लोमड़ी जैसे दिमाग वाले जिन्ना ने पहले बलोचिस्तान को बनाया अलग देश, फिर कब्ज़ा कर लिया! Detailed Story – Balochistan Mange Azadi.
Chandigarh : एक तरफ India Pakistan War के चलते दुनिया भर की चिंताएं बढ़ हुई हैं तो वहीं दशकों से पाकिस्तान के चंगुल में फंसे बलूचिस्तान ने भी अब अपनी आज़ादी का एलान कर दिया है. पाकिस्तान पर भारत के हमलों के बीच बलोचिस्तान ने भी नापाक आर्मी को औकात दिखाना शुरू कर दिया है. पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए 6 मई की रात भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर ज़बरदस्त एयर स्ट्राइक की और आतंक की फैक्ट्रियों का नामोनिशान मिटाते हुए दुनिया को आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश दिया. ठीक उसी दिन बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की टुकड़ी पर बलूचों ने हमला कर दिया. बलूच लिबरेशन आर्मी के IED हमले में 12 पाकिस्तानी जवानों के परखच्चे उड़ गए. उसके बाद बलूचों ने पाकिस्तान की ओर जाने वाली गैस पाइपलाइन को उड़ाया और कुल मिला कर अब तक पाक सैनिकों पर दर्जनों अटैक कर दिए हैं. खास बात ये हैं कि दशकों से आज़ादी के लिए झटपटा रहे बलूच हर हमले के बाद इलाकों पर कब्जा करके आजाद Balochistan का झंडा फहराते जा रहे हैं. इसका मतलब है कि BLA पूरी तरह से अपनी आज़ादी का ऐलान कर चुकी है. जिसे देखते हुए बलूच लेखक Mir Yar Baloch ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर लिखा – “Baloch लोगों ने पाकिस्तानी झंडे उतारने और अपने झंडे फहराने शुरू कर दिए हैं. अब वक्त आ गया है कि दुनिया पाकिस्तान से अपने राजनयिक मिशन वापस लेकर उन्हें नए उभरते देश Balochistan में स्थानांतरित कर दे. हम आज़ादी से बस दो कदम दूर हैं. Pakistan को अलविदा और Balochistan में आपका स्वागत है”.

तो इस तरह आज़ादी के मतवाले बलूचों ने साफ तौर पर पाकिस्तान को अपना देश मानने से ही इनकार कर दिया है. इन सब हालातों के देखते हुए ये कहना कतई गलत नहीं होगी कि साल 1971 की तरह पाकिस्तान आज फिर टूटने की कगार पर खड़ा है. तब पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था और अब बलूचिस्तान बनता नज़र आ रहा है. ये हम नहीं कह रहे भारत से उलझने वाले पाकिस्तान के हालात बता रहे हैं.
पिछले दिनों बलूचिस्तान में क्या-क्या हुआ?
- 9 मई को बलूच विद्रोहियों ने क्वेटा के फैजाबाद इलाके में पाकिस्तानी सेना पर हमला किया.
- उसी दिन इस्लामाबाद के सिब्बी में एक सैन्य शिविर को हैंड ग्रेनेड से निशाना बनाया.
- 8 मई को क्वेटा में BLA ने पाकिस्तानी सेना पर चार-पांच हमले किए गए.
- उसी दिन BLA ने 6 अलग-अलग हमलों में पाक सेना और उसके सहयोगियों को निशाना बनाया.
पाकिस्तान के ऊपर बलूचिस्तान जिस कदर हावी होता जा रहा है इसे देखते हुए के पाकिस्तान Ex PM Shahid Khaqan Abbasi ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार और सेना बलूचिस्तान प्रांत पर अपना कंट्रोल खोती जा रही है. हालात ऐसे बन चुके हैं कि पाकिस्तानी मंत्रियों से लेकर आला अफसरान तक बिना कड़ी सुरक्षा के अब बलूचिस्तान में घूम फिर भी नहीं सकते हैं.
कैसे सिर्फ 227 दिन ही बलूचिस्तान ने ली थी आज़ादी की सांस?
