 
                  Mahatma Gandhi की तस्वीर और नोट का क्या है असली रिश्ता?Mahatma Gandhi Jayanti 2025
आज जब भी हम भारतीय करेंसी नोट देखते हैं, उस पर महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तस्वीर साफ दिखाई देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वतंत्रता के तुरंत बाद महात्मा गांधी का चेहरा हमारे नोटों पर नहीं छापा गया था? बल्कि शुरुआती दौर में ये विचार ठुकरा दिया गया था।
गांधी जी की तस्वीर नहीं, सिंह स्तंभ था पहली पसंद
भारत की आज़ादी के बाद जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश के नए करेंसी नोट छापने की प्रक्रिया शुरू की, तो चर्चा में ये बात भी आई कि नोटों पर किसकी तस्वीर लगाई जाए। दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन और अन्य फाउंडिंग फादर्स की तस्वीरें पहले ही उनकी करेंसी पर लग चुकी थीं।
लेकिन भारत में इस विचार को अस्वीकार कर दिया गया। इसके बजाय सारनाथ स्थित सिंह स्तंभ को भारत की नई पहचान के रूप में चुना गया। ये स्तंभ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाता था और तटस्थ प्रतीक माना गया।
पहली बार गांधी जी की फोटो कब छपी?
महात्मा गांधी की तस्वीर सबसे पहले 1969 में उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर एक विशेष नोट पर छपी थी। ये एक स्मृति नोट था जिसमें गांधी जी सेवाग्राम आश्रम की पृष्ठभूमि में बैठे दिखते हैं। ये स्थायी बदलाव नहीं था, बल्कि एक अस्थायी श्रद्धांजलि थी।

इसके बाद 1987 में ₹500 का नया नोट जारी किया गया, जिस पर एक बार फिर गांधी जी की तस्वीर नजर आई। ये राजीव गांधी सरकार के समय जारी हुआ था, और यहीं से गांधी जी के चेहरे को नोटों पर धीरे-धीरे जगह मिलने लगी।
महात्मा गांधी सीरीज़ – 1996 से अब तक
1996 में आरबीआई ने ‘महात्मा गांधी सीरीज’ की शुरुआत की। इस सीरीज के तहत ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹500 और ₹1000 के नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छापी जाने लगी। यहीं से गांधी जी भारतीय मुद्रा का स्थायी चेहरा बन गए। ये निर्णय भारतीय पहचान और मूल्य प्रणाली से गांधीजी को जोड़ने का प्रतीक था।
नोटों से गांधी जी की तस्वीर हटाने की मांग
समय-समय पर महात्मा गांधी की जगह सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, डॉ. भीमराव आंबेडकर, यहां तक कि लक्ष्मी और गणेश जी की तस्वीरें नोटों पर छापने की मांगें उठीं। लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक ने इस पर सहमति नहीं दी। गांधी जी का चेहरा भारतीय मुद्रा पर बना रहा – सत्य, अहिंसा और राष्ट्र निर्माण के मूल्यों का प्रतीक।
महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय नोटों पर अचानक नहीं आई, बल्कि ये एक ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम रही। एक समय जो विचार ठुकरा दिया गया था, वो आज भारतीय मुद्रा की पहचान बन चुका है। ये परिवर्तन सिर्फ एक डिजाइन नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की विचारधारा और मूल्यों को सम्मान देने का प्रतीक है।
Maulana Mahmood Madani : …मुसलमान हर कुर्बानी के लिए है तैयार..!


 
         
         
         
        
मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)