
Mirzapur Adani Thermal Power Plant Controversy
Mirzapur Adani Thermal Power Plant क्यों आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं 120 लोग? छोटे से गांव की Adani Group से क्या है लड़ाई?
New Delhi : यूपी के मिर्ज़ापुर के ददरी खुर्द गांव में Mirzapur Thermal Power Plant का निर्माण हो रहा है. ये प्रोजेक्ट Adani Group की एक सहायक कंपनी की ओर से बनाया जा रहा है जो अव यहां के गांव वालों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. गांव वालों का कहना है “हमारी जमीन चली गई. हमें मुआवजा भी नहीं मिला. इस प्लांट की वजह से हमारे बच्चे आज भूखे मर रहे हैं. पहले अधिकारी कहते थे कि हम हर घर में नौकरी देंगे. लेकिन अब कोई पूछने तक नहीं आता. दो वक्त की रोटी खाने को हम मोहताज हो गए हैं. पैसे खत्म हो चुके हैं. यही हाल रहा तो हमें आत्महत्या करनी पड़ेगी. हम लोग सरकार से मांग करते हैं कि या तो ये पावर प्लांट बंद करवाया जाए या फिर हमारी जमीन के पैसे हमें दे दिए जाएं”. ये दर्द है मिर्जापुर के ददरी खुर्द गांव के रहने वाले तमाम लोगों का जो यहां बन रहे Adani Group के Thermal Power Plant को लेकर बेहद नाराज़ हैं. मजबूरी का आलम ये है कि इस गांव के सौ से ज्यादा लोग मिर्जापुर जिला प्रशासन के आगे खुद को जिंदा जलाने की धमकी दे रहे हैं.
ज़ोर ज़बरदस्ती से हथियाई गई ज़मीन?
ददरी खुर्द गांव के लोगों का आरोप है कि ये जिस जमीन पर बनाया जा रहा है वहां 14 साल पहले उनके मकान थे. बंदूक और झूठे केसों में फंसाने के डर से औने-पौने दाम देकर उनकी जमीनें ज़ोर ज़बरदस्ती से हथिया ली गईं. इसके अलावा Thermal Power Plant को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि इसे मड़िहान के जंगल के बीचोंबीच बनाया जा रहा है. NGT से इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी नहीं मिली है. वहीं Adani Group का दावा है कि “प्लांट के लिए हुआ लेन-देन पूरी तरह से कानूनी है. प्रशासन की सहमति और नियमों कायदों के अनुसार इसे बनाया जा रहा है. अब जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो सिर्फ गुंडागर्दी कर रहे हैं. 14 साल पहले इन लोगों ने अपनी जमीनें खुद वेलस्पन कंपनी को बेची थी… अब वही प्रोजेक्ट हमारे अंडर है.”
पूरा विवाद समझने के लिए हमें 14 साल पीछे जाना होगा.
साल 2011 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उन्ही के कार्यकाल में Mirzapur Thermal Power Plant बनाने का ऐलान किया गया था और इसकी जिम्मेदारी Welspun Energy Company को मिली थी. Thermal Power Plant के लिए मिर्जापुर के Madihan Forest Range से सटे ददरी खुर्द गांव के आसपास के इलाके को चुना गया था. अब प्लांट बनाने के लिए Welspun Company ने जमीन खरीदनी शुरू कर दी. ददरी खुर्द गांव के एक किसान की 200 बीघा जमीन प्लांट के लिए खरीदी गई थी जिसकी सरकारी कीमत करीब 22 करोड़ रुपए थी लेकिन मुआवजे में किसान को मिले सिर्फ 1 करोड़ रुपए. उस किसान का कहना है कि 2011 में पावर प्लांट बनाने के लिए खूब मनमानी हुई थी. वेलस्पन कंपनी ने गांव के 100 से ज्यादा लोगों की जमीनें खरीदी थी. ज़मीन के बदले परिवार से हर एक को नौकरी का वादा भी किया गया था. लेकिन 4 साल तक पावर प्लांट का काम शुरू नहीं हुआ. क्योंकि जिस लोकेशन पर प्लांट बनना था वो Forest Zone में आता है. आखिरकार चार साल बाद 21 अगस्त 2014 को वेलस्पन कंपनी को 660 मेगावाट की 2 यूनिट के साथ एक Greenfield Thermal Power Plant लगाने के लिए NGT की मंजूरी मिल गई. लेकिन इसके बाद कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने पावर प्लांट के खिलाफ याचिका दायर की और मिर्जापुर के जंगलों और वन्यजीवों को प्लांट से खतरा बताया. इस पर NGT ने 21 दिसंबर 2016 को Welspun Company को दी गई मंजूरी रद्द कर दी और प्लांट का काम फिर लटक गया.
कंपनी के मालिक बदले पर विवाद जारी रहा…

गांव के लोग कहते हैं कि 2016 में वेलस्पन कंपनी तो प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ कर चली गई लेकिन हम लोगों पर दर्ज केस अब तक कायम हैं. वक्त गुज़रा और 2024 आया जब अचानक अडानी के पावर प्लांट की बातें होने लगी. उन्होंने प्लांट से Welspun Company का बोर्ड हटाकर अपना बोर्ड लगा लिया. गांव की जमीन और नाली-तालाब से लेकर जंगल तक ऊंची दीवारें खड़ी कर दी गई. गांव वाले बताते हैं कि प्लांट के विरोध में हम लोग दर्जनों बार DM ऑफिस पर धरना दे चुके हैं. एक बार UP CM Yogi तक भी अपनी बात पहुंचाई लेकिन कहीं हमारी सुनवाई नहीं हुई. हमारे लाख विरोध के बावजूद जंगलों में बड़ी-बड़ी मशीनें चल रही हैं और प्लांट का काम बदस्तूर जारी है.
