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Pregnant Woman Death Medical College – ऑपरेशन नहीं, इंतज़ार मिला मौत का!
Pregnant Woman Death Medical College update
Pilibhit Hindi News: जब कोई अस्पताल ज़िंदगी की आखिरी उम्मीद हो और वहां मौत का सर्टिफिकेट बन जाए, तो उसे इलाज नहीं, हत्या कहा जाना चाहिए।
Pregnant Woman Death Medical College का  यह मामला दर्द से तड़पती लक्ष्मी की है, जिसे मंगलवार रात न्यूरिया से मेडिकल कॉलेज लाया गया।
परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने “पहले टेस्ट कराओ, फिर देखेंगे” वाली नीति अपनाई।
तीन घंटे तक महिला दर्द में पड़ी रही, और डॉक्टरों के पास फाइल और फॉर्मलिटी से फुर्सत नहीं थी।
रिपोर्ट आई तो बताया गया, बच्चा गर्भ में मर चुका है, और फिर माँ भी।
Pregnant Woman Death Medical College – मौत आई और डॉक्टर फॉर्म भरते रहे!

Medical College में किसी ने चीखती लक्ष्मी को नहीं देखा, किसी ने उसकी आँखों में ज़िंदगी की भीख मांगती पुतलियों को नहीं पढ़ा।
डॉक्टरों ने कहा—“ओपीडी में केस चल रहे थे”, जैसे ज़िंदा प्रसूता उनकी वेटिंग लिस्ट का एक नाम मात्र हो।
परिजनों का सवाल—“अगर समय पर ऑपरेशन होता, तो क्या लक्ष्मी और बच्चा बच नहीं सकते थे?”
उत्तर—शून्य। मौन। और डॉक्टरी अक्षमता की मोटी दीवारें।
Pregnant Woman Death Medical College – मातृत्व की हत्या और प्रशासन का पाखंड
गांव मैदना के नरेश की पत्नी लक्ष्मी देवी ज़िंदा लौटी होती, अगर डॉक्टर उसे बीमारी नहीं, फॉर्मलिटी से देख रहे होते।
9 बजे रात को जब लक्ष्मी ने दम तोड़ा, पति वहीं बेहोश हो गया।
ये पूरा मामला (Pregnant Woman Death Medical College) महज़ एक लापरवाही नहीं, पूरे सिस्टम का नंगा नाच है।
Pregnant Woman Death Medical College – परिजन बोले “यह हत्या है, डॉक्टर नामक वधकर्ता हैं!”
लक्ष्मी के भाई अजय ने चीख-चीख कर कहा—”डॉक्टरों की लापरवाही से दो मौतें हुईं!”
गुस्साए परिजनों ने हंगामा किया, गेट बंद करने की कोशिश की।
पर जैसे हर अस्पताल में होता है, “सुरक्षा कर्मी आए, मामले को दबाया गया”, और डॉक्टर साहब आराम से चाय पीने चले गए।
क्या किसी डॉक्टर को सस्पेंड किया गया?
क्या सीएमओ ने जवाब मांगा?
क्या मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने माफी मांगी?
— जवाब वही पुराना सरकारी: “जांच की जाएगी।”
Pregnant Woman Death Medical College – “Case Complicated था” या डॉक्टर कंप्लेसेंट थे?
मेडिकल प्रशासन का बयान आया—”जांच में पता चला कि बच्चा पहले ही मृत था, और केस कॉम्प्लिकेटेड हो गया था।”
अब सवाल यह है—अगर केस गंभीर था तो तुरंत ऑपरेशन क्यों नहीं हुआ?
कॉम्प्लिकेशन तब होती है जब डॉक्टर रिएक्ट करें, ये तो आराम से बैठे थे।
Pregnant Woman Death Medical College – इलाज की जगह मिली ‘वेटिंग डेथ’
पीलीभीत (Pregnant Woman Death Medical College) की ये घटना अकेली नहीं है, बल्कि उन तमाम सरकारी अस्पतालों की संवेदनहीनता का क्लिनिकल सबूत है
जहाँ इलाज ‘समय पर’ नहीं, बल्कि “जांच रिपोर्ट आने के बाद अगर डॉक्टर का मूड बना” तभी होता है।
यह मौत एक महिला की नहीं, एक मां की, एक बच्चे की, एक परिवार की है।
इस (Pregnant Woman Death Medical College) केस में प्रशासनिक लापरवाही, डॉक्टरों की बेरुखी और सिस्टम की संवेदनहीनता ने एक साथ दो जानें ले लीं।
अब मेडिकल कॉलेज के गलियारे आँसुओं की फिसलन से भरे हैं, लेकिन डॉक्टरों की कुर्सियाँ अब भी आरामदेह हैं।

 
         
         
         
        