 
                  Pakistan का कबूलनाम, भारत पीटेगा तो सऊदी अरब बचाने आएगा !
पाकिस्तान (Pakistan) और सऊदी अरब (Saudi Arabia) के बीच हाल ही में हुए रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते के बाद बयानबाज़ी का दौर तेज हो गया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति बनती है, तो सऊदी अरब पूरी तरह पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा।
पाकिस्तान का दावा
एक इंटरव्यू के दौरान जब आसिफ से पूछा गया कि भारत-पाक युद्ध होने पर क्या सऊदी अरब शामिल होगा, तो उन्होंने जवाब दिया –
“हां बिल्कुल. इसमें कोई शक नहीं है।”
आसिफ ने कहा कि इस समझौते के तहत दोनों देश किसी भी हमले की स्थिति में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका कहना था कि अगर पाकिस्तान या सऊदी अरब पर कहीं से भी हमला होता है, तो इसे दोनों पर हमला माना जाएगा और संयुक्त जवाब दिया जाएगा।
समझौते का महत्व
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए इस समझौते का औपचारिक नाम रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता है। इसका उद्देश्य है –
- किसी भी देश पर हमले की स्थिति में संयुक्त रक्षा करना।
- दशकों पुराने सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करना।
- इस्लामी देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाना।
पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने कहा है कि इस समझौते के बाद अन्य देश भी इस्लामाबाद के साथ ऐसे ही समझौते करने में रुचि दिखा सकते हैं।

भारत की सख्त प्रतिक्रिया
भारत ने इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह इसकी बारीकी से समीक्षा करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ कहा कि –
- सरकार इस घटनाक्रम का राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति पर असर का अध्ययन करेगी।
- भारत अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

पृष्ठभूमि
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब भारत ने अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। इसके बाद से ही क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है।
Pakistan-Saudi समझौते से बदले समीकरण
सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौते ने दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। पाकिस्तान इसे अपने लिए सुरक्षा कवच मान रहा है, जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि वह इस समझौते के असर पर कड़ी नजर रखेगा और अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। आने वाले समय में यह समझौता भारत-पाक संबंधों और खाड़ी क्षेत्र की रणनीतिक समीकरणों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
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