साल 1946 में अंग्रेज़ों का भारत छोड़ कर जाना तय हो चुका था… उस वक्त बलूचिस्तान पर कलात रियासत का शासन था. Pakistan की तरह उस वक्त कलात रियासत ने आजाद देश की मांग अंग्रेजों के सामने रखी थी. और इसके लिए अच्छी खासी मोटी रकम मोहम्मद अली जिन्ना को देते हुए उसे अपना सरकारी वकील बनाया था. Balochistan नाम से नया देश बनाने के लिए 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई गई. इसमें कलात रियासत के Mir Ahmad Khan के साथ जिन्ना और Jawahar Lal Nehru भी शामिल हुए. बैठक में जिन्ना ने कलात रियासत की आजादी की मांग उठाई और सुझाव दिया कि कलात, खरान, लास बेला और मकरान जैसे चार ज़िलों को मिलाकर एक नया देश आजाद बलूचिस्तान बनाया जाए. इसी बुनियाद पर 12 अगस्त 1947 को Balochistan एक अलग देश बन गया… लेकिन इसके साथ ही मोहम्मद अली जिन्ना ने एक शातिराना चाल भी चली. उसे बलूचिस्तान की आज़ादी के साथ एक पेंच फसा दिया और वो ये, कि उसने नए देश की सुरक्षा पाकिस्तान के हवाले कर दी. पाकिस्तान और बलूचिस्तान के अलग होने के बाद जिन्ना ने अपना एक और पैंतरा फेंका और 12 सितंबर 1947 को ब्रिटेन से एक प्रस्ताव पारित करके कहलवा दिया कि बलूचिस्तान अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता इसलिए वो एक अलग देश बनने की हालत में नहीं है. इसके बाद शातिर मोहम्मद अली जिन्ना ने बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय करने की कवायद तेज़ कर दी और इसके लिए कई बलूच सरदारों को अपनी तरफ मिला लिया. फिर क्या था… 26 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में घुस गई और मीर अहमद खान के पास जिन्ना की शर्तें मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. लेकिन इस नापाक कब्जे से बलूचिस्तान की जनता के मन में पाकिस्तान के लिए नफरत पैदा हो गई. जिन्ना की नापाक हरकतों के चलते आज़ाद होने के बाद भी बलूचिस्तान सिर्फ 227 दिनों तक ही आजादी की सांस ले पाया.
सबसे अमीर प्रांत फिर भी सबसे पिछड़ा Balochistan
आप ये जान कर हैरान होंगे कि बलूचिस्तान आज Pakistan का सबसे बड़ा प्रांत है और भूगौलिक तौर पर पूरे देश का 44 फीसदी हिस्से पर फैला है… फिर भी यहां पूरे पाकिस्तान की सिर्फ 6% ही आबादी रहती है. ये प्रांत तेल, सोना, तांबा और समेत कई बहुमूल्य खदानों से सम्पन्न है. लेकिन इन तमाम संसाधनों का इस्तेमाल बलूचिस्तान की तरक्की में नहीं बल्कि पाकिस्तान की जरूरतों को पूरा करने में किया जाता है. इसी वजह से आज बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा राज्य है. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना ने हमेशा से बलूचों पर खूब अत्याचार किया है. यहां के नौजवानों युवकों और महिलाओं को हमेशा अपने ज़ुल्म का शिकार बनाया जिससे बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत बढ़ती चली गई और अब उसे अपने बदले की आग में जला रही है.
Pakistan के अत्याचार के खिलाफ खड़ी हुई BLA?

साल 1948 से ही पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को अपने कब्ज़े में लेकर उसपर ज़ुल्मोसितम शुरू कर दिए थे… पिछले दो दशकों की ही बात करें तो पाकिस्तानी सेना ने 5 हजार से ज्यादा बलूचों को गायब कर रखा है. उन्हे मारा है या फिर कहीं कैद कर रखा है, आज तक इसका पता नहीं चला है. बलूचों पर लगातार हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ BLA यानि बलूच लिबरेशन आर्मी ये आवाज़ उठाई. ये एक ऐसा संगठन है जो 2000 के दशक की शुरुआत से प्रांत की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा है. हालांकि पाकिस्तान के बहकावे में आकर कई देशों ने इसे आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है. जबकि BLA का कहना है कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा जा रहा है और बलूचों के अधिकार छीन लिए गए हैं. इसीलिए हमें अपने अधिकारों के लिए हथियार उठाने पड़े. और पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी सरकार और चीनी प्रोजेक्ट्स को अपना निशाना बना रहे हैं. BLA अपनी गुरिल्ला शैली के लिए जाना जाता है… यानी ये संगठन पहाड़ी इलाकों में छिपकर सेना पर हमला करना और फिर तुरंत वापस लौट जाता है.
