 
                  Karwa Chauth Special. देशभर में रात 7-9 के बीच देखा जाएगा चांद… जानिए पूजा विधि, वीरावती कथा, और चंद्रमा-छलनी की परंपरा का महत्व
New Delhi : 10 अक्टूबर, शुक्रवार… आज के दिन देशभर में हर्षोल्लास के साथ Karwa Chauth का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन सुहागनें दिनभर बिना कुछ खाए पिए अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. शाम के समय चौथ माता की पूजा की जाएगी है और कथा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद सुहागनें पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करेंगी… चौथ माता की पूजा शाम को सूर्यास्त के वक्त होगी.
7 से 9 के बीच दिखेगा चंद्रमा

देश के जाने माने पंडितों का कहना है कि आज शाम 7 बजे से लेकर रात करीबन 9 बजे तक, देशभर में चंद्रमा देखा जाएगा. जो कि पूर्व उत्तर दिशा के बीच नजर आएगा. मौसम में गड़बड़ी के चलते, अगर चंद्रमा ना दिखे तो चंद्र उदय के समय पर पूर्व उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर आप अपना व्रत पूरा कर सकते हैं.
सतयुग से चली आ रही परंपरा
पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखने की ये परंपरा सतयुग से चली आ रही है… इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई थी. कहते हैं जब यम आए तो सावित्री ने उन्हे अपने पति को ले जाने से रोक दिया था. और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से वापस पा लिया. तब से ही पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने की परंपरा शुरू हो गई.
क्यों होती है चांद की पूजा?
ग्रंथों में भी कहा गया है कि चंद्रमा औषधियों का स्वामी है… चांद की रोशनी से अमृत मिलता है. इसका असर संवेदनाओं और भावनाओं पर पड़ता है. पुराणों में चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का प्रतीक बताया गया है. इसलिए सुहागनें पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में प्रेम बनाए रखने के लिए चंद्रमा की पूजा करती हैं.
पति, चंद्रमा को छलनी से क्यों देखते हैं?

भविष्य पुराण की कथा के अनुसार गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था… जिस वजह से चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से दोष लगता है. इससे बचने के लिए चंद्रमा को सीधे नहीं देखा जाता और छलनी का इस्तेमाल किया जाता है.
करवे से क्यों पीते हैं पानी?
करवा चौथ के व्रत में मिट्टी से बने करवे का इस्तेमाल होता है… आयुर्वेद में मिट्टी के बर्तनों के पानी को सेहत के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है. दिनभर बिना पानी के रहने के बाद मिट्टी के बर्तन के पानी पीने से पेट में ठंडक रहती है. धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो करवा पंचतत्वों से बना होता है… इसलिए इसे काफी पवित्र माना जाता है.
क्या है करवा चौथ की कथा?

प्राचीन समय में इन्द्रप्रस्थपुर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था… उसकी पत्नी लीलावती से उसके 7 बेटे और एक गुणवान बेटी वीरावती थी. 7 भाइयों की अकेली बहन होने की वजह से वो माता पिता और सातों भाइयों की लाडली थी. विवाह योग्य होने पर वीरावती का विवाह एक योग्य ब्राह्मण से हुआ. विवाह के बाद मायके में रहते हुए वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन वो दिनभर का निर्जला उपवास ना सह सकी और कमजोरी की वजह से बेहोश होकर गिर पड़ी. वीरावती के भाइयों से अपनी लाडली बहन की ये दशा देशी नहीं गई… वो जानते थे थे कि वह चांद को देखे बिना वीरावती अन्न-जल ग्रहण नहीं करेगी. ऐसे में उन्होने एक प्लान बनाया… सातों में से एक भाई कुछ दूर एक पेड़ पर चढ़ गया और छलनी के पीछे दीपक रख लिया. वीरावती के होश में आते ही सबने जोर से कहा “चांद निकल आया है”… और वे सभी उसे छत पर ले गए. वीरावती ने पेड़ के पास छलनी के पीछे दिखते दीपक को चन्द्रमा समझकर अर्घ्य अर्पित किया और अपना व्रत तोड़ दिया.
लेकिन थोड़ी देर बाद जैसे ही वीरावती और सभी खाना खाने बैठे तो अशुभ संकेत मिलने लगे… पहले कौर में बाल मिला, दूसरे में छींक आ गई, तीसरे के साथ ससुराल से निमंत्रण आ पहुंचा. ससुराल पहुंचकर वीरावती ने पति का मृत शरीर देखा… वह विलाप करने लगी और करवा चौथ में अपनी भूल को लेकर क्षमा मांगने लगी. तभी देवी इन्द्राणी यानि इन्द्रदेव की पत्नी वीरावती को सान्त्वना देने आईं…
वीरावती ने देवी से पूछा – “आज ही मेरे पति की मृत्यु क्यों हुई?” उसने देवी से पति को वापस जीवित करने की प्रार्थना की…
देवी इन्द्राणी ने कहा – “तुमने सच्चे चन्द्रदर्शन से पहले अर्घ्य देकर व्रत तोड़ दिया था… उसी वजह से पति की असमय मृत्यु हुई”.
फिर देवी ने उपदेश दिया – “अब करवा चौथ के साथ साल भर हर मास की चतुर्थी का व्रत श्रद्धा से करो… पुण्य से तुम्हें पति पुनः प्राप्त होंगे”.
जैसे देवी ने बताया वीरावती ने धार्मिक कृत्य और मासिक उपवास, दृढ़ विश्वास से किए… अंत में वीरावती को व्रतों के पुण्य फल मिला और उसका पति जीवित लौट आया.
बड़े शहरों में इस समय दिखेगा चांद
दिल्ली – 8.13
अमृतसर – 8.14
आगरा – 8.13
भोपाल – 8.26
बनारस – 7.58
लखनऊ – 8.00
कोलकाता – 7.42
गुवाहाटी – 7.19
शिमला – 8.04
पानीपत – 8.10
मुंबई – 8.55
अहमदाबाद – 8.44
चंडीगढ़ – 8.08

 
         
         
        