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Love Affair Murder in Shahjahanpur! खेत में लटकती लाश और गांव में सन्नाटा
शाहजहांपुर के खालसा लक्ष्मनपुर गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक 18 वर्षीय युवक रंजीत का शव पेड़ से लटका मिला।
ना पुलिस के पास कोई सुसाइड नोट था, ना परिवार के पास कोई उम्मीद।
जो था, वो था — गांव की हवाओं में तैरता एक पुराना प्रेम प्रसंग, और कुछ “नामजद चेहरे” जो आजकल बड़ी चालाकी से खामोश हो गए हैं।
लिहाजा पूरा मुद्दा प्रेम प्रसंग का (Love Affair Murder in Shahjahanpur) बनता दिख रहा है, क्योंकि पिता ने खुलकर कहा — ये आत्महत्या नहीं, ये हत्या है।
खेत बना कत्लगाह, प्रेम कहानी बनी मौत की स्क्रिप्ट?
रंजीत, जो बुधवार को बदायूं से अपने गांव लौट रहा था, रात भर गायब रहा और गुरुवार को मिला — पेड़ से लटका हुआ।
मौत की ये तस्वीर जितनी शांत थी, उतनी ही अंदर से खौफनाक।
Boy Found Hanging in Shahjahanpur की हेडलाइन भले सर्द लगे, मगर पीछे जो आग है, वो किसी ने देखी नहीं।
गांव के गुरु प्रसाद के खेत में मिली लाश सिर्फ एक युवक की नहीं थी, बल्कि समाज के उस गंदे हिस्से की कहानी थी, जहां
“लड़की से प्रेम कर बैठना” अब गुनाह माना जाता है, और मौत की सजा भी दी जा सकती है।
नामजदों पर हत्या का आरोप, पुलिस देख रही पोस्टमार्टम रिपोर्ट की तरफ
पिता दाताराम ने गांव के चार लोगों पर हत्या का आरोप लगाया है।
कहते हैं — “बेटा रंजीत गांव की ही एक लड़की से प्रेम करता था, और इन्हीं लोगों को ये पसंद नहीं था।”
कई बार पहले भी विवाद हुआ था। पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और कहती है — “रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई करेंगे।”
मगर सवाल ये है —
क्या इस संदेहास्पद मौत का जवाब सिर्फ एक रिपोर्ट देगी, या गांव की दीवारें कुछ और भी जानती हैं?
Love Affair Murder in Shahjahanpur: एक और इश्क चढ़ा ‘खाप’ की बलि?
उत्तर प्रदेश की धरती पर प्रेम करना अब आसान नहीं।
रंजीत जैसे नौजवान अगर प्यार करेंगे तो या तो समाज उन्हें जला देगा, या किसी पेड़ से लटका देगा।
“संस्कारों” की रक्षा के नाम पर हत्या अब गली-गांव का फैशन बन चुका है।
“माँ-बाप रो रहे हैं, और हत्यारे रोटियाँ सेंक रहे हैं।”
यही है असली ट्रेजडी इस Love Affair Murder in Shahjahanpur की।
Love Affair Murder in Shahjahanpur! पुलिस देख रही, गांव सहम रहा
थाना अध्यक्ष प्रभास चंद्र ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
मतलब — शव पेड़ पर मिले या साजिश आसमान में दिखे, पुलिस पहले रिपोर्ट पढ़ेगी।
गांव वालों को तो अब ये भी समझ नहीं आ रहा कि रिपोर्ट पहले आई थी या मौत!
क्या पेड़ से झूलता रंजीत ‘इश्क का शहीद’ है या सिस्टम का शिकार?
जवाब अभी धुंध में है।
मगर खालसा गांव की हवा बता रही है — रंजीत की मौत इत्तिफाक नहीं, इन्तकाम है।
सवाल बस ये है — क्या जांच सच्चाई तक पहुंचेगी या रंजीत की आत्मा भी रिपोर्ट का इंतज़ार करती रहेगी?

 
         
         
         
        