
सांकेतिक तस्वीर
Conspiracy theory में खुलासा, वो हर जगह की कर रहे हैं निगरानी !
Conspiracy theory: आज हम आपको विज्ञान और वैज्ञानिकों से जुड़ी ऐसी Conspiracy theory के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इंसानी दुनिया के सभी कॉन्सेप्ट्स को हिलाकर रख देगी, तो दिल थामकर, दिमाग खोलकर, गौर से इस ख़बर को अंततक पढ़िए और समझिए, आखिर वो कौन हैं ? जो छिपकर हमको हर वक्त देखते हैं !

Conspiracy theory से बड़ा खुलासा !
आज हम वैज्ञानिकों से जुड़ी जिस Conspiracy theory के बारे में आपको पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, वो आपके दिमाग को एक झटके में घुमाकर रख देगी. तो सीधी बात ये है कि आपने जाने-अनजाने में ऐसा ज़रुर महसूस किया होगा कि अक्सर जब आप खुद या फिर कोई भी व्यक्ति घर के अंदर बेडरूम, बाथरूम में अकेला होता है या फिर जब आप घर के बाहर ऑफिस में अकेले वक्त गुजारते हैं. या फिर किसी सूनसान रास्तों के सफर में जब-जब आप अकेले होते हैं. तो आपको कुछ पल के लिए ही सही मगर ऐसा ज़रुर महसूस होता होगा कि आपके आस-पास कोई मौजूद है. कोई आपको देख रहा है, कोई आपको घूर रहा है, कोई एक्टिविटी आपके इर्द-गिर्द हो रही है. और जब आप पलट कर देखते हैं, तो उस वक्त आपको अपने आस-पास कुछ भी नज़र नहीं आता है, मतलब कोई भी ऐसा व्यक्ति आपको नहीं दिखता जो आपको घूर रहा हो, फिर आप इस पूरी घटना को भ्रम मान लेते हैं. और इस पूरी घटना को भूल जाते हैं, लेकिन सवाल यहां खत्म नहीं होते हैं, बल्कि शुरु होते हैं कि क्या सच में हमेशा कोई हमें देख रहा होता है ? कोई हमेशा हम पर नज़र रखता है ? क्या कोई हमारी जासूसी हमेशा करता है ? क्या कोई हवा-बयार या भूत-प्रेत हमारे इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं ? क्या पैरेलल वर्ल्ड मतलब हमारे समानांतर दुनिया का कॉन्सेप्ट सच है? मतलब इस दुनिया से परे भी एक दुनिया है ? जिसमें इंसान जैसे तमाम जीव मौजूद हैं, जो हमारे आस-पास मौजूद रहते हैं ? या अपनी दुनिया से हम पर नज़र रखते हैं ? ऐसे तमाम सवालों का वैज्ञानिकों ने हल तलाशने की कोशिश की है, जिसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले आएं हैं. हम आपको वैज्ञानिकों की दूसरी दुनिया से जुड़ी हम पर हमेशा नज़र रखे जाने की पूरी थ्योरी या कह सकते हैं कि Conspiracy theory मतलब controversial theory समझाएंगे, लेकिन उससे पहले हम अपनी दुनिया की बारीकियों को समझ लेते हैं. जिससे आपको ये controversial theory आसानी से समझ आ जाएगी.
पृथ्वी के बाहर भी है दूसरी दुनिया !