प्लांट के अफसरों और नेताओं पर मिलीभगत का आरोप
मिर्ज़ापुर के ददरी खुर्द गांव के लोगों के मुताबिक कंपनी के मड़िहान के जंगलों में किए जा रहे अवैध निर्माण का मामला NGT में चल रहा है… बावजूद इसके प्लांट का काम जारी है. गांव के लोग इस पूरे मामले में प्लांट के अफसरों और लोकल नेताओं पर मिलीभगत का आरोप लगाते हैं. मिर्जापुर के विंध्य बचाओ अभियान से जुड़े कुछ सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि “Mirzapur Thermal Power Plant को लेकर 10 साल से विवाद चल रहा है. पहले यहां Welspun Energy Company ने गुंडों-बदमाशों और हथियारों के बलबूते किसानों की जमीनें छीनीं. जंगल बचाने के लिए काम कर रहे लोगों पर झूठे मुकदमे लगाए गए. मामला NGT तक पहुंचा तो वेलस्पन कंपनी को यहां से भागना पड़ा. प्लांट को लेकर 11 अप्रैल 2025 को जनसुनवाई रखी गई थी. इसका मकसद प्लांट को लेकर लोकल लोगों की रजामंदी लेना था. लेकिन जनसुनवाई में गांव के किसी भी व्यक्ति को नहीं बुलाया गया. उल्टा मीटिंग का चीफ गेस्ट Power Plant से जुड़े अफसरों को बनाया गया. इसी से मालूम होता है कि प्लांट को लेकर जिला प्रशासन और लोकल नेताओं में मिलीभगत चल रही है”.
जल संकट बढ़ेगा, पलायन करना पड़ेगा
Welspun Energy Company कंपनी भले ही प्लांट का काम छोड़ कर चली गई हो लेकिन मड़िहान के जंगलों के पास बसे लोगों की चिंता अब भी बरकरार है. वही चिंता अब Adani के पावर प्लांट को लेकर भी दिख रही है. गांव वालों का कहना है कि जंगल तबाह होने से सिर्फ पर्यावरण को ही खतरा नहीं होगा. आसपास के इलाकों में जल संकट भी गहरा जाएगा. इसका सीधा असर खेती बाड़ी करने वाले किसानी से लेकर आस-पास के लोगों के जिंदगी पर पड़ेगा. और गांव से लोगों को पलायन करना पड़ेगा. गांव के लोग बताते हैं कि इसी साल फरवरी महीने में Thermal Power Plant पर रोक लगाने के लिए NGT में फिर याचिका लगाई गई है. याचिका में बताया गया कि Mirzapur Thermal Energy Pvt. Ltd. (UP), Adani Group की एक सहायक कंपनी है. ये बिना पर्यावरणीय मंजूरी लिए मड़िहान के जंगलों में बाउंड्री वॉल बना रही है. जिस ददरी खुर्द गांव में ये प्लांट बनाया जा रहा है उस जमीन को 1952 के उत्तर प्रदेश राजपत्र में वन क्षेत्र माना गया है. 2016 में जब ये प्रोजेक्ट Welspun Company के पास था तब NGT ने पर्यावरणीय मंजूरी रद्द कर दी थी और कहा था कि ये प्रोजेक्ट वन्यजीवों के लिए खतरा बन सकता है”.
गांव वाले सिर्फ गुंडागर्दी कर रहे हैं- Adani Group
वहीं इस पूरे मामले में अडानी ग्रुप का कहना है कि “ददरी खुर्द गांव के लोगों के आरोप बेबुनियाद हैं. अगर हम गलत तरीके से काम करते तो क्या जिला प्रशासन हमारा साथ देता? DM की सहमति से ही हमने प्लांट को लेकर जनसुनवाई की. लोगों की सहमति के बाद हमनें काम शुरू किया. अब जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो सिर्फ गुंडागर्दी कर रहे हैं. जिस जमीन पर प्लांट बनना है वो 2011 में खरीदी जा चुकी थी. Adani Group ने इसे टेकओवर किया तो 14 साल बाद लोगों को मुआवजे की याद आ गई. ये सोचने वाली बात है कि जो जमीन पहले से बिक चुकी है, उसपर दोबारा मुआवजा कैसे दिया जा सकता है. जिस जमीन पर प्लांट बन रहा है वो किसी काम की नहीं है बिल्कुल बंजर ज़मीन है. ये एरिया पूरा पथरीला है. ना यहां से कोई नदी बहती है और ना किसी भी तरह की बोरिंग हो सकती है जिससे सिंचाई हो सके”.
पूरे विवाद पर क्या कहता है वन विभाग?

Mirzapur Thermal Power Plant के निर्माण से पहले वन विभाग से मंजूरी को लेकर जिला वन अधिकारी से बात की गई तो पता चला कि Thermal Power Plant के निर्माण के लिए अब तक वन विभाग की तरफ से कोई NOC नहीं दी गई है. ये मामला फिल्हाल कोर्ट में चल रहा है. आपको बता दें इस पूरे विवाद के बावजूदर Adani Group ने वेलस्पन के साथ 400 करोड़ रुपए का करार किया था. और इस प्रोजेक्ट की क्षमता को 1320 मेगावाट से बढ़ाकर 1600 मेगावाट कर दिया. मई 2024 में अडानी ने प्रोजेक्ट के लिए Environmental Clearance के लिए आवेदन किया था जो अब तक नहीं मिला है. NGT में इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 जुलाई को होगी.