 
                  CJI गवई पर जूता फेंकने वाले वकील का दावा… ‘मुरादाबाद में मुस्लिमों ने पत्नी को उठाने की कोशिश की’… सनातन अपमान पर चुप नहीं रह सकता, लाइसेंस सस्पेंड, क्लाइंट्स ने छोड़ा.
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट में CJI BR Gavai पर जूता फेंकने वाले वकील Rakesh Kishore को लेकर काफी बातें सामने आई हैं… दिल्ली पुलिस की पूछताछ में उन्होने खुलकर Justice Gavai के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है. Kishore ने कहा कि “90 के दशक में मुरादाबाद में मुस्लिम बहुल इलाके में रहते हुए छोटी सी बात पर उनके साथ मारपीट की गई, उनकी पत्नी को उठाने की कोशिश की गई, जिससे मुस्लिमों के प्रति उनकी पुरानी कड़वाहट है”. Kishore ने दावा किया कि CJI Gavai ने खजुराहो के विष्णु मूर्ति मामले में “सनातन का अपमान” किया है इसलिए वे चुप नहीं रह सकते.
‘सनातन का अपमान नहीं सह सकता’

Rakesh Kishore ने कहा, “जैसे कोई शक्ति लगातार मुझसे पूछ रही थी कि तुम सनातन का अपमान कैसे सह सकते हो, कैसे चुप रह सकते हो”… वकील किशोर का SCBA रजिस्ट्रेशन साल 2011 का है लेकिन अब इसे SCBA ने लाइसेंस कैंसल कर दिया है और BCI ने भी सस्पेंड कर दिया है. सस्पेंशन से क्लाइंट्स केस-पैसे वापस ले जा रहे.
मुरादाबाद का पुराना किस्सा
पूछताछ में Kishore ने कहा, “90 के दशक में पत्नी मुरादाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थीं… वहां मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा है… शाम के बाद औरतों को बाहर नहीं निकाल सकते थे. मेरी स्कूटर से उनकी बकरी छू जाती तो मुझे उतारकर पीटते थे और पत्नी को उठा ले जाते थे. वहां ऐसा अक्सर होता था”.
सनातन और हिंदू सॉफ्ट टारगेट- किशोर

वकील Kishore ने CJI की टिप्पणी को “हिंदू देवताओं का अपमान” बताया… कहा “पहली हिंसा CJI की थी… उनके एक्शन पर मैंने रिएक्शन दिया. सनातन सॉफ्ट टारगेट है इसलिए ये ऐसा बोलते हैं, किसी और धर्म के देवता पर बोल कर दिखाएं”. किशोर ने बरेली बुलडोजर पर CJI Gavai के मॉरीशस भाषण का भी जिक्र किया और कहा, “योगी ने हिम्मत तो दिखाई, CJI ने बुलडोजर का भी विरोध किया”.
परिवार और क्लाइंट्स का रिएक्शन
Kishore ने कहा कि “जज पर जूता उछालने बाद से मेरा परिवार नाराज है… ये सनातन की कमी है. मुस्लिम महिलाएं हिंसा पर सड़क पर उतरतीं, लेकिन हमारी घर बंद कर लेतीं हैं. सस्पेंशन के बाद से मेरे सारे क्लाइंट्स डर गए हैं और अपना केस और मांग रहे हैं. मेरा काफी नुकसान हो गया है लेकिन जब तक जिऊंगा सनातन के लिए लड़ता रहूंगा”.
SCBA ने लाइसेंस किया सस्पेंड

SCBA ने 9 अक्टूबर को वकील Rakesh Kishore का लाइसेंस तत्काल कैंसल कर दिया… BCI अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा, “एक वकील का ऐसा व्यवहार कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है. अधिवक्ता अधिनियम 1961 का उल्लंघन है”. वहीं सस्पेंशन बिना जांच पर Rakesh Kishore ने सवाल उठाया और कहा, “धारा 35 में शो-कॉज नोटिस जरूरी होता है”.
विष्णु मूर्ति टिप्पणी से जुड़ा विवाद

ये घटना CJI गवई की 16 सितंबर 2025 की टिप्पणी से जुड़ी मानी जा रही है जब उन्होंने MP के खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में 7 फुट ऊंची खंडित भगवान विष्णु मूर्ति की बहाली की PIL खारिज की थी… CJI ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा था, “जाओ और भगवान विष्णु से खुद करने को कहो… तुम उनके कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो”. CJI गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि “मामला ASI के दायरे में है, आपको उनसे ही अनुमति लेनी होगी”.
सोशल मीडिया पर बढ़ा विवाद
मंदिर और भगवान को लेकर CJI की टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई… #ImpeachCJI और “सनातन अपमान” जैसे शब्द Trend होने लगे तो 18 सितंबर को CJI ने कोर्ट में सफाई दी और कहा “मेरी टिप्पणी को गलत तरीके से दिखाया है… मैं सभी धर्मों का बराबर सम्मान करता हूं”. उनके अलावा और भी कई बड़ी हस्तियों की प्रतिक्रिया सामने आई…
SG तुषार मेहता ने कहा “न्यूटन का नियम… हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया, लेकिन सोशल मीडिया पर ज्यादा. CJI सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं”.
जस्टिस विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को “एंटी-सोशल मीडिया” करार दिया…
वकील संजय नूली ने सभी बयानों को “झूठा बयान” बताया.
कपिल सिब्बल ने कहा हम वकीलों को रोज दिक्कत होती है.
क्या है पूरा विवाद?

16 सितंबर को MP के खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका Supreme Court ने खारिज कर दी थी… कोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता ने नाराजगी जताई और कहा ‘ये हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला फैसला है’. दरअसल याचिकाकर्ता का दावा है कि भगवान विष्णु की ये मूर्ति मुगलों के आक्रमण के वक्त खंडित हो गई थी और तभी से इस हालत में है… इसलिए श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार की रक्षा करने और मंदिर की पवित्रता को पुनर्जीवित करने के लिए Supreme Court मामले में हस्तक्षेप करे. लेकिन इस पर SC ने कहा है कि ‘प्रतिमा जिस स्थिति में है, उसी में रहेगी… भक्तों को पूजा करनी है तो वह किसी दूसरे मंदिर में जा सकते हैं’.

 
         
         
        