हम सभी जानते हैं कि हम जिस ग्रह यानी प्लानेट पर रहते हैं, वो पृथ्वी है, और पृथ्वी के आस-पास कई ग्रह अंतरिक्ष में मौजूद हैं, जिसमें शनि,मंगल,ब्रहस्पति जैसे ग्रहों की गिनती होती है, और ये सभी ग्रह जिस आकाशगंगा में स्थित है उसे मिल्की-वे कहा जाता है. और ऐसी अनगिनत आकाशगंगाएं मतलब ग्लैक्सीज़, हमारे ब्रह्मांड यानी यूनिवर्स में मौजूद हैं, जिसके वैज्ञानिक प्रमाण भी मिल चुके हैं. लेकिन हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे के अलावा दूसरी अकाशगंगाओं के बारे में वैज्ञानिकों के पास या तो आधी-अधूरी जानकारी है या फिर बिलकुल भी जानकारी नहीं है. क्योंकि अभी तक हमारी इंसानी दुनिया पर साइंस ने इतनी ही तरक्की की है कि अब तक इंसान सिर्फ अंतरिक्ष तक पहुंच पाया है. या फिर ज्यादा से ज्यादा चंद्रमा पर इंसान उतर चुका है या और ज्यादा मंगल पर रोबोट इंसान ने उतार लिए हैं, लेकिन अभी भी ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा या कह सकते हैं लगभग 99% ब्रह्मांड से जुड़ी जानकारी हमारी पूरी इंसानी दुनिया के लिए महज रहस्य भर है. मतलब साफ है कि अभी तक इंसानी दुनिया के वैज्ञानिक, पृथ्वी के बाहर कहीं दूसरे ग्रह, उपग्रह किसी भी जगह, ठीक से इंसानी जीवन के लिए मददगार ईको सिस्टम के पुख्ता सबूत तक नहीं जुटा पाएं हैं. ऐसे में इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि हमारी दुनिया से परे भी एक दुनिया हो सकती है. जिसके चलते ही वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि हमारी दुनिया से परे भी एक दुनिया और है. ये बात उस Conspiracy theory को सपोर्ट करती है जिसको हम समझने की कोशिश कर रहे हैं.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में बड़ा दावा
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बारे में पूरी दुनिया जानती है. विभिन्न क्षेत्रों में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च मील का पत्थर साबित हुई है. ऐसे में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आए तथ्यों पर दुनिया गौर ज़रुर करती है. कुछ ऐसा ही हमारी आज की Conspiracy theory के बारे में भी है. जो सीधे तौर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च से जुड़ी हुई है. दरअसल जैसा कि आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग हमारी दुनिया से अलग दूसरी दुनिया के अस्तित्व की बात को मान चुका है, वैज्ञानिकों का मानना है कि दूसरी दुनिया के जीव, इंसान से भी ज्यादा स्मार्ट हैं या हो सकते हैं, जहां के लोगों का IQ हमसे कई गुना ज्यादा है, जहां की साइंस हमसे सैकड़ों-हजारों साल आगे चल रही है, या फिर ऐसा भी हो सकता है इंसानी दुनिया से जो परे दुनिया है वहां के जीव हम से पूरी तरह भिन्न हों, उनके नियम-कायदे अलग हों, क्या पता उनका बैद्धिक स्तर हमसे बहुत ज्यादा कमज़ोर हो ? इन तमाम पहेलियों को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक एलियन की तलाश करते रहते हैं, और हमारी दुनिया में घटने वाली हर एक रोचक घटना में एलियन के फुटप्रिंट तलाशते भी नज़र आते हैं. कुछ ऐसा ही जिम्मा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं यानी रिसर्चर्स ने संभाल रखा है, जिन्होंने अपनी स्टडी में कई ऐसे चौकाने वाले खुलासे कर दिए हैं. जो आपके होश उड़ा देंगे.और जिन सवालों का हमने शुरुआत में ज़िक्र किया था, उन सवालों के जवाब भी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से संबंधित रिसर्च में मिल सकता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दूसरी दुनिया पर बेस्ड अपनी रिपोर्ट में क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल (crypto terrestrial) शब्द का ज़िक्र किया है. साथ ही दूसरी दुनिया और इस दुनिया के बीच संबंध पर अपनी स्पष्ट बात सबके सामने रखी है. और वहां के जीवों की हरकत के बारे में भी बताया है.

