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रंगनाथ मंदिर में मनाया भगवान का जन्मोत्सव: पंचामृत से किया अभिषेक, सोने के झूले में झुलाया लड्डू गोपाल को
Vrindavan Krishna Janmotsav का रंग-ढंग कुछ ऐसा था कि पूरा ब्रज धाम झूम उठा। मथुरा के वृंदावन स्थित दक्षिण भारतीय शैली के भव्य Ranganath Temple Janmashtami उत्सव में सोमवार की देर रात लड्डू गोपाल का पंचामृत अभिषेक कर उन्हें सोने के बने झूले में झुलाया गया। मंदिर परिसर “जय कन्हैया लाल की” के नारों से गूंज उठा और भक्त अपने लाडले गोपाल के दर्शन कर धन्य हो गए।
Ranganath Temple Janmashtami: पंचामृत से हुआ Laddu Gopal Abhishek
सोमवार की देर रात रंगनाथ मंदिर में आयोजित जन्मोत्सव में सबसे पहले भगवान Laddu Gopal का अभिषेक किया गया। पुजारियों ने चांदी के पात्रों में रखी अभिषेक सामग्री को मंत्रोच्चार के साथ शुद्ध किया और फिर शुरू हुआ दिव्य स्नान। पहले यमुना जल से अभिषेक, फिर पंचामृत स्नान और अंत में 9 कलशों से सहस्त्रधारा अभिषेक कर भगवान को स्नान कराया गया। यह दृश्य इतना मनमोहक था कि भक्तजन मंत्रमुग्ध होकर “रंगनाथ महाराज की जय” के स्वर में गूंज उठे।
भगवान की आरती और सहस्त्रधारा अभिषेक

पंचामृत अभिषेक के बाद भगवान का श्रृंगार शुरू हुआ। तुलसी की माला पहनाकर और चंदन लगाकर उनकी आरती उतारी गई। पुजारियों ने रघुनाथ स्वामी जी के नेतृत्व में विशेष पाठ किया और इसके बाद सहस्त्रधारा अभिषेक से उत्सव की गरिमा और भी बढ़ गई। इस धार्मिक अनुष्ठान ने जन्मोत्सव को दिव्यता की नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
मनोहारी श्रृंगार और कुंभ आरती
Ranganath Temple Janmashtami की सबसे खास झलक रही भगवान का अलंकरण। लड्डू गोपाल को कीमती आभूषणों से सजाया गया, सुगंधित पुष्पों की मालाओं से श्रृंगार किया गया। श्रृंगार इतना भव्य था कि मानो स्वयं वैकुंठ से भगवान अवतरित हो गए हों। किसी की नज़र न लगे, इसके लिए भगवान की कुंभ आरती की गई। जैसे ही आरती उतारी गई, पूरा मंदिर परिसर भक्तों की जयकारों से गूंज उठा।
Ranganath Temple Janmashtami: सोने के झूले में विराजमान हुए Laddu Gopal
श्रृंगार और अभिषेक के बाद सबसे प्रतीक्षित क्षण आया—जब भगवान को सोने के बने झूले में विराजमान किया गया। सबसे पहले नंद-यशोदा की भूमिका निभा रहे आर. कृष्णन और सुधा कृष्णन ने झूला झुलाया, उसके बाद सभी भक्तों को अपने लाडले को झुलाने का अवसर मिला। भक्तों ने भजन गाते हुए “नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” गाकर वातावरण को और भी मंगलमय बना दिया।
Vrindavan Krishna Janmotsav: मंगलवार को होगा लट्ठे का मेला
जन्मोत्सव यहीं खत्म नहीं होता। मंगलवार की शाम मंदिर परिसर में नंदोत्सव का आयोजन होगा, जहां 50 फीट ऊंचे लट्ठे पर क्षत्रिय समाज के पहलवान चढ़कर भगवान की ध्वजा को हासिल करेंगे। खास बात यह है कि ऊपर बने मचान से मंदिर कर्मचारी उन पर सरसों का तेल और पानी की बौछार करेंगे। यह दृश्य देखने के लिए दूर-दराज़ से भक्त वृंदावन पहुंच रहे हैं।
Ranganath Temple Janmashtami: भक्तिभाव और तकनीक का संगम
आज के दौर में जब सोशल मीडिया पर हर चीज़ ट्रेंड करती है, वहीं Vrindavan Krishna Janmotsav और Laddu Gopal Abhishek जैसे आयोजन डिजिटल दुनिया में भी सुर्खियां बटोर रहे हैं। रंगनाथ मंदिर का यह उत्सव सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि ब्रज संस्कृति की जीवंत झांकी है। भक्तों का कहना था कि सोने के झूले में लड्डू गोपाल को झुलाते समय ऐसा लगा मानो स्वयं द्वापर युग लौट आया हो।

वृंदावन का यह उत्सव एक बार फिर यह साबित करता है कि Ranganath Temple Janmashtami जैसे पर्व न केवल भक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि ब्रज धाम की सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। पंचामृत अभिषेक, सहस्त्रधारा, सोने का झूला और लट्ठे का मेला—ये सब मिलकर इस आयोजन को अद्वितीय बना देते हैं।

 
         
         
         
         
         
        