Kabul में China-Pakistan-Afghanistan की बैठक में क्या खिचड़ी पकी ? जानिए पूरा सच

Kabul में China-Pakistan-Afghanistan की बैठक में क्या खिचड़ी पकी ? जानिए पूरा सच

Kabul में चीन-पाकिस्तान-अफगानिस्तान त्रिपक्षीय बैठक: भारत की बढ़ी चिंताएं

Kabul News Update

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) में 20 अगस्त 2025 को चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की छठी त्रिपक्षीय बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी शामिल हुए। बैठक का मुख्य एजेंडा क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार, कनेक्टिविटी और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति रहा। हालांकि, इस सम्मेलन ने भारत की सुरक्षा और भू-राजनीतिक हितों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Kabul बैठक के प्रमुख मुद्दे

बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तार देने पर सहमति बनी। यह प्रोजेक्ट चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का अहम हिस्सा है। इसके तहत अफगानिस्तान में सड़क, रेल और ऊर्जा ढांचे के विकास के साथ व्यापारिक संपर्क बढ़ाने की योजना बनाई गई। इसके अलावा, तीनों देशों ने आतंकवाद विरोधी सहयोग को और मज़बूत करने पर भी जोर दिया।

चीन इस कदम से अफगानिस्तान में अपनी आर्थिक और रणनीतिक पैठ मजबूत करना चाहता है। पाकिस्तान इस सहयोग को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अहम मान रहा है, जबकि तालिबान इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर वैधता हासिल करने के अवसर के रूप में देख रहा है।

Kabul में China-Pakistan-Afghanistan की बैठक में क्या खिचड़ी पकी ? जानिए पूरा सच

भारत की चिंताएं

भारत ने इस त्रिपक्षीय बैठक को लेकर अपनी गहरी चिंताएँ जाहिर की हैं।

  • CPEC का विस्तार: भारत पहले से ही CPEC का विरोध करता रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। अब अफगानिस्तान तक इसके विस्तार से भारत की सामरिक चुनौतियाँ और बढ़ सकती हैं।
  • तालिबान का भूमिका: चीन और पाकिस्तान का तालिबान के साथ बढ़ता सहयोग भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। आशंका है कि यह गठजोड़ क्षेत्र में चरमपंथी गतिविधियों को अप्रत्यक्ष बढ़ावा दे सकता है।
  • रणनीतिक घेराबंदी: भारत को लगता है कि चीन इस क्षेत्र में अपनी सैन्य और आर्थिक मौजूदगी बढ़ाकर उसे रणनीतिक रूप से घेरने की कोशिश कर रहा है।

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव

यह बैठक न केवल दक्षिण एशिया बल्कि वैश्विक राजनीति में भी नए समीकरण पैदा कर रही है। चीन जहां अपने आर्थिक और राजनीतिक हित साध रहा है, वहीं पाकिस्तान इस सहयोग से भारत के खिलाफ संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। तालिबान के लिए यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता की ओर एक कदम माना जा रहा है।

भारत की रणनीति

भारत ने स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद और अस्थिरता को बढ़ावा देने वाली किसी भी गतिविधि का कड़ा विरोध करेगा। साथ ही, भारत अफगानिस्तान में मानवीय सहायता, शिक्षा और विकास परियोजनाओं के जरिए अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है।

क्षेत्रीय राजनीति में नए समीकरण

काबुल की ये त्रिपक्षीय बैठक क्षेत्रीय राजनीति में नए समीकरण बना रही है। जहां चीन और पाकिस्तान इसे सहयोग और विकास का अवसर बता रहे हैं, वहीं भारत इसे अपने लिए सामरिक खतरे के रूप में देख रहा है। आने वाले समय में भारत को अपनी कूटनीतिक और सुरक्षा रणनीतियों को और सशक्त करना होगा, ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखी जा सके।

 

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