कौन हैं क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल ?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की दूसरी दुनिया की संभावनाओं से जुड़ी रिपोर्ट में कई अहम जानकारियां सामने आईं हैं. जैसे कि आप जानते हैं कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दूसरी दुनिया पर बेस्ड अपनी रिपोर्ट में क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल शब्द का ज़िक्र किया है. क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल को आसान भाषा में समझें तो क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल ऐसे काल्पनिक जीव होते हैं, जो इंसानों के बीच मौजूद तो रहते हैं, मगर उनके बारे में किसी को कोई ख़ास जानकारी नहीं होती है. मतलब इन जीवों का अस्तित्व एक रहस्य से कम नहीं है. ये जीव हैं तो मगर, इनके बारे में कोई नहीं जानता है. ये क्या करते हैं, कोई ये बात समझ नहीं पाता है.

कितने प्रकार के होते हैं क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल ?
रिसर्च के मुताबिक क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल चार प्रकार के हैं, जो इस दुनिया में या तो मौजूद हैं या फिर अपनी मौजूदगी वक्त-वक्त पर इंसानी दुनिया में दर्ज करा चुके हैं. ये सभी जीव दूसरी दुनिया के जीवों से संबंधित Conspiracy theory के लिए बेहद अहम हैं.
- क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के पहले प्रकार के जीव हाईली एडवांस हो सकते हैं, जिनमें ऐसे एलियन भी हो सकते हैं. जो हमारी दुनिया से कई ज्यादा एडवांस रहे हों, ऐसे जीवों को लेकर सामने आई रिसर्च में कई अहम तथ्य मिले हैं. शोधकर्ताओं की राय है कि क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के पहले प्रकार के जीव एक पर्टिकुलर टाइम फ्रेम में पूर्ण अस्तित्व में रहे होंगे, अब महज़ उनके कुछ अंश मात्र ही इस दुनिया में मौजूद हैं.
- क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के दूसरे प्रकार के जीवों में ऐसे जीव आते हैं, जो हाईली एडवांस्ड जानवर हो सकते हैं, ऐसा अनुमान है कि ये जमीन के अंदर एक अलग दुनिया बनाकर रह सकते हैं, या फिर संभावना तो ये भी है कि ये हमारे बीच स्मार्ट बंदरों के स्वरुप में रह रहे हों. क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के दूसरे प्रकार के जीवों को लेकर रिसर्च में ऐसी संभावनाएं भी जताई गई हैं कि ये जीव हमारी दुनिया से विलुप्त हो चुके स्मार्ट डायनासोर के वंशज भी हो सकते हैं.
- अब बात आती है क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के तहत आने वाले तीसरे तरीके के जीवों के प्रमाण की, तो बात ये है कि शोधकर्ताओं की रिसर्च में क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के तहत आने वाले जिन तीसरे तरीके के प्राणियों की कल्पना की गई है. वो ऐसे जीव हो सकते हैं, जो भविष्य से हमारी दुनिया में या तो आए हों और फिर कहीं छिपकर हमारी इस दुनिया में किसी स्थान विशेष में रह रहे हों.
- अब ज़िक्र क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के तहत आने वाले चौथे प्रकार के जीवों का, दरअसल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध से जुड़े क्रिप्टो टेरेस्ट्रियल के चौथे तरीके के जीव सबसे खास हैं, जिनको लेकर कहा गया है ये प्राणी, परियों, अप्सराओं या फिर सुपर नेचुरल फॉर्म में रहने वाले जीव हो सकते हैं, जो कई जादूई ताकतों के मालिक हो सकते हैं और जो हमारे बीच रहकर भी अदृश्य रहते हैं मतलब ये हमारे आस-पास मौजूद तो रहते हैं, साथ ही साथ ये हर वक्त हमें देख भी सकते हैं, मगर हम इन्हें नहीं देख सकते हैं. ऐसे जीवों को हम भूत-प्रेत, सुपर नेचुरल प्राणी भी मान सकते हैं. इन जीवों का अस्तित्व उस Conspiracy theory को सपोर्ट करता है, जो Conspiracy theory एलियंस या भूत-प्रेत या फिर सुपर नेचुरल शक्तियों वाले जीवों के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है.
हमें ज़रुर कोई छिपकर देखता है !
