 
                  Moscow: Putin से मिलकर S Jaishankar ने कहा-सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद भारत-रूस संबंध सबसे स्थिर
S Jaishankar met Putin News
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपनी तीन दिवसीय रूस यात्रा पर मॉस्को पहुंचे, जहां उन्होंने गुरुवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Putin) से मुलाकात की। इस दौरान जयशंकर ने भारत-रूस संबंधों को “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में से एक” बताया। वहीं, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी इन संबंधों को विशेष रणनीतिक साझेदारी करार दिया।
अमेरिका के दबाव के बीच अहम मुलाकात
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है। ऐसे माहौल में जयशंकर की यात्रा और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा
जयशंकर और लावरोव की बैठक में राजनीतिक संबंधों और द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा हुई। जयशंकर ने रूसी कंपनियों से भारतीय साझेदारों के साथ और गहनता से काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को व्यापार को और अधिक विविध बनाना होगा ताकि साझेदारी मजबूत हो सके।
आर्थिक और लॉजिस्टिक सहयोग पर फोकस
विदेश मंत्री ने रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से भी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लॉजिस्टिक बाधाओं को दूर करने, नॉन-टैरिफ रुकावटें हटाने, नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसे विषयों पर विशेष जोर दिया। जयशंकर ने कहा – “हमारा मंत्र अधिक करना और अलग तरीके से करना होना चाहिए।”

जटिल भू-राजनीतिक हालात के बावजूद करीबी रिश्ते
जयशंकर ने बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि यह बातचीत जटिल जियोपॉलिटिकल हालात की पृष्ठभूमि में हो रही है, लेकिन भारत और रूस नेतृत्व स्तर पर लगातार करीबी और नियमित संवाद बनाए हुए हैं।
Putin और रूस का रुख
इससे पहले भारत में रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने भी कहा था कि पश्चिमी प्रतिबंधों और दबाव के बावजूद भारत-रूस संबंध “उन्नत पथ” पर हैं। उन्होंने ऊर्जा और रक्षा को साझेदारी के अहम स्तंभ बताते हुए कहा कि दोनों क्षेत्र चुनौतियों के बावजूद लगातार प्रगति कर रहे हैं।
व्यापार में जबरदस्त वृद्धि, असंतुलन की चुनौती
भारत और रूस के बीच व्यापार में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। 2021 में जहां द्विपक्षीय व्यापार 13 अरब डॉलर था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 68 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हालांकि, इसमें असंतुलन की चुनौती भी सामने आई है। 2021 में भारत का व्यापार घाटा 6.6 अरब डॉलर था, जो अब लगभग 59 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
अमेरिका को मिल गया जवाब !
जयशंकर की यह रूस यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ने हाल ही में टैरिफ के जरिए भारत पर दबाव बनाने की नाकाम कोशिश की है, लेकिन भारत-रूस संबंधों की स्थिरता और रणनीतिक महत्व दोनों देशों के लिए प्राथमिकता बने हुए हैं। ऊर्जा, रक्षा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में सहयोग यह दर्शाता है कि भारत और रूस अपने रिश्तों को और गहराई देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

 
         
         
        