 
                  क्या अब यूक्रेन की जगह Putin की सुन रहे हैं Trump?
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यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका की नीति में बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Putin) की मुलाकात के बाद क्रेमलिन ने बड़ा दावा किया है कि “ट्रंप प्रशासन अब हमारी बात सुन रहा है।” पुतिन का कहना है कि पहले जहां जो बाइडेन सरकार रूस की चिंताओं को नजरअंदाज कर रही थी, वहीं अब अमेरिका और रूस के बीच इस संघर्ष पर “पारस्परिक समझ” बन रही है।
Putin का बयान और Trump की नीति
चीन यात्रा के दौरान पुतिन ने कहा कि ट्रंप सरकार रूस के तर्कों पर गौर कर रही है। उन्होंने यूरोपीय नेताओं के साथ हुई बैठकों का ज़िक्र करते हुए इसे सकारात्मक संकेत बताया। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि अगर रूस शांति वार्ता में गंभीर भागीदारी नहीं करता तो कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। यानी अमेरिका का झुकाव रूस की ओर दिख रहा है, लेकिन संभावित दंडात्मक कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में रूस का एजेंडा
पुतिन इन दिनों चीन के तियानजिन शहर में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में शामिल हैं, जहां उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हुई। SCO लंबे समय से एक ऐसा मंच माना जाता है जो मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश करता है। ट्रंप के दबाव के बीच पुतिन इस संगठन को अपने कूटनीतिक हथियार के रूप में और सक्रिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

NATO सदस्यता पर रूस का कड़ा रुख
यूक्रेन के लिए नाटो सदस्यता का मुद्दा अब भी सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है। पुतिन ने स्पष्ट कहा कि रूस कभी भी यूक्रेन को नाटो में शामिल होने नहीं देगा। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि यूक्रेन का यूरोपीय संघ में शामिल होना उन्हें स्वीकार्य है।
परमाणु संयंत्र और संभावित सहयोग
पुतिन ने ज़ापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र के मुद्दे पर भी नरम रुख दिखाया। यह संयंत्र यूरोप का सबसे बड़ा और दुनिया के शीर्ष दस परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में शामिल है, जो युद्ध के बीच लगातार चिंता का कारण बना हुआ है। पुतिन ने कहा कि रूस इस मुद्दे पर “अपने अमेरिकी साझेदारों” के साथ भी सहयोग कर सकता है, बशर्ते हालात अनुकूल हों।
क्रेमलिन के दावे से साफ है कि अमेरिका और रूस के बीच संवाद की नई जमीन बन रही है। ट्रंप प्रशासन का रुख रूस की ओर झुकता दिख रहा है, लेकिन वह पूरी तरह से मास्को के पक्ष में खड़ा है, ऐसा कहना अभी जल्दबाज़ी होगा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह “आपसी समझ” यूक्रेन युद्ध को किसी समाधान की दिशा में ले जा पाएगी या यह केवल कूटनीतिक दबाव का खेल है।

 
         
         
        