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Firozabad Councillors Protest: मुंडन से पहले ही पुलिस का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
फिरोजाबाद नगर निगम की कथित लापरवाही और प्रशासन की ‘बहरी सरकार’ के खिलाफ भाजपा पार्षदों ने लखनऊ में विरोध की ठानी। योजना थी कि राजधानी में जाकर मुंडन करा कर नगर निगम की लाज उतारी जाए। लेकिन पुलिस को भी शायद यह डर था कि कहीं बाल उड़ते-उड़ते शासन की साख न उड़ जाए। नतीजा – Firozabad Councillors Protest शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया गया।
Firozabad Councillors Protest: मोबाइल लोकेशन से पकड़े गए जनप्रतिनिधि
पुलिस का ऑपरेशन इतना हाईटेक कि नेताओं की गाड़ियों से ज्यादा उनके मोबाइल की लोकेशन काम आई। दारुलशफा और एक होटल में छिपे बैठे 8 पार्षदों को पुलिस ने दबोच लिया। पकड़े गए चेहरों में अजय गुप्ता, हरिओम गुप्ता ‘चटनी’, मुनेंद्र सिंह यादव, देशदीपक यादव, ऊषा शंखवार, आशीष दिवाकर शामिल थे। साथ ही पार्षद प्रतिनिधि पंकज यादव और राजेश शंखवार भी इस गिरफ्तारी की ‘लिस्ट’ में आए। शाम 5 बजे तक सभी को थाने में ठंडा पानी पिलाकर वापस छोड़ दिया गया।
Firozabad Councillors Protest: पुलिस बनी नाई, विरोध बना कॉमेडी शो
पुलिस ने पार्षदों का मुंडन तो नहीं कराया, लेकिन गिरफ्तारी ने माहौल जरूर हल्का कर दिया। अब जनता कह रही है कि “बाल तो रह गए, पर इज्जत उड़ गई।” Firozabad Councillors Protest ने नगर निगम प्रशासन पर भी बड़ा सवाल उठा दिया – आखिर ऐसी नौबत क्यों आई कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को सड़क पर विरोध करना पड़े?
Firozabad Councillors Protest: पार्षदों की मांगें और प्रशासन की खामोशी
असल में पार्षद अप्रैल में हुई सदन की बैठक का ब्यौरा मांग रहे थे। वे चाहते हैं कि हर महीने कार्यकारिणी की बैठक और हर दो माह में सदन की बैठक हो। इसके अलावा ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने और कर्मचारियों की बायोमैट्रिक हाजिरी सुनिश्चित करने की भी मांग की जा रही थी। कई ज्ञापन नगर आयुक्त, डीएम और मंडलायुक्त को दिए जा चुके हैं, लेकिन जवाब वही – “फाइल देख रहे हैं।” यही कारण था कि मामला Protest तक पहुंचा।
Firozabad Councillors Protest: मंत्री तक पहुंचने से पहले ही रोके गए
पार्षद यादव ने बताया कि वे नगर विकास मंत्री से मिलने जा रहे थे। पर इंस्पेक्टर योगेंद्र पाल सिंह ने समझाया कि “अपनी लड़ाई सदन में लड़ो।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्षदों की बात डीएम तक पहुंचाई जाएगी। यानी विरोध खत्म, आश्वासन शुरू। जनता कह रही है कि “सवाल वही है – क्या इस देश में लोकतंत्र अब आश्वासनों पर चलता है?”
Firozabad Councillors Protest: विरोध का सस्पेंस बना मजाक
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया कि प्रशासन और जनता के बीच संवाद की दीवार कितनी मोटी हो चुकी है। Councillors Protest शुरू भी नहीं हो पाया और खत्म भी हो गया। पुलिस ने पार्षदों को गिरफ्तार कर छोड़ दिया, लेकिन सवाल यह छोड़ गई कि आखिर नगर निगम की बैठकें कब होंगी, बायोमैट्रिक सिस्टम कब लागू होगा और ई-ऑफिस कब शुरू होगा?

 
         
         
         
        