 
                  Mehraj Malik की गिरफ्तारी पर मच गया बवाल !
Mehraj Malik News
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक मेहराज मलिक (Mehraj Malik) की गिरफ्तारी ने न केवल स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है, बल्कि पूरे देश में लोकतंत्र की मजबूती पर कथित सवाल खड़े कर दिए हैं. 8 सितंबर 2025 को प्रशासन द्वारा जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत उनकी गिरफ्तारी के बाद डोडा में व्यापक विरोध प्रदर्शन भड़क उठे. ये कार्रवाई न केवल एक विधायक की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है, बल्कि चुने हुए प्रतिनिधियों के खिलाफ कठोर कानूनों के दुरुपयोग का उदाहरण भी पेश करती है. आइए, इस घटना की पूरी पृष्ठभूमि, आरोपों और इसके राजनीतिक प्रभावों पर नजर डालें.
मेहराज मलिक: एक उभरते हुए नेता
मेहराज मलिक जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया चेहरा हैं, जिन्होंने 2024 के विधानसभा चुनावों में डोडा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मजबूत दावेदार को 4,538 वोटों के भारी अंतर से हराकर आप की पहली जीत दर्ज कराई. 37 वर्षीय मलिक, जो आप के जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख भी हैं, एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने 2020 में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल चुनावों में भी सफलता हासिल की थी. मलिक को स्थानीय मुद्दों जैसे अस्पताल, स्कूल और सड़कों के निर्माण पर मुखर होने के लिए जाना जाता है. उनकी गिरफ्तारी से पहले वे बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने वाले थे, जो उनकी जन-केंद्रित राजनीति को दर्शाता है.
गिरफ्तारी के पीछे क्या हैं आरोप?
प्रशासन के अनुसार, मलिक पर डोडा के डीसी हरविंदर सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप है. ये विवाद एक ग्रामीण को स्वास्थ्य विभाग द्वारा किराया न चुकाने के मुद्दे पर भड़का था. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मलिक को डीसी के खिलाफ गाली-गलौज करते हुए सुना जा सकता है. पुलिस ने 18 एफआईआर और जन शिकायतों का हवाला देते हुए कहा कि मलिक की गतिविधियां सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा हैं.
पीएसए एक कठोर प्रशासनिक कानून
पीएसए एक कठोर प्रशासनिक कानून है, जो बिना मुकदमे या आरोप तय किए दो वर्ष तक हिरासत की अनुमति देता है. ये कानून मूल रूप से लकड़ी तस्करी या आतंकवाद जैसे मामलों के लिए बनाया गया था, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसे राजनीतिक असहमति दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. डोडा के डीएम ने गिरफ्तारी को “कानून-व्यवस्था बनाए रखने” का कदम बताया, लेकिन विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला मानता है. मलिक को पहले भद्रवाह जेल भेजा गया, बाद में कठुआ जेल ट्रांसफर कर दिया गया.

डोडा में भड़के विरोध: हिंसा और प्रशासन की सख्ती
गिरफ्तारी के तुरंत बाद डोडा में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर मलिक की रिहाई की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू कर दी. प्रदर्शन और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों में एक उप पुलिस अधीक्षक, एक थाना प्रभारी समेत आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए. 70 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया. प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं और परीक्षाएं स्थगित कर दीं. आप समर्थकों का कहना है कि ये कार्रवाई मलिक की लोकप्रियता को दबाने की कोशिश है, जबकि भाजपा ने इसे कानून का पालन बताया.

संजय सिंह की गिरफ्तारी का विरोध: हाउस अरेस्ट का ड्रामा
मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह 11 सितंबर को श्रीनगर पहुंचे. वे प्रेस कॉन्फ्रेंस और धरना आयोजित करने वाले थे, लेकिन सरकारी गेस्ट हाउस को पुलिस छावनी में बदल दिया गया. सिंह को हाउस अरेस्ट कर लिया गया, जिसके बाद उन्होंने गेट पर चढ़कर पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से बात की. फारूक अब्दुल्ला मलिक से मिलने आए थे, लेकिन उन्हें भी रोका गया. सिंह ने इसे “तानाशाही का चरम” बताते हुए कहा, “लोकतंत्र में हक के लिए आवाज उठाना हमारा संवैधानिक अधिकार है.” दिल्ली के पूर्व मंत्री इमरान हुसैन भी उनके साथ हाउस अरेस्ट में हैं.
Mehraj Malik की गिरफ्तारी पर CM की प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस कार्रवाई की निंदा की. उन्होंने कहा, “पीएसए का इस्तेमाल एक चुने हुए विधायक पर गलत है. ये लोकतंत्र पर हमला है.” आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, “फारूक अब्दुल्ला को भी अपने राज्य में मिलने नहीं दिया जा रहा? ये गुंडागर्दी है.” पीडीपी नेता वहीद पारा और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सजाद लोन ने भी इसे असंवैधानिक बताया.
राजनीतिक निहितार्थ: लोकतंत्र की चुनौतियां
मलिक की गिरफ्तारी को आप ने “चुनावी हार का बदला” बताया, जबकि प्रशासन इसे “सार्वजनिक शांति” का मुद्दा मानता है. उमर अब्दुल्ला ने मलिक के परिवार से मुलाकात की और पीएसए रद्द करने की मांग की. भाजपा ने कार्रवाई का समर्थन किया, लेकिन विपक्ष इसे “आतंकवादियों जैसा व्यवहार” बता रहा है.

 
         
         
        