जिस Conspiracy theory को हम समझने की कोशिश कर रहे हैं, वो सिर्फ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध से जुड़ी नहीं है. बल्कि कई और वैज्ञानिक भी महीनों-सालों की रिसर्च और उन रिसर्च से निकले तमाम आंकड़ों की स्टडी के बाद इस फैसले पर पहुंचे हैं कि हमें कोई ज़रुर छिप-छिप कर देखता है. सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस मतलब SETI से जुड़े ज़ेड एन उस्मानोव का शोध सामने आया है. जिसे उन्होंने Are we visible to advanced alien civilizations ? नाम दिया है. इस शोध में भी ऐसी तमाम संभावनाओं का ज़िक्र किया गया है जो Conspiracy theory को सपोर्ट करती हैं.

Are we visible to advanced alien civilizations?
दूसरी दुनिया के जीवों से जुड़ी Conspiracy theory को लेकर आपके मन में सवाल होगा कि Are we visible to advanced alien civilizations? में आखिर क्या लिखा है ? इससे जुड़े शोध में क्या कुछ खुलासे हुए हैं ? चलिए ये भी आपको समझा देते हैं. तो बात ये है कि Are we visible to advanced alien civilizations ? नाम का शोध बताता है कि वर्तमान वक्त में या फिर अतीत में भी और तो और फ्यूचर में भी पैरेलल वर्ल्ड मुमकिन है. और उस पैरलल वर्ल्ड में जिंदा जीव की कल्पना भी सौ फीसदी सच हो सकती है. साथ ही ये बात भी सच्चाई की कसौटी पर खरी उतर सकती है कि हम पर दूसरी दुनिया के जीव मतलब एलियन लगातार टकटकी लगाकर नज़र रख रहे हैं. एलियंस अपनी एडवास्ड टेक्नोलॉजी से हम पर नज़र रख रहे हैं. मतलब साफ है कि हम इंसान इस ब्रह्मांड में अकेले नहीं है. बल्कि हमारी इस दुनिया से अलग भी एक दूसरी दुनिया मौजूद है, और उस दुनिया के जीव भी हमसे जुड़ना चाहते हैं या हम पर नज़र रखना चाहते हैं.
हम पर नज़र रखने वाले जीव कहां रहते हैं ?
रहस्यमयी दूसरी दुनिया के जीवों से जुड़ी Conspiracy theory को लेकर सवाल उठता है कि हम पर नज़र रखने वाले एलियन या फिर ये विचित्र जीव आखिर कहां रहते हैं ? इस सवाल का जवाब भी Are we visible to advanced alien civilizations ? रिसर्च में सामने आ चुका है, रिसर्च में बताया गया है कि एलियंस की मौजूदगी हमारी इंसानी दुनिया से करीब 3000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर देखी गई है. मतलब पृथ्वी से 3000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एलियंस मौजूद हैं. जिनके पास ऐसे फ्यूचर बेस्ड हाईटेक टेलीस्कोप है कि वो हमसे दूर रहकर भी हमारी हर एक्टिविटी को देख सकते हैं, या फिर रिकॉर्ड कर सकते हैं.

रियल टाइम में भी हम पर नज़र ?
