 
                  Shri Krishna Janmashtami: नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
Shri Krishna Janmashtami Update
Shri Krishna Janmashtami: आज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. भगवान श्रीकृष्ण, जो विष्णु के आठवें अवतार हैं, का जन्म मध्यरात्रि में हुआ और इस पावन अवसर पर मंदिरों से लेकर घरों तक उत्सव की धूम मची है. मथुरा, वृंदावन, द्वारका, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में भक्त भगवान के जन्मोत्सव को भक्ति और उमंग के साथ मना रहे हैं. मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों, रोशनी और श्रीकृष्ण की लीलाओं को दर्शाती सजावट से सुसज्जित किया गया है.
आ गया माखनचोर नंदलाला
श्रीकृष्ण का जन्म: बुराई पर अच्छाई की जीतशास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में हुआ. उनका जन्म अत्याचारी कंस के अंत और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था. नंद और यशोदा के लाडले, माखन चोर और गोपियों के प्रिय श्रीकृष्ण की लीलाएं आज भी भक्तों के मन को मोह लेती हैं. जन्माष्टमी का ये पर्व उनके जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जो भक्ति, प्रेम और सत्य का प्रतीक है.

Shri Krishna Janmashtami 2025
शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 बजे शुरू हुई और 16 अगस्त को रात 9:34 बजे समाप्त होगी. श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त की मध्यरात्रि में 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा. ये 43 मिनट का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जा रहा है.
- निशिता पूजा समय: 16 अगस्त, रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक
- व्रत पारण समय: 16 अगस्त, रात 9:34 बजे के बाद
- रोहिणी नक्षत्र: 17 अगस्त को सुबह 4:38 बजे शुरू होकर 18 अगस्त को सुबह 3:17 बजे समाप्त होगा.
पूजन विधि
श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में पूजाजन्माष्टमी के दिन भक्त सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की पूजा का संकल्प लेते हैं. पूजा की विधि इस प्रकार है:
- संकल्प: सुबह स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. व्रत निर्जला या फलाहार हो सकता है.
- पंचामृत स्नान: मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या लड्डू गोपाल को दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं.
- शृंगार: श्रीकृष्ण को पीतांबर वस्त्र, वैजयंती माला, मोरपंख और चंदन से सजाएं. काले वस्त्रों का उपयोग न करें.
- भोग: माखन, मिश्री, धनिया की पंजीरी और अन्य सात्विक व्यंजन अर्पित करें. तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं.
- आरती और मंत्र जाप: पूजा के बाद श्रीकृष्ण की आरती करें और मंत्रों का जाप करें, जैसे:
- ॐ क्लीं कृष्णाय नमः
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
- ॐ देवकीनंदनाय नमः
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भोग को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटें.
देशभर में श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी
- मथुरा और वृंदावन: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा में भागवत पूजन किया और पुष्प वर्षा के साथ उत्सव में शामिल हुए. मंदिरों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम से सजाया गया है.
- मुंबई: दही हांडी उत्सव ने शहर को उत्साह से भर दिया. गोविंदा पथकों ने मानव पिरामिड बनाकर दही हांडी फोड़ी. ठाणे में जय जवान गोविंदा पथक ने 10 स्तर का पिरामिड बनाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया.
- दिल्ली: इस्कॉन मंदिर में विशेष आयोजन हुए. सीएम रेखा गुप्ता ने जलाभिषेक कर भक्तों को शुभकामनाएं दीं.
- द्वारका: गुजरात के द्वारका मंदिर में मंगला आरती के साथ श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव शुरू हुआ.
जन्माष्टमी की कथा
सत्यभामा और तुलसी की शक्तिजन्माष्टमी के अवसर पर सत्यभामा और श्रीकृष्ण की एक प्रेरक कथा प्रचलित है. सत्यभामा को अपने धन और सौंदर्य पर गर्व था. उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर उनके वजन के बराबर सोना दान करने का संकल्प लिया. तराजू पर श्रीकृष्ण को एक पलड़े पर बिठाया गया, लेकिन सारा सोना रखने के बाद भी संतुलन नहीं बना. तब रुक्मिणी ने भक्ति भाव से तीन तुलसी पत्ते रखे, और तराजू तुरंत संतुलित हो गया. ये कथा भक्ति की महिमा और अहंकार से मुक्ति का संदेश देती है.
शुभकामनाएं: श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी
- “नंद के लाल का जन्म हुआ, जय कन्हैया लाल की! जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.”
- “माखन चोर श्रीकृष्ण आपके जीवन को प्रेम, सुख और शांति से भर दें. जन्माष्टमी की बधाई!”
जन्मोत्सव में सावधानियां
- इस पावन दिन तामसिक भोजन, शराब या मांसाहार से बचें.
- किसी जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं, दान करें.
- पूजा में सात्विकता बनाए रखें और पर्यावरण का ध्यान रखें.
श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भक्ति, प्रेम और उत्साह का प्रतीक है. मंदिरों में भजन-कीर्तन, मंगला आरती और दही हांडी जैसे आयोजनों ने इस पर्व को और भी रंगीन बना दिया है. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की ये खुशी हर भक्त के मन में नई ऊर्जा और भक्ति का संचार कर रही है.

 
         
         
        