PM Modi का मां का अपमान, बिहार चुनाव में विपक्ष हो जाएगा काम तमाम ?
PM Modi News Update
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बिहार राज्य आजीविका निधि कार्यक्रम के वर्चुअल उद्घाटन में अपनी मां हीराबेन के खिलाफ हुई अपमानजनक टिप्पणी का ज़िक्र करते हुए विपक्ष पर सीधा हमला बोला। उन्होंने भावुक होकर कहा कि “कांग्रेस और राजद ने मेरी मां को गालियां दीं, यह हर बिहारी मां-बहन-बेटी का अपमान है।” इस बयान के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव का राजनीतिक माहौल एक नए मोड़ पर पहुंच गया है।
1. PM Modi का मास्टर पंच
27 अगस्त 2025 को दरभंगा में कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान स्थानीय नेता मोहम्मद नौशाद के कार्यक्रम में मोहम्मद रिजवी नाम के शख्स की आपत्तिजनक टिप्पणी का वीडियो वायरल हुआ था। बीजेपी ने इस मामले में जोरदार हमला बोला और राहुल गांधी, तेजस्वी यादव की चुप्पी पर सवाल उठाए। मोदी ने इसे छठ पूजा और नवरात्रि जैसे त्योहारों से जोड़ते हुए ‘छठी मैया का अपमान’ तक करार दिया। ग्रामीण इलाकों और महिलाओं के बीच यह भावनात्मक अपील गहरी पैठ बना सकती है।
2. Narrative War में बढ़त
बिहार की राजनीति में मातृ-सम्मान एक गहरी सांस्कृतिक भावना है। मोदी का संदेश महिला मतदाताओं, खासकर ग्रामीण और पिछड़े वर्गों तक आसानी से पहुंच रहा है। सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस-राजद की आलोचना और बीजेपी के समर्थन में गुस्सा देखा जा रहा है। विपक्ष की सफाई या चुप्पी, बीजेपी को नैरेटिव सेट करने का मौका देती दिख रही है।

3. एनडीए में एकजुटता
मोदी का यह दांव एनडीए को भी मजबूती देने का काम कर रहा है। जेडीयू, एलजेपी (रामविलास) और हम जैसे सहयोगी दल इस मुद्दे पर बीजेपी के साथ खड़े हो गए हैं। चिराग पासवान ने इसे “बिहार की अस्मिता पर हमला” बताया, जबकि जीतन राम मांझी ने महागठबंधन की “नैतिक हार” करार दिया। इससे दलित और ईबीसी वोट बैंक में एनडीए की पकड़ और मजबूत होती दिख रही है।
4. महिलाओं का वोट निर्णायक
2020 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा रही थी। यही वजह है कि सभी दल महिला वोटरों को साधने में जुटे हैं। मोदी ने ‘जीविका दीदी योजना’ का ज़िक्र कर महिला मतदाताओं से सीधा जुड़ाव बनाने की कोशिश की। बीजेपी महिला मोर्चा भी सड़कों पर उतरकर इसे नारी सम्मान का मुद्दा बना रही है।
नतीजा क्या हो सकता है?
मोदी ने ‘मां का अपमान’ को केवल निजी मुद्दा न बनाकर बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक अस्मिता से जोड़ दिया है। यह भावनात्मक कार्ड महिला वोटरों, दलित-ओबीसी समुदाय और ग्रामीण मतदाताओं पर असर डाल सकता है। साथ ही, एनडीए के भीतर एकजुटता की नई ऊर्जा भी पैदा कर रहा है। अब सवाल यह है कि कांग्रेस-राजद इस नैरेटिव का मुकाबला कैसे करेंगे, क्योंकि अगर विपक्ष रक्षात्मक ही रह गया, तो बिहार चुनाव 2025 में बीजेपी को बढ़त मिलना तय माना जा सकता है।