अब तक रहस्यमयी दुनिया के जीवों से जुड़ी Conspiracy theory की स्टडी में साफ हो चुका है कि हमारी दुनिया में कुछ न कुछ विचित्र घट रहा है. या फिर घट सकता है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमें कोई इस वक्त देख रहा होगा, मतलब जब आप ये ख़बर पढ़ रहे हैं, तब कोई वाकई में आपको रियल टाइम में ही देख रहा होगा ? इस सवाल का जवाब है नहीं. दरअसल इस Conspiracy theory से जुड़ी रिसर्च कहती है कि हमें देखने वाले जीव मतलब एलियंस हमसे 3000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. तो उसका सीधा मतलब ये है कि रियल टाइम पीरियड में हमसे वो 3000 साल आगे मौजूद होंगे. या फिर वर्तमान में अगर कोई एलियन दूसरी दुनिया से हमारी दुनिया को देख रहा होगा. तो वो पृथ्वी पर तीन हजार साल पहले घटी घटनाओं को ही रियल टाइम में देख सकता है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि वर्तमान में सटीक रियल टाइम में हमें देखने वाले एलियंस, इस वक्त रोमन टाइम या उसके समकालीन भारतीय सभ्यताओं या फिर ग्रीक और मिस्र से जुड़ी प्राचीन घटनाओं पर नज़र रख रहे होंगे. मतलब साफ है कि एलियंस अभी तक हमारे आधुनिक विकास से रियल टाइम में वाकिफ नहीं हुए होंगे. या तो वो हमारा पास्ट देख रहे होंगे. या फिर वो अगर फ्यूचर से हमारी दुनिया में ताकझांक करके हमारा वर्तमान समय देख रहे होंगे.और हमारे बीच दखल दे रहे होंगे. तो वो एलियंस रिसर्च के मुताबिक हमसे 3000 साल आगे की दुनिया में जी रहे होंगे. मतलब अगर हम आज 2025 में जी रहे हैं, तो वो एलियंस साल 5024 के वक्त में जी रहे होंगे. तब ही वो साल 2025 में पृथ्वी पर घटने वाली घटनाओं की हर एक तस्वीर को करीब से देख पा रहे होंगे, क्योंकि रिसर्च बता रही है कि वो हमसे 3000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं.
आइंस्टीन की थ्योरी से मिले बड़े संकेत
Conspiracy theory से जुड़े अबतक के तथ्यों को पढ़ने के बाद आपके दिमाग में एक सवाल उठ रहा होगा कि दूसरी दुनिया के जो जीव हमें देख रहे हैं क्या वो फ्यूचर के जीव हैं ? या फिर वो गुजरे हुए कल मतलब बीते हुए वक्त के जीव हैं ? तो आपको बता दें कि इसको लेकर अबतक हुई स्टडीज़ में कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं. लेकिन आप सभी जानते हैं कि दुनिया में मौजूद हर चीज़ एक निश्चित ऊर्जा से ही चलती है. हम पर नज़र रखने वाले एलियंस भी किसी न किसी ऊर्जा से ही चलते होंगे. और हमारी इंसानी दुनिया में ऊर्जा को लेकर सर्वमान्य है कि ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती बल्कि ऊर्जा का सिर्फ स्वरूप बदलता है. जिसको लेकर महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन की एक थ्योरी भी इसी ओर इशारा करती है. जिसे दुनिया E=mc2 के तौर पर जानती है. जो इस बात के संकेत है कि हर जीव अगर एक निश्चित ऊर्जा से चल रहा है, तो उस जीव का शरीर भले ही खत्म हो जाएगा लेकिन जिस ऊर्जा से वो चल रहा है, वो ऊर्जा अपना स्वरुप बदलकर कहीं न कहीं मौजूद ज़रुर रहेगी. जिससे ये संकेत मिलते हैं कि हम पर नज़र रखने वाले एलियंस जिस ऊर्जा से संचालित होते हैं उसका हमारी दुनिया की ऊर्जा से कोई न कोई संबंध ज़रुर हो सकता है.

वैज्ञानिकों की रिसर्च कितनी सही है ?