क्या वाकई बलूचिस्तान से भारत का कोई कनेक्शन है?
लंबे समय से बलूचिस्तान में चले रहे संघर्ष को पाकिस्तानी सरकार भारत प्रायोजित बताती रही है… पाकिस्तानियों का कहना है कि Balochistan से गिरफ्तार कुलभूषण जाधव भारत का भेजा एजेंट था. जबकि पाक के इस दावे का कोई सबूत आज तक नहीं मिला है. हालांकि एक सच ये भी है कि आजादी के बाद से हमारा देश बलूचिस्तान के मुद्दे पर बोलने से बचता रहा है. भारत कभी किसी देश के आंतरिक टकराव में दखल नहीं देता, ये हमेशा से हमारी पॉलिसी रही है. लेकिन साल 2016 में पहली बार देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में बलूचिस्तान में चल रहे संघर्ष के बारे में बात की थी. उसके बाद से बलूचों को भी भारत से उम्मीदें होने लगीं और PM Modi से बलोचिस्तान को पाक के ज़ुल्मों से आज़ाद करवाने की आवाज़ें बुलंद होने लगीं.
क्या पाकिस्तान में फिर से बने हैं बांग्लादेश जैसे हालात?
अब सवाल ये है कि क्या वाकई पाकिस्तान के फिर से टुकड़े होने जा रहे हैं… क्या बांग्लादेश की तरह ही अब पाकिस्तान से अलग हो जाएगा बलूचिस्तान? इसके लिए हमें कुछ एक्सपर्ट्स के बयान जान लेने चाहिए…
British Human Rights Activist पीटर टैचेल बलूचों के संघर्ष की बराबरी वियतनाम के आंदोलन से करते हैं और कहते हैं कि “पाकिस्तान बलूचिस्तान की आज़ादी में कुछ वक्त के लिए देरी ज़रूर कर सकता है लेकिन इसे हमेशा के लिए नहीं रोक सकता”.
बलूच लेखक मीर यार अहमद का मानना है कि “Balochistan अब अपनी आजादी से सिर्फ 2 कदम दूर हैं… पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियां इस बात को स्वीकार करें या ना करें लेकिन देश में फिर से वैसे ही हालात बन चुके हैं जैसे 1971 में बांग्लादेश बनने के वक्त बने थे.”

इसके अलावा खुद कुछ पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स का मानना है कि “जनरल परवेज मुशर्रफ से लेकर उनके बाद के भी कुछ आला हुक्मरानों ने बलूचिस्तान के मामले में लापरवाही बरती है. इन लोगों ने ना तो बलूचों की कोई सुनवाई की और ज़रूरत से ज्यादा उनपर अत्याचार किया है. इसका नतीजा ये हुआ कि जो BLA पहले सिर्फ गोरिल्ला वार तक सीमित थी वो धीरे-धीरे बढ़ती चली गई और आत्मघाती हमले और प्रिसाइज अटैक जैसे बड़े हमले करने लगी. पहले जिन बलूचों का दायरा बलूचिस्तान के कुछ इलाकों तक ही सीमित था अब वो पूरे पाकिस्तान में अपने पैर पसार चुके हैं. पाकिस्तान की इस बढ़ती हुई चिंता को किसी ने समझने की कोशिश नहीं की और अब वो उन्ही के लिए नासूर बन चुकी है”. ठीक ऐसे ही हालात 1971 में बने थे जब बांग्लादेश का जन्म हुआ था. अब भी अगर पाकिस्तान नहीं संभला और अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया तो बलूचिस्तान की अलग देश बनने की पूरी तैयारी है.