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Phoolan Devi शहादत दिवस और सियासी गोलबंदी का संदेश!
फिरोजाबाद के चंदवार में शुक्रवार (25 जुलाई) को पसीना वाले हनुमान जी मंदिर पर पूर्व सांसद और ‘बैंडिट क्वीन’ फूलन देवी का शहादत दिवस जिस तरीके से मनाया गया – उसने यूपी की सियासत में बड़ी हलचल पैदा कर दी है। फूलन देवी की पुण्यतिथि यानी ‘शहादत दिवस’ कार्यक्रम में निषाद समाज के बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। Phoolan Devi के साहस, संघर्ष और सामाजिक न्याय की लड़ाई को याद किया। 
निषाद पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष इंजीनियर भूपेंद्र ने कार्यक्रम की कमान संभाली। इंजीनियर भूपेंद्र ने कहा- “फूलन देवी ने अपने खिलाफ हुए शोषण और अत्याचार का जवाब खुद दिया – जिसने उन्हें निषाद समाज की वीरांगना बनाया। उन्होंने बेहमई हत्याकांड में शामिल लोगों को सजा देकर सामाजिक अन्याय के खिलाफ एक मिसाल कायम की।”
Phoolan Devi वाले निषाद समाज का सियासी वजन कितना?
Phoolan Devi जिस निषाद समाज से ताल्लुक रखती थीं – वो निषाद समाज उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण वोटबैंक के रूप में उभरा है।
अनुमान के मुताबिक – निषाद समुदाय और इसकी उपजातियां (मल्लाह, केवट, बिंद, मांझी आदि) राज्य की कुल आबादी का लगभग 8% हिस्सा हैं 
जो करीब 1.78 करोड़ लोग हैं 
यह समुदाय 160 विधानसभा सीटों पर 1.5 लाख से अधिक वोटरों की संख्या के साथ निर्णायक भूमिका निभाता है खासकर – पूर्वांचल और मध्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), और निषाद पार्टी जैसे दल इस वोटबैंक को अपनी ओर खींचने के लिए लगातार रणनीति बना रहे हैं। 
फूलन देवी की जयंती और शहादत दिवस जैसे आयोजनों का इस्तेमाल निषाद समाज को संगठित करने और उनकी सियासी ताकत को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।

Phoolan Devi : निषाद समाज की मांगें, आरक्षण और सियासी हिस्सेदारी
फिरोजाबाद के कार्यक्रम में सुभाषपा के जिलाध्यक्ष ब्रजेश कश्यप ने कहा कि फूलन देवी ने विश्व स्तर पर निषाद समाज का नाम रोशन किया। श्रीनिवास निषाद ने समाज को जागरूक करने और फूलन के विचारों को महिलाओं और बेटियों तक पहुंचाने की अपील की। निषाद समाज लंबे समय से अनुसूचित जाति (एससी) में आरक्षण और सत्ता में उचित हिस्सेदारी की मांग कर रहा है। निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद ने भी फूलन की विरासत का इस्तेमाल करते हुए गोरखपुर में उनकी मूर्ति स्थापना और सीबीआई जांच की मांग उठाई है – यह मांगें निषाद समाज को एकजुट करने और उनकी सियासी ताकत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं।
यूपी की सियासत में Phoolan Devi का दम और वोटबैंक की जंग
उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले – फूलन देवी की विरासत निषाद समाज को संगठित करने का एक मजबूत हथियार बन रही है। समाजवादी पार्टी, निषाद पार्टी, और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) जैसे दल फूलन के नाम और उनकी छवि का उपयोग कर निषाद वोटों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में समाजवादी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने फूलन की जयंती मनाकर निषाद समाज की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की – खासकर अयोध्या रेप केस के बाद। दूसरी ओर – बीजेपी भी निषाद वोटों को अपनी ओर खींचने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही है। फिरोजाबाद का यह आयोजन न केवल फूलन की शहादत को याद करने का अवसर था – बल्कि निषाद समाज की सियासी ताकत को प्रदर्शित करने का मंच भी बना।

Phoolan Devi वाला निषाद समाज यूपी में बनेगा गेमचेंजर?
सियासत के रणनीतिकारों का मानना है कि निषाद समाज उत्तर प्रदेश की सियासत में एक गेम-चेंजर की भूमिका निभा सकता है। पूर्वांचल की सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव निर्णायक है – जहां यह 5-8% वोटों को प्रभावित करता है। 2007 में बसपा, 2012 में सपा, और 2017 में भाजपा की जीत में निषाद वोटों की अहम भूमिका रही। निषाद पार्टी, सपा और भाजपा के बीच गठबंधन की चर्चाएं और फूलन देवी जैसे प्रतीकों का उपयोग इस समुदाय को संगठित करने और उनकी मांगों (आरक्षण, प्रतिनिधित्व, और आर्थिक सशक्तीकरण) को सियासी मंच देने का हिस्सा हैं। हालांकि, निषाद समाज के कुछ नेताओं का मानना है कि उनकी सियासी ताकत का उपयोग बड़े दलों द्वारा केवल वोटबैंक के लिए किया जाता है – और वास्तविक नेतृत्व (जैसे मुख्यमंत्री पद) तक उनकी पहुंच सीमित रहती है।
Phoolan Devi सियासत और समाज को हिलाने वाली लेडी!
प्रधान निहारिका सिंह ने फिरोजाबाद के चंदवार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि फूलन देवी शौक से वीरांगना नहीं बनीं – बल्कि समाज द्वारा उनके साथ हुए अत्याचार ने उन्हें यह रास्ता चुनने के लिए मजबूर किया। 11 साल की उम्र में बाल विवाह, सामूहिक बलात्कार, और सामाजिक बहिष्कार जैसी क्रूर घटनाओं ने फूलन को चंबल के बीहड़ों में डाकू बनने के लिए प्रेरित किया। 1983 में आत्मसमर्पण के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से दो बार लोकसभा चुनाव जीता और सामाजिक न्याय की आवाज बनीं। फूलन देवी की हत्या (25 जुलाई 2001) को कई लोग राजनीतिक साजिश मानते हैं – जो निषाद समाज की सियासी ताकत को कमजोर करने की कोशिश थी।
Written by khabarilal.digital Desk
संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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