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MNREGA Scam Exposed: मोबाइल चलाओ, मजदूरी पाओ!
MNREGA Scam Exposed update
मनरेगा में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन मऊ के रानीपुर ब्लॉक में तो ऐसा ‘डिजिटल चमत्कार’ हुआ है कि अब मजदूरों को पसीना बहाने की भी ज़रूरत नहीं — बस मोबाइल की फोटो भेजिए और मजदूरी का भुगतान पाइए।
ग्राम सभा उतरेजपुर में अफसरों ने मिलकर ऐसा ‘ई-घोटाला’ किया है कि शायद आने वाले दिनों में ‘Adobe Photoshop’ को रोजगार योजना के अंतर्गत मान्यता मिल जाए। यहां मज़दूरों के शरीर नहीं, उनके फोटो काम करते हैं — और भुगतान सीधे फर्जी अकाउंट में टपकता है।

कुछ मत पूछिए, यहां तो मोबाइल की स्क्रीन की फोटो खींचकर 144 मजदूरों की हाजिरी सिस्टम में अपलोड कर दी गई! कह सकते हैं कि सरकार ने अब ‘डिजिटल इंडिया’ को इतना सीरियस ले लिया है कि मजदूरों को रील बनाकर रोजगार दिया जा रहा है।
Fake Attendance in MNREGA: JPEG मजदूर – असली भूखा, नकली खाता भरपूर
अब गांवों में असली मज़दूर धूप में खड़ा है,
और उसकी मजदूरी किसी दूसरे के खाते में आराम कर रही है।
Fake Attendance in MNREGA की ऐसी बेमिसाल मिसाल बनाई गई है कि
एक ही मजदूर की फोटो हर हफ्ते, हर साइट पर, हर जगह काम करती नजर आती है।
लगता है अफसरों ने गांवों में AI नहीं, BI (बेवकूफ इंडिया) चालू कर दिया है –
जहां मज़दूर की हड्डी टूटती है,
लेकिन बैंक अकाउंट फर्जी JPEG की मस्ती में झूमता है।
Mau MNREGA Fraud: कैमरा-प्रूफ काम, हकीकत-रहित सिस्टम
मऊ जिले के मनरेगा में अब किसी को फावड़ा उठाने की ज़रूरत नहीं —
बस किसी का चेहरा फावड़े की जगह स्क्रीन पर रख दो।
Mau MNREGA Fraud इतना ‘क्रिएटिव’ है कि अब कला के छात्र वहां जाकर सरकारी ठेके का कोर्स करने की सोच सकते हैं।
सरकारी अफसर अब हाजिरी नहीं लेते,
“हाज़िर JPEG” चेक करते हैं।
गांव का मज़दूर सिर्फ नाम का मज़दूर है,
असली काम तो कैमरा और घोटाला मैनेजर कर रहा है।Digital Corruption: सरकार ऑफलाइन, घोटाला ऑनलाइन
अब हम कह सकते हैं कि भारत में Digital Corruption का जन्मस्थल लखनऊ नहीं, मऊ है।
सरकारी बाबुओं ने स्मार्टफोन और स्क्रीनशॉट को मिलाकर जो घोटाला-तंत्र रचा है,
उसमें अगर मजदूर ‘हाजिर’ होता है तो सिस्टम को बड़ी दिक्कत होती है।सरकारी सिस्टम का नया स्लोगन ये होना चाहिए –
“बटन दबाओ, फोटो चढ़ाओ, मजदूरी खाओ, गरीब को भूल जाओ!”
NREGA Photo Fraud: मज़दूरी का अब धर्म है — फोटोज़नामा> MNREGA Scam Exposed
अब बात करें NREGA Photo Fraud की —
तो मामला इतना ऊंचे दर्जे का है कि कैमरा देखे बिना मज़दूर काम पर नहीं जा सकता।
पेट भले भूखा हो, पर JPEG फाइल अगर फीड हो गई तो
पेमेंट 100% गारंटी के साथ मिलेगा — लेकिन असली मजदूर को नहीं।यहां अब काम करने वाला सबसे बेवकूफ इंसान है।
क्योंकि सिस्टम उसी को भुगतान देता है, जो “स्क्रीन-फ्रेंडली” चेहरा लेकर आता है।अब ये योजना नहीं, फुल टाइम मज़ाक है>MNREGA Scam Exposed
सरकार को अब “मनरेगा” का नाम बदलकर “मनरेगैलरी” रख देना चाहिए —
जहां फोटोज़ की एग्ज़िबिशन लगती है,
मज़दूर की मूरतें सजी होती हैं,
और सिस्टम को गरीब से सिर्फ JPEG चाहिए।घोटाले का ये हाल है कि गरीब आदमी से उसका पसीना भी अब डिजिटल फॉर्मेट में मांगा जाता है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: प्रदीप दुबे
📍 लोकेशन: मऊ, यूपी

 
         
         
         
        