 
                  Nepal में ओली के बाद सत्ता की दौड़: रैपर बालेन शाह और पूर्व जज सुशीला कार्की सबसे बड़े दावेदार
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Nepal इस समय एक गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। भ्रष्टाचार और असंतोष के चलते यह नागरिक आंदोलन अपने चरम पर है, और अब सवाल यह उठता है कि देश की अगली सरकार किसके हाथ में होगी। पांच प्रमुख चेहरे इस समय चर्चा में हैं, जो अंतरिम प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल माने जा रहे हैं। इनमें रैपर बालेन शाह, पूर्व जज सुशीला कार्की, और नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह जैसे दावेदार शामिल हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में और क्यों ये नेता इस समय सत्ता के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं।
सुशीला कार्की: भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख वाली नेता
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस थीं, जिन्होंने भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव के खिलाफ अपनी मजबूती से आवाज उठाई थी। 2016 में जब वे नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस बनीं, तो यह एक ऐतिहासिक कदम था, लेकिन अगले ही साल, 2017 में उन पर संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। यह आरोप लगाया गया कि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता का गलत उपयोग कर रही थीं और फैसलों में राजनीतिक दबाव का विरोध कर रही थीं।

इसके बावजूद, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, और महाभियोग प्रस्ताव वापस ले लिया। उनके खिलाफ हो रहे इन हमलों के बावजूद, सुशीला कार्की ने न्याय की राह में कभी भी समझौता नहीं किया। अब आठ साल बाद, वे प्रधानमंत्री बनने के सबसे बड़े दावेदार मानी जा रही हैं, और यह संभावना जताई जा रही है कि उनके सख्त रुख से नेपाल में शासन में बदलाव हो सकता है।
बालेन शाह: रैपर से काठमांडू के मेयर तक
बालेन शाह, जिन्हें लोग प्यार से बालेन के नाम से जानते हैं, नेपाल के एक जाने-माने रैपर हैं, जिन्होंने अपनी गायकी के जरिए भ्रष्टाचार, गरीबी और पिछड़ेपन जैसे मुद्दों को उठाया। उनके रैप गाने युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुए। 2022 में काठमांडू के मेयर चुनाव में बालेन ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

उनकी यह जीत नेपाल में ‘बालेन इफेक्ट’ के रूप में जानी जाती है, जिससे कई युवा नेताओं ने राजनीति में कदम रखा। हालांकि बालेन शाह पर यह आरोप भी लगाए गए हैं कि वे युवाओं को भड़काकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, लेकिन उनके सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता और युवाओं के बीच उनका प्रभाव यह संकेत देता है कि वे भविष्य में नेपाल के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में प्रमुख दावेदार हो सकते हैं।
रबि लामिछाने: जेल से निकाले जाने के बाद बढ़ी लोकप्रियता
रबि लामिछाने नेपाल के एक प्रसिद्ध पत्रकार थे, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते थे। उन्होंने 2013 में लंबे समय तक चला टॉक शो करके गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा था। इसके बाद वे जनता के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाने गए। 2022 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की, जो चुनाव में शानदार सफलता प्राप्त करने में सफल रही।

हालांकि, रबि लामिछाने के करियर में कई विवाद भी सामने आए हैं, जिनमें नागरिकता से संबंधित मामले और भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं। फिर भी, 2025 में जब उन्हें जेल से मुक्त किया गया और देशभर में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों की लहर उठी, तो उनकी लोकप्रियता में जबरदस्त वृद्धि हुई। अब उन्हें भी नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।
कुलमान घिसिंग: बिजली संकट का समाधान करने वाले नेता
कुलमान घिसिंग को नेपाल में बिजली संकट को हल करने के लिए जाना जाता है। जब वे 2016 में नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के मैनेजिंग डायरेक्टर बने, तो देश में बिजली की भारी कमी थी। उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए बिजली संकट को लगभग खत्म कर दिया। इसके बाद नेपाल ने भारत को बिजली निर्यात करना भी शुरू कर दिया।

कुलमान घिसिंग की लोकप्रियता बढ़ी जब सरकार ने 2025 में उन्हें बर्खास्त कर दिया, क्योंकि उन्होंने उद्योगपतियों का बकाया बिजली बिल माफ करने से इनकार कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ देशभर में विरोध हुआ, और कुलमान ने ‘उज्यालो नेपाल’ अभियान के तहत युवाओं के बीच अपना प्रभाव बढ़ाया। अब वे भी नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए एक प्रमुख उम्मीदवार माने जा रहे हैं।
सन्दुक रुइट: ‘दृष्टि के देवता’ से नेता
सन्दुक रुइट नेपाल के मशहूर नेत्र विशेषज्ञ हैं, जिन्हें दुनिया भर में मोतियाबिंद सर्जरी के नए तरीके के लिए जाना जाता है। उन्होंने ‘गॉड ऑफ साइट’ के रूप में अपनी पहचान बनाई है। रुइट ने तिलगंगा नेत्र विज्ञान संस्थान की स्थापना की, जो अब तक लाखों लोगों की आंखों की रोशनी लौटा चुका है।

हालांकि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं अब सामने आई हैं, लेकिन उनके कार्यों और सामाजिक सेवाओं ने उन्हें एक सशक्त और प्रेरणादायक नेता के रूप में प्रस्तुत किया है।
ज्ञानेंद्र शाह: Nepal के अंतिम राजा
ज्ञानेंद्र शाह नेपाल के आखिरी राजा थे, जिन्होंने 2001 में शाही परिवार के नरसंहार के बाद सत्ता संभाली थी। नेपाल में 2008 में राजशाही को समाप्त कर दिया गया, लेकिन ज्ञानेंद्र शाह के नाम पर कई हिंदू राष्ट्रवादी संगठन उन्हें राजा के रूप में वापस देखने की मांग कर रहे हैं। ओली सरकार के पतन और वर्तमान राजनीतिक संकट के बीच उनके नाम की फिर से चर्चा हो रही है, और वह भी अगला प्रधानमंत्री बनने के दावेदार माने जा रहे हैं।

नेपाल इस समय एक बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, और प्रधानमंत्री के लिए कई मजबूत दावेदार सामने आए हैं। सुशीला कार्की, बालेन शाह, रबि लामिछाने, कुलमान घिसिंग, सन्दुक रुइट और ज्ञानेंद्र शाह जैसे नाम चर्चा में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ महीनों में नेपाल की राजनीति किस दिशा में जाती है, और कौन बनेगा नेपाल का अगला प्रधानमंत्री।

 
         
         
        