 
                  Mathura News: ससुर-बहू का आत्मदाह, प्रशासन पर गंभीर आरोप!
Mathura News Update
Mathura News: जनपद मथुरा के थाना जैंत क्षेत्र में एक जमीन विवाद ने दर्दनाक मोड़ ले लिया जब 80 वर्षीय बुजुर्ग सत्यभान और उनकी पुत्रवधू ललितेश ने कथित रूप से अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। घटना के बाद दोनों को गंभीर अवस्था में इलाज के लिए आगरा रेफर किया गया है।
इस गंभीर मामले की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी सीपी सिंह, एसएसपी और सीडीओ सहित कई प्रशासनिक अधिकारी जिला अस्पताल पहुंचे और तत्काल प्रभाव से कानूनगो व लेखपाल को निलंबित कर दिया गया, जबकि नायब तहसीलदार अनमोल गर्ग के खिलाफ निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

विवादित जमीन और प्रशासनिक दबाव का आरोप
घटना गांव खुशीपुरा की है, जो गांव राल के पास स्थित है। यहां की खड़सारी सहकारी समिति की जमीन पर बुजुर्ग सत्यभान मेरठ से आकर पुत्र और बहू के साथ झोपड़ी में लंबे समय से रह रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, आरोप है कि जमीन को खाली कराने की शिकायतें तहसील दिवस में लगातार की जा रही थीं। दावा किया जा रहा है कि जमीन से कब्जा हटवाने के लिए एक पक्ष ने नायब तहसीलदार अनमोल गर्ग, कानूनगो राजेंद्र राणा और लेखपाल कपिल उपाध्याय से सांठगांठ कर ली थी।
परिवार का आरोप है कि ये अधिकारी बिना किसी वैध आदेश के मौके पर पहुंचे और बुजुर्ग परिवार को धमकाने लगे। जब बुजुर्ग सत्यभान ने इसका विरोध किया, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
आग कैसे लगी? अलग-अलग बयान
- पीड़ित परिवार का कहना है कि राजस्व कर्मियों ने ही पेट्रोल डालकर आग लगाई।
- वहीं कुछ चश्मदीदों और ग्रामीणों का कहना है कि विरोध में खुद सत्यभान ने अपने ऊपर पेट्रोल डाल लिया और जैसे ही वे जलने लगे, उन्हें बचाने दौड़ी उनकी बहू ललितेश भी आग की चपेट में आ गई।
दोनों की हालत नाज़ुक बताई जा रही है और उन्हें आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

Mathura News : प्रशासन की सख्त कार्रवाई
घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए जिलाधिकारी सीपी सिंह ने कानूनगो और लेखपाल को तत्काल निलंबित कर दिया है। नायब तहसीलदार के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की गई है।
जिलाधिकारी ने कहा कि,
“जो भी अधिकारी या कर्मचारी इस घटना में दोषी पाए जाएंगे, उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”
घटना की जांच की जिम्मेदारी अपर जिलाधिकारी (वित्त) पंकज वर्मा को सौंपी गई है।
यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही, बल्कि जमीन से जुड़े विवादों के नाजुक स्वरूप को भी उजागर करती है। एक ओर जहां प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रहा है, वहीं पीड़ित पक्ष न्याय की मांग कर रहा है। अब देखना यह है कि जांच के बाद असल दोषी कौन निकलता है, और कब पीड़ितों को न्याय मिलता है ?

 
         
         
        