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Nepal Protest: ओली के इस्तीफे के बाद क्यों उठी बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग?
Nepal Protest:नेपाल इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। देश में चल रहे जनआंदोलन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है। इस उग्र जनविद्रोह के बीच एक नाम अचानक केंद्र में आ गया है — बालेंद्र शाह। नेपाल के युवाओं के बीच लोकप्रिय यह शख्स अब अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सामने लाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
ओली के इस्तीफे के बाद बालेंद्र शाह का तीखा बयान
ओली के इस्तीफे के तुरंत बाद काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने उन्हें “देश का हत्यारा” कहकर संबोधित किया। उन्होंने जनरल-Z (Gen-Z) से संयम बरतने और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान न पहुंचाने की अपील भी की। शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि वह सेना प्रमुख से बातचीत के लिए तैयार हैं — जिससे संकेत मिला कि वे अब केवल नगर प्रशासन तक सीमित नहीं रहना चाहते।

कौन हैं बालेंद्र शाह?
बालेंद्र शाह सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक रैपर, इंजीनियर और युवा विचारक हैं। वे 2022 में काठमांडू के मेयर बने और काठमांडू के 15वें मेयर के तौर पर पदभार संभाला। टाइम मैगजीन ने उन्हें 2023 की टॉप 100 प्रभावशाली शख्सियतों में शामिल किया था। 1990 में जन्मे शाह ने सिविल इंजीनियरिंग और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। उनकी पहचान साफ-सुथरी राजनीति, राष्ट्रवाद और युवाओं के अधिकारों के पैरोकार के रूप में बन चुकी है।
प्रदर्शनकारियों का समर्थन: शाह की लोकप्रियता में उबाल
वर्तमान आंदोलन को नेपाल के युवाओं, खासकर 28 वर्ष से कम उम्र के लोगों का समर्थन प्राप्त है। शाह ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस आंदोलन में कोई भी राजनीतिक दल या नेता अपनी रोटियां न सेंके। हालांकि उन्होंने खुद को इस आंदोलन से औपचारिक रूप से दूर रखा क्योंकि वे आयुसीमा से बाहर हैं, लेकिन उनके विचार और बयान प्रदर्शनकारियों के बीच गूंज रहे हैं। अब सड़कों पर बालेंद्र शाह को अंतरिम पीएम बनाए जाने की मांग हो रही है।

ओली और बालेंद्र के बीच टकराव का इतिहास
बालेंद्र शाह और केपी शर्मा ओली के बीच लंबे समय से वैचारिक मतभेद रहे हैं। शाह ओली की नीतियों और उनके नेतृत्व शैली के आलोचक रहे हैं। इसलिए जब ओली ने इस्तीफा दिया, तो शाह के कटाक्ष और आक्रामक बयान ने इस बात को और पुख्ता कर दिया कि उनके बीच गहरी राजनीतिक खाई है।

नेपाल में हिंसा की भयावहता: पूर्व पीएम की पत्नी की दर्दनाक मौत
नेपाल में हालात केवल राजनीतिक संकट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हिंसा के चरम स्तर तक पहुंच गए हैं। प्रदर्शनकारियों के एक उग्र गुट ने पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के आवास पर हमला कर दिया, जिसमें उनकी पत्नी रविलक्ष्मी चित्रकार की दर्दनाक मौत हो गई। उन पर पेट्रोल बम से हमला किया गया और गंभीर रूप से झुलसने के बाद उन्होंने कीर्तिपुर अस्पताल में दम तोड़ दिया। यह घटना आंदोलन की दिशा और उसके चरित्र पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
Nepal Protest, सेना की चूक और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
पूर्व पीएम खनाल को सेना ने समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था, लेकिन उनकी पत्नी घर पर ही रह गईं। सुरक्षा एजेंसियों की यह चूक उनकी जान पर भारी पड़ गई। इससे स्पष्ट होता है कि नेपाल की कानून व्यवस्था इस हिंसक आंदोलन के सामने लाचार साबित हो रही है।
बालेंद्र शाह उम्मीद या उथल-पुथल का नया अध्याय?
नेपाल की वर्तमान स्थिति एक निर्णायक मोड़ पर है। एक तरफ देश हिंसा और अराजकता की आग में जल रहा है, वहीं दूसरी ओर युवा वर्ग एक “नए नेतृत्व मॉडल” की तलाश में है, जिसे बालेंद्र शाह में देखा जा रहा है। वे शिक्षित, युवा, तकनीकी रूप से दक्ष और सबसे अहम बात — सिस्टम से बाहर से आए हुए नेता हैं, जिनकी छवि अभी तक बेदाग मानी जाती है।
हालांकि, उनके खिलाफ यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे इस आंदोलन के पीछे की प्रेरणा हैं? क्या उनका विरोध प्रदर्शनों को समर्थन देना एक रणनीतिक कदम था? इन सवालों के जवाब भविष्य में सामने आएंगे, लेकिन इतना तो तय है कि नेपाल की राजनीति में अब युवा शक्ति निर्णायक भूमिका निभाने जा रही है, और बालेंद्र शाह उसका प्रतीक बनते जा रहे हैं।

 
         
         
        