SCO Summit में भारत का बज गया डंका
SCO Summit Update
चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन भारत की कूटनीतिक सफलता का गवाह बना। यह मंच न केवल आतंकवाद पर भारत की सख्त स्थिति को दर्शाता है, बल्कि रूस और चीन के साथ उसकी साझेदारी को भी नई मजबूती प्रदान करता है। पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों और स्वतंत्र विदेश नीति को साफ संदेश दिया है।
1. पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यह हमला मानवता पर सीधा आघात है और आतंकवाद पर किसी भी तरह का “डबल स्टैंडर्ड” स्वीकार्य नहीं होगा। मंच पर पाकिस्तान की मौजूदगी के बावजूद SCO के साझा बयान में इस हमले की निंदा होना भारत के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है।
2. रूस–भारत की ‘टाइम-टेस्टेड फ्रेंडशिप’
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की गर्मजोशी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा संदेश दिया। पुतिन मोदी से मिलने के लिए इंतजार करते रहे और दोनों नेताओं ने गाड़ी में बैठकर 40–50 मिनट की लंबी चर्चा की। यह मुलाकात दिखाती है कि कठिन दौर में भी भारत–रूस की साझेदारी मजबूत है। दिसंबर में पुतिन भारत यात्रा पर आएंगे और नए रक्षा व व्यापारिक समझौते होने की उम्मीद है।

3. पश्चिमी दबाव को ठुकराया
भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से संचालित करेगा। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस से दूरी बनाने का दबाव बनाने के बावजूद भारत ने पुतिन के साथ रिश्तों को और मजबूत किया। मोदी–पुतिन–जिनपिंग की तिकड़ी की मुलाकात ने नए वैश्विक समीकरणों की झलक दी, जिसे रूस ने “नए वर्ल्ड ऑर्डर की शुरुआत” करार दिया।
4. रक्षा सहयोग और आर्थिक रणनीति
ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर S-400 डिफेंस सिस्टम तक भारत–रूस सहयोग एक बार फिर चर्चा में रहा। इसके साथ ही पुतिन ने SCO ढांचे में स्वतंत्र भुगतान प्रणाली विकसित करने की बात कही। कई सदस्य देश पहले से ही स्थानीय मुद्राओं में व्यापार कर रहे हैं, जो डॉलर आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था को चुनौती देता है। यह कदम अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय है।

5. चीन और वैश्विक समीकरण
मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की बैठक में सहज माहौल और आपसी विश्वास ने साफ संकेत दिया कि एशियाई ताकतें अब नए वैश्विक ढांचे की दिशा में बढ़ रही हैं। मोदी–पुतिन की गलबहियां और हंसी-मजाक के बीच हुई मुलाकात पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, के लिए असहज करने वाली रही। ट्रंप द्वारा भारतीय तेल पर टैरिफ बढ़ाना इसी कूटनीतिक समीकरण का नतीजा माना जा रहा है।
6. शांति का संदेश
यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कहा कि संघर्ष का समाधान केवल शांति और संवाद के रास्ते से निकल सकता है। उन्होंने स्थायी समाधान की अपील करते हुए कहा कि यह पूरी मानवता की मांग है। यह बयान भारत को केवल क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति दूत के रूप में भी स्थापित करता है।
SCO में भारत का दबदबा
SCO समिट ने यह साफ कर दिया कि भारत अब किसी दबाव में नहीं झुकता। पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने से लेकर रूस और चीन के साथ रिश्ते मजबूत करने तक, भारत ने अपने कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया। पश्चिमी टैरिफ की ‘दादागीरी’ को नजरअंदाज कर भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और वह केवल अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर फैसले लेगा।
