 
                  Pahalgam Terror Attack: आतंकियों का सफाया करने में रूस देगा भारत का साथ…पुतिन ने किया पीएम मोदी को फोन। कहा…

दिल्ली: Pahalgam Attack का बदला लेने के लिए भारत सरकार पूरी तरह तैयार है,सेना को छूट मिल चुकी है। बस सही दिन और वक्त का इंतजार है। लेकिन इस बीच रूस के एक ऐलान ने पाकिस्तान की नींद उड़ा रखी है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के इस बयान ने मियां शहबाज शरीफ और उनका समर्थन करने वाले देशों के कान खड़े कर दिये हैं। उनकी हालत तो ऐसी हो गई कि,काटो तो खून नहीं। चचा जिंगपिंग भी अब सोच में पड़ गए हैं। कहां तो सोच रहे थे कि,इस बार रूस को भारत का साथ देने से रोक लेंगे, और कहां रूस ने ऐसा ऐलान कर दिया कि, चचा की हवा ही टाइट हो गई।अब तो चचा को ऐसा लग रहा है कि, कहीं पाकिस्तान के समर्थन का ऐलान करके उन्होंने गलत तो नहीं कर दिया।

पुतिन ने किया पीएम मोदी को फोन
पहलगाम हमले को लेकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी से फोन पर बात की। बातचीत के दौरान उन्होंने इस कायराना करतूत की निंदा करते हुए हत्या में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने की वकालत की। पुतिन ने साफ कहा कि, ऐसे लोगों को न्याय के कटघरे में लाकर कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का पूरा साथ देने की भी बात कही।

रूस के ऐलान पाकिस्तान में सन्नाटा!
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जैसे ही पहलगाम मुद्दे पर भारत का साथ देने का ऐलान किया,ऐसा लगा मानों पाकिस्तानी हुक्मरानों के चेहरे की हवाईयां उड़ने लगी हों। भारत के साथ जंग को लेकर पाकिस्तान पहले ही टेंशन में है,इधर पुतिन के इस ऐलान ने उनकी टेंशन को और बढ़ा दिया है। अब पाकिस्तान को लग रहा है कि,अगर जंग में रुस भारत के साथ खड़ा हो गया,और खुदा न खास्ता अमेरिका का भी दिमाग फिर गया, और उसने भी इंडिया को सैनिक सहायता देने की बात कह दी,तो फिर उसका क्या होगा। विश्व पटल के मानचित्र से कहीं उसका नक्शा गायब ही न हो जाए।
भारत-रूस की दोस्ती मिशाल है
ये कोई पहला मौका नहीं है, जब रूस भारत के साथ खड़ा दिखाई पड़ रहा है। इससे पहले भी जब-जब भारत को जरूरत पड़ी है,रूस उसके साथ खड़ा रहा है। भारत भी रूस से अपनी दोस्ती को हमेशा निभाता आया है, तभी तो यूक्रेन हमले के दौरान अमेरिका के लाख कहने के बाद भी भारत ने रूस का साथ नहीं छोड़ा। और रूस की गिरती अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उसने रुस से तेल की बड़ी खेप भी खरीदी।यही नहीं भारत ने अमेरिके के उस ऑफर को भी ठुकरा दिया जिसमें उसने रुस को छोड़कर अमेरिका से हथियार लेने का प्रस्ताव रखा था। कहने का लब्बोलुआब यही है कि, जब भारत ने मुश्किल वक्त में रूस का साथ नहीं छोड़ा, तो फिर रूस ऐसे हालत में भारत का साथ कैसे छोड़ सकता है।

 
         
         
         
         
        