:

📌देर से कार्रवाई: खनन सीजन के अंतिम महीने में बैठक बुलाना समय की कमी को दर्शाता है। मार्च 2025 में डीएम के औचक निरीक्षण में अवैध गतिविधियां पकड़ी गई थीं, लेकिन उसके बाद भी माफिया सक्रिय रहे।
📌निगरानी का अभाव: बांदा में ड्रोन या सैटेलाइट मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं है, जो अन्य राज्यों जैसे बिहार और छत्तीसगढ़ में लागू है।
समाधान के लिए सुझाव

अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए क्या-क्या उठाए जा सकते हैं?
📊तकनीकी निगरानी: सैटेलाइट और ड्रोन आधारित निगरानी शुरू की जाए, जैसा कि बिहार में लागू है।
👮♂️कठोर दंड: जुर्माने के साथ-साथ वाहनों और मशीनों की स्थायी जब्ती और माफिया के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाएं।
👨🎓संयुक्त टास्क फोर्स: पड़ोसी जिलों और राज्यों के साथ मिलकर एक संयुक्त टास्क फोर्स बनाई जाए, जैसा कि NGT ने सुझाया है।
☎पारदर्शी शिकायत तंत्र: टोल-फ्री नंबर और खनन प्रहरी ऐप जैसे तंत्र का प्रचार और उपयोग बढ़ाया जाए।
👨🌾किसानों का समर्थन: अवैध खनन से प्रभावित किसानों को मुआवजा और सुरक्षा दी जाए।

Banda news: बांदा में अवैध खनन और परिवहन एक गंभीर समस्या है, जो पर्यावरण, किसानों, और स्थानीय समुदाय को नुकसान पहुंचा रही है। डीएम जे. रीभा की हालिया बैठक और निर्देश एक शुरुआत हैं, लेकिन इनका प्रभाव तभी दिखेगा जब इन्हें सख्ती से लागू किया जाएगा। माफिया और प्रशासन के बीच कथित साठगांठ की जांच, तकनीकी निगरानी, और कठोर कार्रवाई के बिना यह समस्या हल नहीं होगी। जनता और किसानों की आवाज को सुनना और नदियों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाना अब समय की मांग है।

 
         
         
         
         
        
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