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🔫 Firozabad Police Encounter: जब ‘हुण्डी’ की किस्त चुकता हुई गोली से!
Firozabad Police Encounter Update
फिरोजाबाद की गलियों में एक बार फिर ‘खाकी’ की गरज सुनाई दी — इस बार निशाने पर था एक ‘हुण्डी’। जी हां, नाम तो रोबिन उर्फ हुण्डी, लेकिन करतूत ऐसी कि किस्त वसूलने वाले को ही खाली कर दिया!
3 जुलाई को श्यावरी गांव में किस्त कलेक्शन कर लौट रहे एक शख्स को तीन बाइक सवारों ने तमंचे के दम पर लूट लिया — मोबाइल गया, बैग गया, और भरोसा भी।
पहले ही पकड़ लिया गया था एक धांसू (अवधेश उर्फ धांसू नाम का लुटेरा), लेकिन दूसरा साथी, रोबिन उर्फ हुण्डी — अब तक पुलिस की नज़रों से बचता फिर रहा था।
Firozabad Police Encounter में कैसे जाल बिछाया गया ‘हुण्डी’ के लिए
23 जुलाई को जैसे ही SSP सौरभ दीक्षित की पुलिस टीम को मुखबिर से खबर मिली कि आरोपी रोबिन जंगल की राह में छिपा बैठा है — तो खैरगढ़ थाने की टीम ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया।
सीजीएम तिराहा, जंगल, और घेरा — बदमाश ने आते ही ‘स्वागत फायरिंग’ की, लेकिन पुलिस तो खैरगढ़ की थी! जवाबी कार्रवाई में रोबिन उर्फ हुण्डी की टांगों ने भरोसा खो दिया और गोली ने रास्ता दिखा दिया।
थाना प्रभारी मनोज कुमार की टीम की इस कार्रवाई में लूट का पैसा भी बरामद हुआ — पूरे 2650 रुपये यानी वो किस्त जो पीड़ित से छीनी गई थी। साथ ही एक देशी तमंचा, एक खोखा और एक जिंदा कारतूस भी मिला। और हां, अब ‘हुण्डी’ अस्पताल में भर्ती है — इलाज करवा रहा है, किस्त नहीं।
Police Encounter Firozabad में निकली आस्था की नहीं, आस्तीन की भक्ति!

इस मुठभेड़ ने एक बार फिर दिखा दिया कि उत्तर प्रदेश पुलिस जब जागती है, तो तमंचे भी कांपते हैं।
पुलिस की गोली ‘आत्मरक्षा’ में चली, लेकिन असर ‘आत्मज्ञान’ जैसा रहा — अब ‘हुण्डी’ को शायद समझ में आएगा कि किस्त की वसूली पुलिस नहीं, भगवान से करनी चाहिए थी।
जो लूट के पैसों को ‘कमाई’ समझते हैं, उन्हें खैरगढ़ की ये ‘सीटी गोली’ शायद सबक दे जाए।
Robin Hundi Loot Case में ‘वसूली’ का फाइनल बिल
अब सोचिए — ₹2650 की लूट, तमंचा, जंगल में छिपना, पुलिस से गोली खाना, फिर अस्पताल में भर्ती होना… और फिर कोर्ट, जेल, तारीख पर तारीख।
अगर यही दिमाग पढ़ाई, मेहनत या नौकरी में लगाया होता तो ‘हुण्डी’ आज किसी बैंक में बैठकर किस्त वसूल रहा होता, जंगल में नहीं छिपा होता।
लेकिन नहीं, किस्मत को ठेंगा और तमंचे को भगवान समझने वालों के साथ यही होता है — “Police Encounter Firozabad” जैसी हेडलाइनों में नाम आता है, लेकिन शोहरत नहीं, शर्म के साथ।
Firozabad Police Encounter: जब कानून ने लाठी नहीं, लॉजिक चलाया!

इस पूरे ऑपरेशन में एक बात फिर साफ हो गई — यूपी पुलिस अब माफिया, लुटेरे और गुंडों के लिए कोई ‘थाने की चाय’ नहीं, सीधी गोली की ‘डोज़’ बन चुकी है।
SSP सौरभ दीक्षित की रणनीति, मनोज कुमार की फील्ड टीम और मुखबिर की सूचना ने मिलकर ये दिखा दिया कि अब अपराधी की गलती पर FIR नहीं, फायरिंग पहले होती है!
‘हुण्डी’ तो बस एक चेहरा था — असली संदेश बाकी लुटेरे, उधारखोर और तमंचापरस्तों के लिए था: “अब जंगल नहीं, जेल ठिकाना बनेगा!”

 
         
         
         
        