 
                  Vrindavan News: गोविंद देव जी और सिंहपौर हनुमान जी के समक्ष की गई प्रार्थना, न्याय करो सरकार !
Vrindavan News Update
Vrindavan News: मथुरा-वृंदावन की पावन भूमि पर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और प्रस्तावित न्यास अध्यादेश के विरोध का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज गुरुवार को यह आंदोलन 71वें दिन भी जारी रहा। विरोध जताने के लिए ब्रजवासी समाज की महिलाएं और स्थानीय संत-महंत बड़ी संख्या में गोविंद देव जी महाराज और सिंहपौर हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां दर्शन कर उन्होंने वृंदावन की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा हेतु प्रार्थना की।
“गोविन्द देव जी रक्षा करो”, “सिंहपौर बाबा रक्षा करो”
विरोध प्रदर्शन के दौरान ब्रजवासी महिलाओं ने “गोविन्द देव जी रक्षा करो”, “सिंहपौर बाबा रक्षा करो”, “वृंदावन को संकट हरो”, “ब्रज के ठाकुर रक्षा करो” जैसे नारों से माहौल को भक्तिमय बना दिया। महिलाओं ने सिंहपौर हनुमान मंदिर में सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा और अन्य भजन गाकर संकटमोचन हनुमान जी से इस संकट से मुक्ति की कामना की।

सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
सिंहपौर हनुमान मंदिर के महंत श्री सुन्दरदास जी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि सरकार कॉरिडोर निर्माण की योजना को अपनी सुविधा और समझ के अनुसार आगे बढ़ा रही है, जबकि ब्रजवासियों, गोस्वामियों और स्थानीय श्रद्धालुओं की भावनाएं इससे आहत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि वृंदावन की संकरी गलियां केवल रास्ते नहीं हैं, ये वही पावन स्थल हैं जहां श्रीकृष्ण ने दानलीला, मानलीला और माखनचोरी जैसी दिव्य लीलाएं कीं। इन गलियों का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, जिन्हें किसी भी विकास योजना की आड़ में नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।

महंत जी ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिरों का अधिग्रहण न तो किसी धार्मिक परंपरा के अनुसार है और न ही किसी कानूनी प्रक्रिया के तहत सही है। उन्होंने सरकार से अपील की कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वैकल्पिक योजनाएं बनाई जाएं, लेकिन कॉरिडोर या न्यास के नाम पर मंदिरों का अधिग्रहण नहीं किया जाए।
Vrindavan News: प्रदर्शन में कौन-कौन शामिल ?
इस विरोध प्रदर्शन में ब्रजवासी समाज की कई महिलाएं सक्रिय रूप से शामिल रहीं। इनमें प्रमुख रूप से रेनू गोस्वामी, राखी गोस्वामी, निशा शर्मा, मधु गोस्वामी, नेहा पुरोहित, अदिति गोस्वामी, राधा मिश्रा, मीरा गोस्वामी, पूजा मिश्रा, नीलम गोस्वामी और रश्मि सारस्वत शामिल थीं।
ब्रजवासियों का यह विरोध न केवल धार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान और विरासत की रक्षा के लिए किया जा रहा संघर्ष भी है। उनकी मांग है कि वृंदावन की पवित्रता और पारंपरिक स्वरूप को बनाए रखते हुए विकास की योजनाएं बनाई जाएं।

 
         
         
        