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Model Chai Wali Police Assault Case: सिस्टम गरम, अब पुलिस पसीने में
जिसने कभी सोचा था कि “एक चायवाली” भी पूरे पुलिस सिस्टम को उबाल सकती है? लेकिन लखनऊ की “Model Chai Wali” यानी सिमरन गुप्ता ने यही कर दिखाया है। गोरखपुर की रहने वाली सिमरन राजधानी के इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर चाय की दुकान चलाती हैं। और 8 जून की रात, उनका बिज़नेस नहीं, इंसानियत पीटी गई।
लखनऊ पुलिस के कुछ कर्मठ ‘खाकीधारी कलाकारों’ ने उन पर ऐसा बल प्रयोग किया, जैसे वो चाय नहीं, चंदन के तस्कर हों।
Model Chai Wali Police Assault Case: ‘सिपाही-सुपरहीरो’ की स्ट्रीट परफॉर्मेंस
Model Chai Wali Police Assault Case की कहानी तब शुरू हुई जब राम राम बैंक चौकी के तत्कालीन इंचार्ज आलोक कुमार चौधरी और उनके ‘महानायक’ सिपाही — अभिषेक यादव, दुर्गेश वर्मा और महिला सिपाही किरन अग्निहोत्री — सिमरन की दुकान पर ‘रात में दुकान क्यों खुली’ का ज्ञान देने पहुंचे।
लेकिन ज्ञान नहीं, गाली और घूंसे बरसे। जब सिमरन ने वीडियो रिकॉर्ड करना चाहा, तो उनका मोबाइल भी ‘सरकारी हथिया’ लिया गया। क्या मज़ाक है! खुद को संविधान का रक्षक बताने वाले, सड़क पर नागरिक के अधिकारों की चाय छलकाने में जुटे थे।
Simran Gupta Lucknow Tea Seller: CCTV भी चुप न रहा, सब रिकॉर्ड हो गया
किस्मत से मामला सिर्फ गली का नहीं रहा। CCTV कैमरा और एक राहगीर का वीडियो आज उस मारपीट की गवाही दे रहा है, जिसे पुलिस विभाग चुपचाप दबा देना चाहता था।
Simran Gupta, जिसे सब प्यार से Model Chai Wali कहते हैं, का आरोप है कि न सिर्फ उन्हें पीटा गया, बल्कि उनके साथ काम करने वाले लड़के को भी जबरन चौकी ले जाकर मारा गया। दरोगा अखिलेश कुमार ने चौकी पर भी थप्पड़-घूंसे से लोकतंत्र की नई परिभाषा गढ़ दी।
High Court on Police Brutality UP: न्याय की चाय उबल रही है>Model Chai Wali Police Assault Case
अब मामला पहुंचा इलाहाबाद हाईकोर्ट। Model Chai Wali Police Assault Case पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजन रॉय और मनीष कुमार की बेंच ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर को 6 हफ्ते में जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा — “अगर दोषी साबित हुए, तो सख्त कार्रवाई हो।”
पुलिस को अब गर्मी नहीं, कानून की ठंडक महसूस होगी।
Police Act Section 29: कार्रवाई अब टल नहीं सकती
सिमरन के अधिवक्ता चंदन श्रीवास्तव ने कोर्ट में दलील दी कि दोषी पुलिसकर्मियों पर पुलिस एक्ट की धारा 29 और 7 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन कमिश्नर और डीसीपी से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अब हाईकोर्ट ने सीधा संदेश दे दिया —
“अगर वर्दी में अत्याचार है, तो वर्दी से बाहर निकालने की ताकत संविधान में है।”
Police Misconduct Uttar Pradesh: सत्ता के नीचे पुलिस, पर जनता के ऊपर संविधान
Model Chai Wali Police Assault Case महज़ एक घटना नहीं, वो आइना है, जिसमें यूपी पुलिस का असली चेहरा साफ दिखता है। जिनके कंधों पर सुरक्षा थी, उन्होंने ही सड़क पर अपमान और उत्पीड़न का तमाशा खड़ा किया।
सवाल सिर्फ सिमरन का नहीं है — सवाल उस आम नागरिक का है जो रात को रोटियाँ सेंकने निकले या चाय बेचने, उसके साथ सरकार कैसा व्यवहार करती है?
Model Chai Wali की चाय में अब इंकलाब उबल रहा है
Model Chai Wali Police Assault Case अब सिर्फ एक केस नहीं, न्याय बनाम व्यवस्था की लड़ाई बन चुका है।
इस बार जनता ने देखा है कि वीडियो, CCTV, और सोशल मीडिया के जमाने में सच दबता नहीं, वायरल होता है।अब देखने वाली बात ये होगी —
क्या पुलिस विभाग अपनी गलती मानेगा? या फिर सिमरन की चाय में इंसाफ की चीनी डालने के लिए फिर एक और कोर्ट ऑर्डर चाहिए?
Written by khabarilal.digital Desk
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