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Vrindavan Rail Bachao Morcha: बैठक में गूंजी रेल बचाने की हुंकार
वृंदावन रेलवे मोर्चा की बैठक 10 अगस्त 2025 को गोविंद मंदिर के पास हुई, और माहौल ऐसा था जैसे रेल नहीं, स्वतंत्रता संग्राम छेड़ दिया गया हो। 20 सदस्यीय वर्किंग कमेटी का गठन हुआ, जो अब मोर्चे की गतिविधियों पर बहुमत से फैसले लेगी। अगला कार्यक्रम तय—20 अगस्त को गांधी पार्क से बाइक रैली, जो नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरकर जनता को जगाने का काम करेगी।
Bike Rally in Vrindavan: साइलेंसर नहीं, नारों से गूंजेंगे रास्ते
मोर्चा के संयोजक विनीत उपाध्याय ने बताया कि बाइक रैली सिर्फ राइड नहीं, बल्कि रेल बहाली का रोडमैप होगी। गांधी पार्क से निकलकर नगर की गलियों में गूंजते नारों के साथ रैली यह संदेश देगी—“रेल लाइन सिर्फ पटरियों का जाल नहीं, यह वृंदावन की आत्मा है।” और हां, इस बार बाइक से ज्यादा कैमरे भी दौड़ेंगे।
Vrindavan Rail Bachao Morcha: पंपलेट से पोस्टकार्ड तक
श्यामसुंदर गौतम ने एलान किया कि पंपलेट, हैंडबिल और जनसंपर्क से मथुरा की जनता को भी इस रेल लाइन के फायदे बताए जाएंगे। यानी, अब सिर्फ वृंदावन नहीं, मथुरा भी रेल की राजनीति में शामिल होगा। विवेक गौतम ने यह भी साफ कर दिया कि अब तक जो भी संस्थाएं रेल विभाग को पत्र लिख चुकी हैं, उनके जवाब RTI के जरिए मांगे जाएंगे—सरकार को अब चुप्पी के सहारे बचना आसान नहीं होगा।
Vrindavan Rail Bachao Morcha : जनता की आवाज पीएम तक
सुशील गौतम और अर्जुन सिंह ने मोर्चा का सबसे भावनात्मक हथियार पेश किया—11000 पोस्टकार्ड। ये सीधे प्रधानमंत्री और रेल मंत्रालय को भेजे जाएंगे, ताकि रेल बहाली की मांग सिर्फ लोकल खबर न रहे, बल्कि राष्ट्रीय चर्चा बन जाए। यह कदम ऐसा है जैसे कह रहे हों—“अगर ट्रेन नहीं आई, तो कम से कम हमारे खत तो पढ़ लो।”
Vrindavan Railway Heritage: पटरियों से जुड़ी विरासत
गोविंद नारायण शर्मा और कुंज बिहारी पाठक ने बैठक में कहा—“वृंदावन रेल लाइन सिर्फ लोहे की पटरियां नहीं, यह हमारे इतिहास और भावनाओं का हिस्सा है।” उनका मानना है कि रेल संचालन बहाल करना प्रशासन का कर्तव्य है, क्योंकि यह आम जनता की भावनाओं से सीधे जुड़ा मामला है।
Yamuna Aarti for Railway Restoration: जब आंदोलन में आस्था भी उतरी
सिद्धार्थ शुक्ला ने घोषणा की कि आने वाले दिनों में यमुना महारानी की विशेष आरती होगी, जिसमें प्रशासन की “बुद्धि शुद्धि” के लिए प्रार्थना की जाएगी। यानी, रेल बहाली की लड़ाई अब धरना-प्रदर्शन और जनसंपर्क से आगे बढ़कर धार्मिक आस्था का भी हिस्सा बन गई है।
Vrindavan Rail Bachao Morcha: अब आंदोलन बन चुका है शहर की पहचान
मोर्चा अब सिर्फ रेल बहाली का मंच नहीं, बल्कि शहर की पहचान बन चुका है। तपेश पाठक, आशु शर्मा, अंकित दुबे, राघव भारद्वाज, पीयूष गोस्वामी और दीनदयाल गौतम जैसे कार्यकर्ताओं की मौजूदगी ने बैठक को आंदोलन का रंग दे दिया। 20 अगस्त की बाइक रैली के बाद यह तय है कि प्रशासन को अब इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं होगा।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: अमित शर्मा 
📍 लोकेशन: मथुरा, यूपी
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