 
                                                      
                                                Insurance Fraud in Sambhal
Insurance Fraud in Sambhal: ज़िंदा मजदूर को मरा बताकर 18 लाख का लोन और 90 लाख की बीमा पॉलिसी ठोक दी!
ज़िंदा मजदूर को मरा दिखाकर ठोक दिया 18 लाख का लोन
Insurance Fraud in Sambhal
संभल के बीमा माफिया इतने शातिर निकले कि सीरियल वालों की स्क्रिप्ट भी शरमा जाए। पुलिस की माने तो एक मजदूर को “मरा हुआ कर्मचारी” घोषित कर, उसके नाम पर 18 लाख का पर्सनल लोन ठोक दिया गया। वो भी एकदम चालाकी से — जैसे कोई बीमा कंपनी की जेम्स बॉन्ड शाखा हो!
बीमा पॉलिसी में ‘मौत’ का खेल, 90 लाख की चालबाज़ी
इतना ही नहीं, माफियाओं ने उसी मजदूर के नाम पर 90 लाख की बीमा पॉलिसी भी ठोक दी — अब मरने के बाद क्लेम की मलाई उड़ाने की तैयारी थी। मगर क्या करें, ये योगीराज है, यहाँ माफिया की स्क्रिप्ट सेंसर बोर्ड से नहीं, SP ऑफिस से पास होती है।
चेकबुक, आधार, पैन – सबका बाजार खुला
Insurance Fraud in Sambhal
जांच में जो निकला, वो पूरे सिस्टम को चुभ गया। आरोपी के पास से चेकबुक, आधार, पैनकार्ड की भरमार मिली है — जैसे बीमा नहीं, पहचान पत्रों का काला बाज़ार चल रहा हो। पुलिस जांच के दौरान ये भी पता चला है कि यह गिरोह उत्तराखंड से ऑपरेट हो रहा था।
ASP की टीम ने फाड़ दी बीमा माफिया की परतें
Insurance Fraud in Sambhal
ASP अनुकृति शर्मा की अगुवाई में चल रही इस जांच ने 67वीं गिरफ्तारी के साथ नया रिकॉर्ड बना दिया। संभल पुलिस की ये कार्रवाही सीधी उस सोच पर तमाचा है जो बीमा को लूट का लाइसेंस समझ बैठी थी।
अभी और चौंकेंगे आप! कई नाम, कई चेहरे अभी बाकी
Insurance Fraud in Sambhal
SP की माने तो अभी पूरा गिरोह पकड़ में नहीं आया है। कौन-कौन से फर्जीवाड़े में कौन-कौन शामिल था, इसकी विवेचना तेज़ी से हो रही है। एक बात तय है—बीमा माफिया की बीमा पालिसी अब कानून की धारा के नीचे कवर हो चुकी है।
क्या बीमा के नाम पर ठगी अब उद्योग बन चुका है?
Insurance Fraud in Sambhal
एक ज़िंदा मजदूर को मरा दिखा कर लाखों का खेल खेलने वाले ये माफिया अब पुलिस की हिरासत में हैं, लेकिन सवाल यही है – बीमा माफिया को कब मिलेगा जीवन-मुक्ति का असली सर्टिफिकेट?
योगीराज में बीमा माफिया की उलटी गिनती शुरू!
अब ये योगी सरकार है, जहाँ “फर्जी कागज़” से नहीं, थाने के चालान से क्लेम मिलता है। बीमा माफिया को लगा कि लाश के नाम पर करोड़ों का खेल हो जाएगा, लेकिन संभल पुलिस ने उनके पॉलिसी प्लान को CID स्क्रिप्ट में बदल डाला।
67 गिरफ्तारियां कोई मज़ाक नहीं होती — ये उस सिस्टम की ताकत है जहाँ अफ़सरों के हाथ में सिर्फ पेन नहीं, तलवार का हक भी है।
अब बीमा माफिया के लिए अगली पॉलिसी क्या होगी?
“लाइफ कवर” की जगह “जेल कवर” — और एक्सीडेंटल डेथ की जगह “लॉजिकल एंड!”

 
         
         
         
        