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Ballia Flood Situation: गंगा में उफान, अफसरों में बयानबाज़ी का तूफान
बलिया में इस बार गंगा कुछ ज़्यादा ही नाराज़ (Ballia flood situation)हैं। उनका जलस्तर ऐसा चढ़ा कि नौरंगा गांव के करीब 20 घर गंगा मैया की गोदी में समा गए। लेकिन सरकार ने इसे “प्राकृतिक आपदा” कहकर आंखें मूंद लीं और अफसरों ने वही पुराना राग अलापा – “सब व्यवस्था दुरुस्त है।”
सवाल ये है: गांव बह गए, मगर व्यवस्था कब तैरनी सीखेगी?
Ballia Flood Situation: जहां नाव नहीं पहुंची, वहां आश्वासन जरूर पहुंचा
मुख्य राजस्व अधिकारी त्रिभुवन जी खुद कीचड़ में चमड़े के जूते घुसा कर जनता से मिलने पहुंचे। बोले – “सब मिलेगा, राशन भी, राहत भी और रिपोर्ट भी”। अब जनता सोच रही है कि अगर घर ही नहीं बचे, तो राशन किस दीवार पर टांगे?
गांव वालों की आंखों में डर, और अफसरों की आंखों में कागजी तैयारी का चश्मा था।
Ballia Flood Situation: गंगा ने जो छीना, सरकार ने वही फोटो खिंचवा लिया
दूबे छपरा, उदई छपरा, गोपालपुर, केहरपुर, और चक्की नौरंगा – ये वो गांव हैं जिनकी गलियों में अब नावें चल रही हैं। घरों में पानी और बाहर प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयाल जी की टीम।
उन्होंने कहा – “मुख्यमंत्री जी खुद हालात पर नजर रखे हुए हैं…”
हां, मगर वो नजर ट्विटर पर ज़्यादा है, और गंगा पर कम!
Ballia Flood Situation: राहत चौकियां बनीं, पर जनता अब भी बेघर
प्रशासन ने बाढ़ चौकियां, डॉक्टर, पशुचिकित्सक और NDRF की टीम लगा दी है। लेकिन गाँव वाले पूछ रहे हैं – “भाई साहब, पहले हमारे भैंस को बचाओ या छप्पर को?”
सरकार ने एडवाइजरी जारी की है, जैसे स्कूल में छुट्टी की चिट्ठी – “बाढ़ आ रही है, कृपया सुरक्षित स्थान पर जाएं।”
मगर सुरक्षित स्थान है कहाँ?
Ballia Flood Situation: मंत्री आए, कैमरे मुस्कराए, गड्ढे फिर भी उफनाए
प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र का दौरा ऐसा था जैसे फिल्म की शूटिंग हो। कैमरा एंगल सेट, माइक ऑन और बयान रेडी – “सरकार पूरी तरह मुस्तैद है।”
मगर हकीकत ये कि गायत्री कॉलोनी, निहोरा नगर, बेदुआ – सब पानी-पानी हैं। और जनता पूछ रही है – “क्या सरकार सिर्फ बोट से वोट ढूंढ रही है?”
Ballia Flood Situation: अगर राहत ऐसी ही रही, तो अगली बार मतदाता बहेगा नहीं – बहा देगा
बलिया की इस बाढ़ ने सिर्फ मिट्टी नहीं बहाई, सरकारी दावों की परतें भी खोल दीं। हर साल बाढ़ आती है, हर बार नेता आते हैं, और हर बार जनता बह जाती है।
इस बार फर्क बस इतना है कि कीचड़ में कैमरे भी हैं, और सोशल मीडिया पर जनता की आवाज भी।
अगली बार सरकार वोट मांगे, तो पहले ये न पूछिए कि राशन मिला या नहीं… पूछिए कि घर बचा या नहीं!
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: संजय कुमार
📍 लोकेशन: बलिया, यूपी
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