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इलाज बना आफत: Hospital Negligence in Firozabad
Hospital Negligence in Firozabad Update
फिरोजाबाद का ट्रॉमा सेंटर अब इमरजेंसी का नहीं, ‘इंतकाम’ का अड्डा बनता जा रहा है। थाना उत्तर क्षेत्र में बने इस सरकारी अस्पताल में रविवार को एक 70 वर्षीय वृद्ध असर्फी राम ने इलाज के इंतज़ार में दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है—इलाज नहीं, लापरवाही मिली। और जब जान चली गई, तो डॉक्टर और स्टाफ ऐसे गायब हुए जैसे अस्पताल नहीं, कोई पुराना मुहल्ला हो!
ग़ुस्से में परिजन, गायब हुआ स्टाफ:Hospital Negligence in Firozabad
जगजीवन राम नगर निवासी असर्फी राम को तबीयत बिगड़ने पर सरकारी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के नाम पर उन्हें सिर्फ़ इंतज़ार और अनदेखी मिली। जब उनकी सांसें रुकीं, तब परिजनों का सब्र भी टूट गया। अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। लेकिन डॉक्टर और स्टाफ तो पहले ही ‘सेवा’ छोड़ ‘सुरक्षा’ में भाग निकले थे। मरीज गया, जिम्मेदार नहीं मिले!
पुलिस पहुंची, अफसरों की चुप्पी: Firozabad Trauma Center Chaos
सूचना पर थाना उत्तर की पुलिस मौके पर पहुंची और हंगामे को किसी तरह शांत किया। लेकिन सवाल यह है कि हर बार लापरवाही के बाद सिर्फ पुलिस ही क्यों दिखती है? अस्पताल प्रशासन कहाँ है? जिम्मेदारी कौन लेगा? और कब तक सरकारी अस्पतालों में ‘इलाज’ की जगह ‘अफ़सोस’ बंटेगा?
जनता की जान, प्रशासन के नाम: Hospital Negligence in Firozabad
फिरोजाबाद के इस अस्पताल में एक और जान गई और फिर वही कहानी—परिजन विलाप करते रह गए, सिस्टम मौन खड़ा रहा। लापरवाही अब ‘नियम’ बन गई है, और जवाबदेही बस प्रेस नोट में छपती है। असर्फी राम अब नहीं रहे, पर उनके सवाल अस्पताल की दीवारों से टकरा रहे हैं—’क्या इलाज का मतलब यही होता है?’।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
📍 लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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