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Ganesh Mahotsav in Vrindavan: लोई बाजार में गूँजा गणपति बाप्पा मोरया
Ganesh Mahotsav का जादू इन दिनों लोई बाजार के गोविंद बाग में सिर चढ़कर बोल रहा है। रात 8 बजे से शुरू होकर 10 बजे तक पूरे क्षेत्र में केवल “गणपति बाप्पा मोरया” की ध्वनि गूँजती रही। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग – सभी भक्तिरस में डूबे नजर आए। ढोल-नगाड़ों की थाप पर जब आरती उतरी तो लगा जैसे स्वयं विघ्नहर्ता गणपति लोई बाजार की गलियों में विराजमान हो गए हों।
Ganesh Mahotsav in Vrindavan: डांडिया की ताल पर थिरकीं महिलाएं

Ganesh Mahotsav का तीसरा दिन महिलाओं के नाम रहा। परंपरागत वेशभूषा में सजी-धजी महिलाएं जब डांडिया की ताल पर थिरकीं, तो भक्तिरस और संस्कृति का संगम नजर आया। नृत्य ऐसा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। कहीं तालियों की गूंज, कहीं डांडिया की टकराहट और हर तरफ उत्साह का सागर। यह नजारा किसी मेले से कम नहीं था।
Ganesh Mahotsav in Vrindavan: आयोजकों ने रचा भव्य अध्याय
Ganesh Mahotsav को सफल बनाने में क्षेत्र के युवाओं और परिवारों का विशेष योगदान रहा। वैभव अग्रवाल, लवी अग्रवाल, गोविंद खंडेलवाल और श्रद्धा खंडेलवाल इस आयोजन के मुख्य स्तंभ बने। लेकिन सिर्फ यही नहीं, स्थानीय लोगों का सहयोग भी देखते ही बनता था। लोग कहते हैं कि “गणपति बाप्पा” का यह महोत्सव अब सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि ब्रज की संस्कृति की पहचान बन चुका है।
Ganesh Mahotsav in Vrindavan: वर्षों से चली आ रही परंपरा

पिछले कई वर्षों से यह परंपरा लोई बाजार में जीवित है और हर बार पहले से ज्यादा भव्य रूप लेती है। बच्चे गणपति के गीत गाते हैं, महिलाएं भजन गाती हैं और पुरुष आयोजन में हाथ बंटाते हैं। इस बार का डांडिया नृत्य उस परंपरा की जीती-जागती तस्वीर था, जिसमें संस्कृति और भक्ति एक-दूसरे में घुल-मिल गईं।
Ganesh Mahotsav in Vrindavan: भक्तिरस से भीगा वातावरण
इस Ganesh Mahotsav के दौरान पूरे इलाके में भक्तिरस का ऐसा रंग चढ़ा कि हर घर में दीप जलते दिखे। बाजारों में रौनक, सड़कों पर चहल-पहल और मंदिरों में लगातार आरती – यह सब मिलकर वृंदावन की पहचान को और भी उजागर कर रहे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि गणेश महोत्सव अब वृंदावन की नई धड़कन बन चुका है।
Ganesh Mahotsav in Vrindavan: ब्रज संस्कृति और गणपति महिमा का संगम
Ganesh Mahotsav ने यह साबित कर दिया कि ब्रजभूमि न केवल राधा-कृष्ण की भक्ति में डूबी है बल्कि गणपति बाप्पा के स्वागत में भी कोई कमी नहीं छोड़ती। डांडिया नृत्य ने इस आयोजन को और भी रंगीन बना दिया। भक्त कहते हैं – “जब-जब ब्रज में भक्ति का बिगुल बजता है, पूरा समाज एक धारा में बह जाता है।”

 
         
         
         
        