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“जब शंकर जी थे, तब कौन-सा यूनिवर्सिटी था?” – BJP मंत्री ने विधायक को पढ़ाया धर्म का पाठ>SP MLA Rizvi statement
SP MLA Rizvi statement update
बलिया की ज़मीन फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार किसी शहीद या आंदोलन से नहीं, बल्कि एक ऐसे सियासी “ज्ञानेश्वर” की वजह से जो शिवभक्तों को ‘अनपढ़’ और ‘अंधविश्वासी’ घोषित कर गए। समाजवादी पार्टी के विधायक मोहम्मद जियायुद्दीन रिजवी(SP MLA Rizvi statement) ने मंच से ऐलान फरमाया कि जो कांवड़ लेकर चल रहे हैं, वो गांव के अनपढ़ और बेवकूफ लोग हैं, जिन्हें शिक्षा और विज्ञान की कोई समझ नहीं।
अब सवाल ये उठता है कि विधायक जी, जब भोलेनाथ ने कैलाश पर ध्यान लगाया था, तब कौन-सी B.Ed की डिग्री थी उनके पास? और क्या शिव की आराधना करने से पहले IIT-JEE पास करना ज़रूरी है?
“कांवड़ में ना अमित शाह का बेटा, ना अंबानी का, तो फिर भक्त कौन?” – SP MLA Rizvi statement
विधायक महोदय ने जनसभा में चुटकी लेते हुए कहा, “कांवड़ में ना कोई IAS का बेटा जा रहा, ना अमित शाह का, ना ही अंबानी का… मतलब साफ है कि ये सब गंवार और अनपढ़ हैं।” अब इसे संयोग कहें या राजनीतिक दिवालियापन, लेकिन जब एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को जनता की आस्था सिर्फ इसलिए बेमानी लगे क्योंकि वो ‘ब्रांडेड भक्त’ नहीं हैं, तो संविधान भी चुपचाप रोता है।
गौरतलब है कि ये बयान समाजवादी पार्टी के मंच से आरक्षण और संविधान बचाओ दिवस के बहाने दिया गया था। संविधान बचाओ, लेकिन शिवभक्तों को गरियाकर?
“कांवड़ियों पर फूल नहीं बरसाने चाहिए?” – सपा के बयान पर उठे सवाल>SP MLA Rizvi statement
इस बयानबाज़ी के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। BJP ने मोर्चा संभाला और यूपी के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने दो टूक कहा, “शंकर जी के समय कौन-सा विश्वविद्यालय था? शिवभक्त बनने के लिए शिक्षा की नहीं, श्रद्धा की ज़रूरत होती है।” उन्होंने ये भी जोड़ा कि सपा का ये चेहरा बताता है कि वो हिंदू आस्था को किस नज़र से देखती है।
अब जब सड़कों पर कांवड़ियों पर फूल बरसते हैं, तो सपा को एलर्जी हो जाती है। शायद क्योंकि फूल बरसाने का ठेका सिर्फ चुनावी रैलियों में हेलीकॉप्टर से नोट उड़ाने वालों के पास होना चाहिए।
सपा की सफाई में भी शर्म घुल गई – “ये विधायक का निजी बयान है!”>SP MLA Rizvi statement
सपा के राष्ट्रीय सचिव अवलेश सिंह ने सफाई में जो कहा, उससे खुद पार्टी भी कन्नी काटती दिखी। उन्होंने मंच से ही कहा, “विधायक का ये निजी बयान है, पार्टी इससे सहमत नहीं।” सवाल ये है कि जब मंच समाजवादी था, माइक समाजवादी था, पोस्टर समाजवादी था – तो विचारधारा कैसे ‘निजी’ हो गई?
या फिर सपा की विचारधारा अब इतनी निजी हो गई है कि उसमें किसी की भी आस्था के लिए कोई जगह नहीं बची?
धर्म को गाली और राजनीति को धर्म बना दिया गया है>SP MLA Rizvi statement
कांवड़ यात्रा सालों से आस्था का प्रतीक रही है। यूपी में लाखों शिवभक्त सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर श्रद्धा का समंदर बहाते हैं। उसमें जात, धर्म, वर्ग, दल – सब भुला दिए जाते हैं। लेकिन कुछ नेताओं को ये एकता रास नहीं आती। उन्हें ये यात्रा ‘अनपढ़ों की बारात’ लगती है। क्यों? क्योंकि उनकी राजनीति में वोट की गाड़ी धर्म के कूड़े से चलती है, आस्था के दीप से नहीं।
जनता समझदार है, नेताजी! अब हर वोटर ‘पढ़ा-लिखा’ हो गया है
विधायक जी शायद भूल गए कि वही ‘अनपढ़’ जनता उन्हें वोट देकर विधायक बनाती है। अगर यही जनता कभी कांवड़ लेकर निकली, तो ये भी मुमकिन है कि अगली बार चुनाव में आपको ही ‘पढ़ा’ कर दे – हार का मतलब। और तब कोई संविधान दिवस नहीं, कोई मंच नहीं, सिर्फ चुप्पी और पछतावा रहेगा।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: संजय कुमार
📍 लोकेशन: बलिया, यूपी
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