Gustaakh Ishq Review: गुस्ताख इश्क ने लौटाया पुरानी फिल्मों का अहसास, लेकिन क्या धीमी रफ्तार आपका दिल जीत पाएगी?
आज के हंगामेदार सिनेमा के बीच विभु पुरी की फिल्म ‘गुस्ताख इश्क’ (Gustaakh Ishq)एक सुकून भरी ठहराव वाली कहानी पेश करती है। विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह और फातिमा सना शेख जैसे दमदार कलाकारों की मौजूदगी इसे और खास बनाती है। अगर आप इस वीकेंड फिल्म देखने की योजना बना रहे हैं, तो ये समीक्षा आपके काम जरूर आएगी।
Gustaakh Ishq की कहानी: इमोशन, शायरी और अधूरे सपनों की तलाश
फिल्म की कहानी घूमती है नवाबुद्दीन (विजय वर्मा) के इर्द-गिर्द, जो अपने पिता की पुरानी प्रिंटिंग प्रेस को दोबारा जिंदा करने का सपना देखता है। इसी जुनून में उसे मिलती है मशहूर लेकिन दुनिया से कट चुके शायर अजीज बेग (नसीरुद्दीन शाह) की अनछपी शायरी, जो उसकी जिंदगी बदल सकती है।

अजीज बेग अपनी बेटी मिन्नी (फातिमा) के साथ शांत, साधारण जीवन जी रहे हैं। नवाबुद्दीन उनके पास ‘शायरी सीखने’ का बहाना बनाकर आता है, लेकिन असल इरादा उनकी न लिखी किताब को दुनिया के सामने लाना है।
यही से शुरू होती है टकराव, इमोशन और रिश्तों की धीमी जलती चिंगारियों की कहानी — जिसे जानने के लिए आपको थिएटर जाना होगा।
कैसी है Gustaakh Ishq?
फिल्म की सबसे बड़ी खूबी इसकी धीमी, पेंटिंग जैसी सिनेमैटिक भाषा है। पुरानी हवेली की धूप, पीले खत, शायरी की महक और शांत बैकग्राउंड स्कोर आपको उस दौर में ले जाते हैं जब सिनेमा दिल छूता था। फिल्म का म्यूज़िक बेहद खूबसूरत है—कम बोलता है, लेकिन भीतर तक असर छोड़ता है।
लेकिन…
ये धीमापन कई जगहों पर बोर भी करता है। फिल्म जहां दिल झकझोर सकती थी, वहां सिर्फ नरम और सभ्य बनकर रह जाती है। जेन-जी दर्शकों के लिए ये उनकी सहनशक्ति की परीक्षा भी बन सकती है।
एक्टिंग: नसीरुद्दीन शाह और विजय वर्मा ने पूरी फिल्म थाम ली
- नसीरुद्दीन शाह—अकेले, टूटे हुए शायर की भूमिका में शानदार। उनकी आंखों की उदासी और अभिनय की गहराई दिल छू जाती है।
- विजय वर्मा—शांत, संयमित और बेहद वास्तविक। उनके सीन शाह साहब के साथ फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं।
- फातिमा सना शेख—कहानी में जरूरी, लेकिन स्कोप कम। उनकी मौजूदगी कहानी आगे बढ़ाती है, लेकिन कोई यादगार छाप नहीं छोड़ती।
नवाबुद्दीन–मिन्नी की केमिस्ट्री प्यारी जरूर है, लेकिन असरदार नहीं।
Gustaakh Ishq का निर्देशन और प्रोडक्शन
विभु पुरी ने एक खूबसूरत, पुरानी यादों से भरी दुनिया रची है — जहां हर फ्रेम में एक पेंटिंग जैसा एहसास है।
भले ही कहानी में कुछ कमियां हों, लेकिन फिल्म का टोन और विजुअल स्टाइल इतना खूबसूरत है कि आप उससे बाहर आना नहीं चाहेंगे।
अगर आप तेज-तर्रार फिल्मों के आदी हैं, तो गुस्ताख इश्क आपको धीमी लगेगी। लेकिन अगर आप काव्य, नॉस्टैल्जिया और सुकून भरा सिनेमा पसंद करते हैं—तो ये फिल्म आपके लिए खजाना साबित हो सकती है।
रेटिंग: ⭐⭐⭐✨ (3.5/5)
देखें अगर: आप शांत, खूबसूरत, भावुक ड्रामा पसंद करते हैं।
न देखें अगर: आपको तेज रफ्तार, मसाला और हाई-वोल्टेज ड्रामा चाहिए।

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