कोड़ापुर में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ी. ग्रामीणों का फूटा गुस्सा. प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग. ग्रामीणों को एक खास समुदाय पर शक.
संवाददाता – नन्हे सिंह, प्रयागराज
Prayagraj : प्रयागराज के फूलपुर थाना क्षेत्र के कोड़ापुर गांव में अज्ञात लोगों ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़कर नहर में फेंक दिया. इस घटना ने न केवल गांव में तनाव पैदा कर दिया है बल्कि समाज में व्याप्त जातिवाद और घृणा की मानसिकता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. ग्रामीणों ने इसे बाबा साहब का अपमान बताते हुए प्रशासन के खिलाफ जमकर हंगामा और नारेबाजी की.
प्रशासन की चुप्पी से लोगों में गुस्सा

घटना की खबर फैलते ही कोड़ापुर गांव में गुस्सा भड़क उठा. ग्रामीणों ने इसे संविधान और आत्मसम्मान पर हमला करार दिया. उनका कहना था, “जिन्होंने हमें संविधान और समानता का हक दिया, उनकी प्रतिमा को तोड़ना शर्मनाक है. अगर ये लोग संविधान पढ़ते, तो पत्थर नहीं फेंकते।” ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो धरना-प्रदर्शन, सड़क जाम और अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा.
गांव में गूंजे नारे
“बाबा साहब की मूर्ति टूट सकती है, हमारी आवाज नहीं!”
“अंबेडकर का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”
फूलपुर पुलिस का आश्वासन
जिला प्रशासन ने वादा किया कि शाम तक नई प्रतिमा उचित स्थान पर स्थापित की जाएगी. हालांकि ग्रामीणों ने मांग की कि पहले दोषियों की गिरफ्तारी हो. कुछ ग्रामीणों ने गांव के मो. इश्तियाक, मोहर्रम अली और मो. आलम पर प्रतिमा तोड़ने का आरोप लगाया है जिनके खिलाफ पुलिस में तहरीर दी गई है. ग्रामीणों के मुताबिक ये लोग शुरू से ही गांव में अंबेडकर प्रतिमा लगाने का विरोध कर रहे थे.
मूर्ति का नहीं, विचारों का अपमान

डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को नहर में फेंकना केवल एक शरारत नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक समानता पर हमला है. ये घटना जातिवाद और अपराधी मानसिकता को उजागर करती है. ग्रामीणों का सवाल है, “अगर संविधान निर्माता की प्रतिमा सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी की सुरक्षा कैसे होगी?”
कानूनी और संवैधानिक दृष्टिकोण
डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 153A (समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के तहत गंभीर अपराध है. ये न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों का अपमान भी है. ऐसे मामलों में केवल FIR दर्ज करना काफी नहीं, बल्कि तेजी से सुनवाई और सख्त सजा की जरूरत है.
