 
                  China की चेतावनी: अगर AI आउट ऑफ कंट्रोल हुआ तो आतंकी आसानी से बड़े हथियार बना सकेंगे
China Warns For AI News
चीन (China) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है — अगर AI पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो यह आतंकवादी समूहों को परमाणु, जैविक, रासायनिक और मिसाइल जैसे विनाशक हथियारों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी आसानी से उपलब्ध करा सकता है। चीन का कहना है कि इससे वर्तमान सुरक्षा तंत्र अप्रभावी हो जाएंगे और वैश्विक शांति व सुरक्षा पर गहरा संकट मंडरा सकता है।
AI पर China ने क्या कहा ?
चीन की नेशनल साइबरसिक्योरिटी स्टैंडर्डाइजेशन टेक्निकल कमिटी और नेशनल कंप्यूटर नेटवर्क इमरजेंसी टीम ने साथ मिलकर एक नया AI सेफ्टी गवर्नेंस डॉक्यूमेंट प्रकाशित किया। इस दस्तावेज़ में विशेष चिंता जताई गई है कि AI की “retrieval-augmented generation” जैसी तकनीकें — जो इंटरनेट और बड़े डेटाबेस से जानकारी खींचकर उत्तर बनाती हैं — गलत हाथों में पड़ने पर खतरनाक सिद्ध हो सकती हैं। ऐसे मॉडल न केवल सामान्य जानकारी दे सकते हैं बल्कि हथियारों के सिद्धांत, डिजाइन और संचालन से जुड़ी तकनीकी जानकारी भी सरल भाषा में उपलब्ध करवा सकते हैं।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और हालिया उदाहरण
दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर की सेनाएँ AI का उपयोग अपनी क्षमताओं को तेज और अधिक असरदार बनाने के लिए कर रही हैं। रिपोर्ट ने जून में ईरान-इजराइल टकराव का जिक्र करते हुए साझा तकनीकी प्रयोगों का उदाहरण दिया — यह बताने के लिए कि युद्धक्षेत्र में AI-संचालित प्रणालियों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ रही है। चीन का तर्क है कि इसी प्रवृत्ति के साथ जोखिम भी बढ़ रहे हैं, खासकर तब जब तकनीक खतरनाक उपकरणों के निर्माण की जानकारी जन-साधारण या आतंकवादी नेटवर्क तक पहुँचा सके।
डुअल-यूज तकनीक का खतरा
चीन ने पहले भी 2024 में AI की “डुअल-यूज” प्रकृति पर चेतावनी दी थी — यानी वही तकनीकें जो रोज़मर्रा के कामों में काम आती हैं, उनका इस्तेमाल हथियार बनाने में भी हो सकता है। नए दस्तावेज़ में यह चिंता और अधिक स्पष्ट रूप से व्यक्त की गई है और सीधे तौर पर “मास डिस्ट्रक्शन वेपन्स” (विनाशकारी हथियारों) का जिक्र किया गया है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि AI चैटबॉट्स लोगों में लत जैसा व्यवहार पैदा कर सकते हैं और शिक्षा व नवाचार पर भी इनका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
क्या हो सकते हैं नतीजे?
दस्तावेज़ में जताई गई प्रमुख चुनौतियाँ निम्नानुसार हैं:
- संवेदनशील तकनीकी जानकारी का अनियंत्रित प्रसार।
- बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकने वाली तकनीकों का गलत इस्तेमाल।
- पारंपरिक सुरक्षा और निगरानी प्रणालियों का अप्रभावी होना।
- समाज में मानसिक व सामाजिक प्रभाव, जैसे चैटबॉट निर्भरता और शैक्षिक बाधाएँ।
जरूरी है वैश्विक गवर्नेंस
चीन के इस दस्तावेज़ का संदेश साफ है: AI के फायदों के साथ-साथ जोखिमों की भी गंभीरता से समीक्षा करनी होगी। तकनीक की वैश्विक प्रकृति को देखते हुए केवल एक देश के नियम काफी नहीं होंगे — अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियम, मानक और नियंत्रक तंत्र बनाना अनिवार्य है ताकि तकनीक का दुरुपयोग रोका जा सके और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, एथिकल फ्रेमवर्क, पारदर्शी निगरानी और तकनीकी पहुंच पर विवेकपूर्ण प्रतिबंध भी जरूरी दिखाई देते हैं।

 
         
         
         
        
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