बहरहाल रहस्यमयी Conspiracy theory से जुड़ी जिन तमाम रिसर्च का अभी-अभी ज़िक्र किया गया है. वो साफतौर पर इंसानी कल्पनाओं से बाहर की चीजें हैं. मगर वैज्ञानिक हमेशा तथ्यों पर बात करते हैं. और ये तथ्य तमाम गणनाओं पर निर्भर करते हैं. ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि एलियंस से जुड़ी सारी की सारी बातें सिर्फ और सिर्फ सच हैं, या फिर सिर्फ झूठ हैं. और वैज्ञानिक गलत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. क्योंकि हम सब जानते हैं आज से 20-25 साल पहले मतलब साल 2000 के आस-पास स्मार्ट फोन की कल्पना भी पागलपन मानी जाती थी. उससे पहले मतलब 1990 के दशक से पहले तक इंटरनेट, ई-मेल, कप्यूटर भी इस दुनिया में मौजूद नहीं था.और उससे 20-50 साल पहले टेलीविजन का कॉन्सेप्ट भी गलत ही था. और उससे पहले एक जगह से दूसरी जगह प्लेन से उड़कर जाने की बात कहना भी पागलपन माना जाता था. मतलब साफ है कि जो भी चीजें,वस्तुएं, गैजेट्स या फिर जो हाईटेक टेक्नोलॉजी हम वर्तमान में अपने आस-पास देख रहे हैं. वो किसी ज़माने में महज़ एक आईडिया ही था, जो वक्त के साथ हकीकत में बदल गया है. हालांकि वो बात अलग है कि सनातन की मान्यताओं से जुड़े वेदों,पुराणों,उपनिषदों जैसे तमाम ग्रंथों में ऐसे प्रमाण मौजूद हैं. जिसे साइंस ने देर से ही सही मगर सच जरुर माना है, एक छोटे से उदाहरण के तौर पर रामायण काल के वक्त रावण के पुष्पक विमान से जुड़ी बात इसका सबसे बड़ा प्रमाण हैं, क्योंकि एक वक्त लोग सवाल उठाते होंगे कि रावण के पास उस वक्त उड़ने वाला विमान कैसे हो सकता है ? अब आज के जमाने में आसमान में उड़ते विमान को देखने के बाद कोई पागल ही होगा जो बोलेगा कि हमारे सनातन से जुड़े ग्रंथों में जो कुछ लिखा है वो काल्पनिक है. क्या पता सच तो ये हो कि उस वक्त की टेक्नोलॉजी हमारी वर्तमान की टेक्नोलॉजी से हज़ार गुणा हाईटेक रही हो. अगर ऐसा नहीं होता तो हमारे ग्रंथों में पुष्पक विमान जैसे उदाहरण शायद ही दर्ज होते. खैर एलियंस के कॉन्सेप्ट पर गौर करें, तो ये सच साबित हो सकता हैं, क्योंकि बीते कई सालों में दुनिया के कई हिस्सों में UFO जैसी तमाम विचित्र स्पेसशिप की मौजूदगी को लेकर दावे किए जा चुके हैं.और लोगों ने तो एलियंस को देखने की बातें भी कहीं हैं. यहां तक की कई लोगों ने ऐसी घटनाओं के सबूत भी देने की कोशिश की है कि वो एक वक्त में टाइम लूप में फंस गए थे.जो बताता है कि इस दुनिया से परे भी एक दुनिया है, जहां हमारे-आप जैसे जीव भी मौजूद हैं, जो हमसे रहन-सहन, खान-पान के मामले में पूरी तरह से अलग हैं और हमसे कहीं ज्यादा स्मार्ट भी हैं.

आप पर भी किसी की नज़र है !
आप भले ही इस वक्त इस ख़बर को अकेले पढ़ रहे हों या फिर किसी अपने करीबी के साथ बैठकर इस ख़बर को पढ़ रहे हों, लेकिन ये सच बात हो सकती है कि इस दौरान भी आपके आस-पास कोई मौजूद हो या फिर ऐसा भी हो सकता है कि कोई आपको इस वक्त ज़रुर छिपकर देख रहा हो, या छिपकर देखने की शक्ति रखता हो, अब वो आपको नज़र आएगा या फिर नहीं वो बात आप अब तक समझ गए होंगे. क्योंकि जिस Conspiracy theory को हम जानने की कोशिश कर रहे हैं, उससे संबंधित Are we visible to advanced alien civilizations? रिसर्च और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard university) से जुड़ी रिसर्च जिस ओर इशारा कर रही है, वो स्पष्ट तौर पर संकेत देती हैं कि हमारी दुनिया से परे भी एक दुनिया है, और उस दुनिया के जीवों का हमारी दुनिया के जीवों से कोई न कोई संबंध हो सकता है.