चीन और अमेरिका से संबंधों की समीक्षा अब जरूरी?

पाकिस्तान का हो रहा था सही इलाज
पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिस तरह पाकिस्तान का इलाज किया था..उससे एक वक्त तो पाकिस्तान भी सकते में आ गया था।पाकिस्तान को लग रहा था कि,भारत उसकी लीला समाप्त करके ही दम लेगा। कुछ ऐसा होता हुआ भी दिखाई दे रहा था। भारतीय सेना की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने पाकिस्तान के हौसले पस्त कर दिये थे। भारत की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमला तो कर दिया था..लेकिन भारतीय रणबांकुरों के आगे उसकी एक नहीं चल पा रही थी। उसके सारे हमले नाकाम कर दिये जा रहे थे।
अमेरिका ने बिगाड़ा खेल?
अमेरिका की सबसे बड़ी गलती ये थी कि, भारत के विरोध के बावजूद उसने विश्व बैंक से पाकिस्तान को मिलने वाले ऋण को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। और दूसरा पाकिस्तान के कहने पर भारत के ऊपर युद्ध विराम करने के लिए दबाव बनाने लगा। कहां तो उसे भारत के साथ खड़ा दिखना चाहिए था। पाकिस्तान को लताड़ लगानी चाहिए थी। चीन को ये बताना चाहिए था कि, अगर वो आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान का साथ देगा, तो अमेरिका भी भारत को सैन्य सहायता देगा। और जरूरत पड़ने पर भारत के साथ खुद जंग के मैदान में उतरेगा। लेकिन अफसोस अमेरिका ने ऐसा कुछ नहीं किया। और जो किया वो आपके सामने है।
अमेरिका-चीन से बना लेनी चाहिए दूरी!
अमेरिका के इस रुख के बाद अब भारत को उससे संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए। जिस गति से भारत उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है,उस पर लगाम लगाना चाहिए। अमेरिका की जगह अपने पुराने दोस्त रूस के साथ संबंधों को और मजबूत करना चाहिए। इधर पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले चीन की भी चूड़ी टाइट करनी जरूरी है। भारत को चाहिए कि,वो चीन के साथ व्यापार को या तो पूरी तरह बंद कर दे..या सीमित कर दे। हालांकि चीन और अमेरिका को दरकिनार करना अभी भारत के हित में नहीं है। लेकिन भारत को ऐसा कुछ जरूर करना चाहिए। जिससे इन देशों को तगड़ा सबक मिले।
पाकिस्तान मान जाए,ये हो नहीं सकता..
पाकिस्तान एक धोखेबाज देश है,ये दुनिया जानती है। लिहाजा आतंकियों को शह देना वो बंद कर देगा। इस पर यकीन नहीं किया जा सकता है। आने वाले वक्त में पाकिस्तान जरूर भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देगा।और एक बार फिर इस बात से साफ इनकार कर देगा कि, उसने किसी आतंकी घटना को अंजाम दिया है। या उसकी जमीन पर कोई आतंकी अड्डा है।तब भारत को अफसोस होगा।आज के संघर्ष विराम के फैसले पर पछतावा होगा। पहलगाम,उरी और मुंबई हमले के वक्त भी उसने ऐसा ही किया था।
आतंकियों पर कार्रवाई नहीं कर रहा पाक
आप इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि,पाकिस्तान ने अपने यहां पल रहे आतंकियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। और आने वाले वक्त में उसके ऐसा कुछ करने की उम्मीद भी नहीं है। आज दुनिया के देश जो हमें शिक्षा दे रहे हैं, वो खुद आतंकवाद को लेकर क्या करते हैं ये किसी से छिपा नहीं है। अपने ऊपर हमला हो तो दूसरे देश को तबाह कर देना है। और अगर दूसरे देश पर हमला हो तो उसे गुरु ज्ञान देना है। अमेरिका जैसे देशों की इस नीति से अब बाहर निकलने क वक्त आ गया है। आने वाले वक्त में अगर अमेरिका के साथ भी कुछ ऐसा होता है, तो भारत को उसका साथ देने और उसकी हां में हां मिलाने के बजाए उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए।
शठे शाठ्यम समाचरेत
ऐसा कहा गया है कि, शठ के साथ शठता जरूरी है। इसमें दो राय नहीं है कि, युद्ध तबाही को न्योता देता है,लेकिन अगर दुश्मन पाकिस्तान जैसा हो,तो बार-बार अपने सीने पर घाव खाने से बेहतर है कि, एक बार में ही इस नासूर का इलाज कर दिया जाए। क्योंकि जब तक बांस रहेगा बांसुरी बजती रहेगी।